ISIS की मनहूस यादों से उबर रहा इराक; ध्वस्त मस्जिदों को फिर से जिंदा कर रही अवाम
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ISIS की मनहूस यादों से उबर रहा इराक; ध्वस्त मस्जिदों को फिर से जिंदा कर रही अवाम

इराक में गृह युद्ध के दौरान  इस्लामिक स्टेट से मस्जिद और चर्च सहित बहुत से एतिहासिक इमारतों को तबाह कर दिया था, लेकिन उसे बाहर खदेड़े जाने के बाद ऐतिहासिक स्थल फिर से खुल रहे हैं. उनका दुबारा निर्माण किया जा रहा है. 

अल-नूरी मस्जिद

मोसुल: पिछले 850 से सालों से ज्यादा अरसे तक इराकी शहर मोसुल में अल-नूरी मस्जिद और उसकी झुकी हुई मीनार मुल्क के एक आलिशान धरोहर के तौर पर खड़ी थी, जब तक कि इसे 2017 में इस्लामिक स्टेट के जरिये नेस्त- ओ- नाबूद नहीं कर दिया गया. लकिन 8 सालों बाद आईएस के आतंकवादियों को शहर से बाहर खदेड़ दिए जाने के बाद, मोसुल जैसे ऐतिहासिक शहर में अल-नूरी मस्जिद की मीनार को फिर से जिंदा कर दिया गया है. 

यूएन के वैज्ञानिक, शैक्षिक और सांस्कृतिक संगठन यूनेस्को ने पारंपरिक तकनीकों और मलबे से बचाई गई सामग्रियों का इस्तेमाल करके मीनार के को दुबारा बनाने के लिए इराकी विरासत और सुन्नी धार्मिक अधिकारियों के साथ मिलकर काम किया है. मोसुल के निवासियों के लिए इस मीनार को फिर से खड़ा करना एक भावनात्मक मुद्दा है. 

जंग से तबाह हुई इमारतों के मलबों को हटाने के बाद आने वाले हफ्तों में मीनार को आधिकारिक तौर पर फिर से खोलने की उम्मीद है, जिसमें इराकी प्रधानमंत्री मोहम्मद शिया अल-सुदानी भी मौजूद रहेंगे. 
 

मीनार गिर गई तो दिल बैठ गया
मोसुल के पुराने शहर में रहने वाले साद मुहम्मद जरजीस अपने पुराने दिनों को याद करते हुए कहते हैं, "कैसे वह हर दिन अपने घर की खिड़की से अल-हदबा मीनार को देखते थे. जब यह मीनार गिर गई तो उनका दिल बैठ गया था."  उन्होंने कहा, "जब हम एक सुबह सोकर  उठे तो पाया कि पूरी मीनार गायब हो गई है." "हम उस दिन का इंतजार कर रहे थे जब आईएस का झंडा नीचे आएगा, इसका मतलब होगा कि हम आजाद हो गए हैं."
 शहर के इमाम मोहम्मद खलील अल-असफ ने कहा, "इस मस्जिद को मोसुल के लोगों की पहचान माना जाता है. जब हम आज अल-हदबा मीनार को देखने के लिए यहां आए, तो इस पवित्र मस्जिद में माज़ी की खूबसूरत यादें ताज़ा हो गईं. " 

