Waqf Bill: JPC की बैठक हुई खत्म, मौलाना असद मदनी समेत कई लोगों ने लिया हिस्सा
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Waqf Bill: JPC की बैठक हुई खत्म, मौलाना असद मदनी समेत कई लोगों ने लिया हिस्सा

Waqf Bill: सरकार ने वक्फ से जुड़े दो विधेयक लोकसभा में पेश किए थे. हालांकि, ये विधेयक लोकसभा में पारित नहीं हो पाए, बल्कि जेपीसी के पास भेज दिए गए. जिसके बाद जेपीसी का गठन किया गया और लोकसभा व राज्यसभा के सांसदों को समिति का सदस्य बनाया गया. इस पर चर्चा चल रही है.

Waqf Bill: JPC की बैठक हुई खत्म, मौलाना असद मदनी समेत कई लोगों ने लिया हिस्सा

Waqf Bill: पार्लियामेंट में आज यानी 14 अक्टूबर को जेपीसी की बैठक हुई है. इसकी अगुवाई बीजेपी सांसद जगदंबिका पाल ने की है. इस बैठक में वक्फ से जुड़े दो संशोधन विधेयकों पर चर्चा भी हुई है. बैठक में समिति जमीयत उलेमा-ए-हिंद चीफ मौलाना मोहम्मद असद मदनी, सुप्रीम कोर्ट के सीनियर वकील रऊफ रहीम, पूर्व IAS अधिकारी अकरमुल जब्बार खान समेत कई लोगों ने हिस्सा लिया है. सभी लोग आज जेपीसी में अपने विचार रखने पहुंचे थे. स्टेकहोल्डर होने के नाते जमीयत उलेमा-ए-हिंद को आज जेपीसी ने बुलाया था, जिस पर जमीयत ने अपना पक्ष रखा है.

कई लोग लेंगे हिस्सा
लोकसभा सचिवालय के मुताबिक, प्रस्तावित संशोधनों पर कई दूसरे हितधारकों से भी अपने विचार जेपीसी के सामने रख सकते हैं, जिनमें श्री कालाराम मंदिर के मुख्य पुजारी महंत सुधीरदास महाराज, सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन, अश्विनी उपाध्याय, हिंदू जनजागृति समिति की सदस्य अमिता सचदेवा शामिल हैं. इससे पहले 28 सितंबर को संसदीय समिति ने प्रस्तावित वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 पर राष्ट्रव्यापी परामर्श अभ्यास के हिस्से के रूप में हैदराबाद में विभिन्न हितधारकों के साथ बैठक की.

अब तक हो चुकी हैं पांच बैठकें
जेपीसी अब तक 5 राज्यों में बैठकें कर चुकी है. जिसमें विभिन्न हितधारकों ने समिति के समक्ष अपने विचार रखे हैं. इस समिति की पहली बैठक 26 सितंबर को मुंबई में हुई थी. जिसमें महाराष्ट्र सरकार, अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय और महाराष्ट्र वक्फ बोर्ड के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया था. इस स बैठक में वक्फ बिल से जुड़े कई मुद्दों पर चर्चा हुई थी. 27 सितंबर को गुजरात, 28 सितंबर को हैदराबाद और आंध्र प्रदेश में भी बैठकें हुईं, जिसमें विभिन्न लोगों ने अपने विचार रखे.

क्या है JPC
JPC पार्लियामेंट की एक कमेटी है, जिसमें सभी दलों की बराबर भागीदारी होती है.  जेपीसी को किसी भी व्यक्ति, संगठन या किसी भी पार्टी को बुलाकर उनसे सवाल पूछने का अधिकार है, जिसके लिए इसका गठन किया गया है. अगर वह व्यक्ति, संगठन या पार्टी जेपीसी के सामने पेश नहीं होती है तो इसे संसद की अवमानना ​​माना जाएगा. इसके बाद जेपीसी इस संबंध में संबंधित व्यक्ति या संगठन से लिखित या मौखिक जवाब या दोनों मांग सकती है.

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