UP Bagpat News: उत्तर प्रदेश के बागपत में पिछले माह लड्डू निर्माण महोत्सव में स्टेज गिरने से हुए हादसे में जैन ठेकेदार को बचाते हुए एक दिहाड़ी मुस्लिम मजदूर को आरोपी बनाकर जेल भेज दिया गया है, जबकि इस काम में १० मजदूर लगे थे. इस मामले में मजदूर की पत्नी से जिले के SP से मिलकर इन्साफ की मांग की है.
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नई दिल्ली: इस मुल्क में कोई भी घटना या दुर्घटना हो, और उसके लिए कोई भी जिम्मेदार क्यों न हो, लेकिन सबसे पहले उसमें किसी मुस्लिम नाम की तलाश की जाती है, जिसके ऊपर दुर्घटना की सारी जिम्मेदारी लादी जा सके. किसी भी कमजोर मुसलमान को फंसाकर असली मुजरिम को बरी कर दिया जाता है.
ताज़ा मामला उत्तर प्रदेश के बागपत जिले का है, जहाँ गुजिश्ता 28 जनवरी को एक हादसे में 9 लोगों की मौत हो गयी थी, और 50 से ज्यादा लोग इसमें घायल हुए थे. अब इस मामले में असली मुजरिमों को बचाते हुए एक दिहाड़ी मुस्लिम मजदूर को कसूरवार ठहराकर उसे जेल भेज दिया गया है. मुस्लिम मजदूर के खानदान के लोगों ने बागपत के SP से मिलकर इस मामले में इन्साफ करने की गुहार लगाई है.
क्या है मामला ?
दरअसल, उत्तर प्रदेश के बागपत में बड़ोत में 28 जनवरी को लड्डू निर्माण महोत्सव मनाया जा रहा था. यह जैन धर्म के आदिनाथ की जयंती होती है. इसमें मान स्तंभ के लिए कुछ अस्थाई स्टेज बनाया गया था, जिसपर एक साथ बहुत सारे लोगों के चढने से भगदड़ मच गयी और स्टेज टूटकर गिर गया था. इस हादसे में 9 अफराद की मौत हुई थी, और 50 से ज्यादा लोग ज़ख़्मी हो गए थे. इस स्टेज को बनाने का ठेका नीटू जैन और संदीप जैन नाम के ठेकेदार को दिया गया था. वहीँ, वसीम नाम के एक मुस्लिम मजदूर को 500 की दिहाड़ी मजदूरी पर स्टेज बनाने के लिए रखा गया था. स्टेज टूटने का मुकदमा ठेकेदार के खिलाफ होना चाहिए, और उसे जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए था. लेकिन इस केस में मजदूर वासिम को बलि का बकरा बनाते हुआ उसे हादसे का कसूरवार बताकर जेल भेज दिया गया..
वसीम मुसलमान था, इसलिए भेज दिया जेल
इस मामले में मजदूर वासिम के नाराज़ परिजनों ने सोमवार को बागपत SP से मिलकर इन्साफ की मांग की है. वासिम के भाई और भतीजा इस्लाम और मेहताब ने बताया कि स्टेज बाँधने के काम में लगभग 8- 10 मजदूर काम कर रहे थे, लेकिन उनमें नामज़द सिर्फ वसीम को किया गया. इस दुर्घटना के लिए अकेले वसीम कैसे जिम्मेदार हो गया ?
पुलिस अधीक्षक ने दिया निष्पक्ष जांच का भरोसा
वसीम की पत्नी शहजान ने अपने समाज के लोगों के साथ पुलिस अधीक्षक से शिकायत की है. उसने अपनी शिकायत में कहा, " मेरे पति एक मजदूर है. वह मजदूरी कर अपने परिवार का पालन पोषण करता है. नीटू जैन और संदीप जैन ने जबरन उसके पति से बयान दिलाया है कि मान स्थल परिसर में स्टेज बनाने का ठेका हमने लिया था. हमने 8 से 10 मजदूरों से काम कराया था." पीड़िता ने बताया कि उसका पति कोई ठेकेदार नहीं है. ठेकेदार ने अपने बचाव के लिए एक साजिश के तहत उसके पति वसीम को गलत तरीके केस में फंसाकर जेल भिजवा दिया है. उसके कई बच्चे हैं जिसमें भूखे मरने की नौबत आ गई है. परिवार को कोई कमाने वाला नहीं है. इस मामले में निष्पक्ष जांच कर वसीम को रिहा किया जाए." शिकायत के बाद बागपत पुलिस अधीक्षक अर्पित विजयवर्गीय ने पूरे मामले में निष्पक्ष जांच कर असली मुजरिमों के खिलाफ कार्रवाई का भरोसा दिया है.
पहले भी हुई हादसों को साम्प्रदायिक रंग देने की कोशिश
गौरतलब है कि कुम्भ मेले में हुई भगदड़ और मौतों के बाद भी पुलिस ने इस मामले में १० हज़ार लोगों के फोन कॉल खंगालने की बात कही है, जो लोग 2020 के CAA-NRC आन्दोलन से जुड़े हुए थे. पुलिस ने साफ़ तौर पर इशारा कर दिया है कि कुम्भ में भगदड़ बाहरी लोगों ( मुसलमानों) की वजह से हुई थी. 15 तारीख को दिल्ली रेलवे स्टेशन में मची भगदड़ और श्रद्धालुओं की मौत के बाद भी ऐसी अफवाह फैलाई गई कि वहां किसी ने ' अल्लाहु अकबर' बोलकर भीड़ में भगदड़ मचाई थी. 2023 में ओडिशा में ट्रिपल ट्रेन हादसे के बाद भी हादसे को सांप्रदायिक रंग देने के लिए अफवाह फैलाई गई के स्टेशन मास्टर एक मुस्लिम था और हादसे की जगह एक मस्जिद भी है. इसलिए इसमें कोई गहरी साजिश है. ऐसे कई मामले हैं, जहाँ जबरन मुस्लिम एंगल देकर मुसलमानों की छवि खराब करने और उसका आर्थिक और सामाजिक बहिष्कार करने की कोशिश की गयी.