मीनार को दुबारा बनाने में काया थी चुनौतियाँ 
स्टेट बोर्ड ऑफ एंटीक्विटीज एंड हेरिटेज के निदेशक रुवैद अल्लायला ने कहा, "अल-हदबा मीनार मोसुल के लोगों के लिए सबसे प्रतीकात्मक स्थलों में से एक है. आज इस प्रतीक को पूरी तरह से दुबारा जिंदा कर दिया गया है. विरासत प्राधिकरण ने इसकी बेशकीमती मूल्य को बनाए रखने और इसे यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल रखने के लिए इसके पुनर्निर्माण में मूल सामग्रियों का इस्तेमाल किया है." 
अल-हदबा मीनार और ग्रेट अल-नूरी मस्जिद के साइट इंजीनियर उमर ताका ने कहा, "अल-हदबा मीनार के पुनर्निर्माण में सबसे बड़ी चुनौतियों में मलबे के साथ मिले युद्ध के अवशेषों को हटाना और मलबे से कलाकृतियों को अलग करना शामिल था." उन्होंने कहा कि टीम को एक ऐसी साइट को डिजाइन करने के लिए विस्तृत इंजीनियरिंग और ऐतिहासिक मुताला करने की भी ज़रूरत थी जो इस इमारत के पुराने वजूद को बनाए रख सके.   

115 मिलियन अमरीकी डालर का खर्च 
यूनेस्को के महानिदेशक ऑड्रे अज़ोले ने मीनार और अल-नूरी मस्जिद और अल-हदबा मीनार और अल-ताहिरा और अल-साआ चर्चों सहित अन्य बहाल स्थलों का हाल ही में दौरा किया है. उन्होंने कहा, "जंग के बाद पुराने शहर का कम से कम 80 प्रतिशत हिस्सा तबाह हो गया था. जब हमारी पहली टीम 2018 में साइट पर पहुंची, तो उन्हें खंडहरों के अलावा कुछ नहीं मिला. अज़ोले ने कहा कि यूनेस्को ने पुनर्निर्माण परियोजना के लिए 115 मिलियन अमरीकी डालर जुटाए हैं, जिसमें से बड़ा हिस्सा संयुक्त अरब अमीरात और यूरोपीय संघ से आया है. ईराक के ईसाई स्थलों को भी बहाल किया गया है. 

मोसुल छोड़कर चले गए ईसाई परिवार  
2003 में, मोसुल की ईसाई आबादी लगभग 50,000 थी. 2014 में आईएस द्वारा मोसुल पर कब्ज़ा करने के बाद उनमें से कई यहाँ से पलायन कर गए. आज, शहर में 20 से भी कम ईसाई परिवार स्थायी निवासी के रूप में बचे हैं. इरबिल और आसपास के इलाकों में भागे अन्य लोग मोसुल में अपने घरों में वापस नहीं लौटे हैं. अल-ताहिरा चर्च में, जिसे भी बहाल किया गया था, सीरियाई कैथोलिकों के लिए मोसुल के आर्कबिशप मार बेनेडिक्टस यूनान हनो ने कहा, "आज चर्चों के पुनर्निर्माण का ख़ास मकसद उस इतिहास को पुनर्जीवित करना है जिसमें हमारे पूर्वज रहते थे." "जब मोसुल के ईसाई इस चर्च में आते हैं, तो वे उस जगह को याद करते हैं जहाँ उन्होंने शिक्षा हासिल की. " 

मुसलमान आबाद कर रहे टूटे हुए चर्च 
अज़ोले ने कहा कि ईराक के इस चर्च का पुनर्निर्माण इराकी लोगों द्वारा किया गया है, जिनमें से अधिकांश मुस्लिम हैं, जो इस समुदाय के लिए इसे बहाल करने में खुश हैं.  मोसुल में चर्च की घंटियों की आवाज़ और चर्च के प्रार्थना की आवाज़ फिर से एक शक्तिशाली संदेश दे रही है.  शहर अपनी असली पहचान की तरफ फिर से लौट रहा है. भविष्य के पुनर्निर्माण के लिए एक मॉडल के तौर पर मोसुल में यूनेस्को का अनुभव युद्धग्रस्त देशों में अन्य सांस्कृतिक स्थलों को दुबारा जिन्दा करने के लिए इसके नजरिये को और मजबूत करेगा.  इसमें पड़ोसी मुल्क सीरिया भी शामिल है, जो अब पूर्व राष्ट्रपति बशर असद के पतन के बाद लगभग 14 सालों के गृहयुद्ध से उभरना शुरू कर रहा है.  
 

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