UCC In Uttarakhand: उत्तराखंड में UCC का मुस्लिम संगठन ने किया विरोध, कहा- 'UCC सिर्फ एक धर्म विशेष के खिलाफ'
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UCC In Uttarakhand: उत्तराखंड में UCC का मुस्लिम संगठन ने किया विरोध, कहा- 'UCC सिर्फ एक धर्म विशेष के खिलाफ'

UCC In Uttarakhand: उत्तराखंड में सीएम पुष्कर सिंह धामी 6 फरवरी को विधानसभा के स्पेशल सेशन में UCC पटल पर लाने वाले हैं.असेंबली में पास होने के बाद जल्द ही यह कानून बन जाएगा. लेकिन दूसरी तरफ मुस्लिम संगठन ने इसका विरोध शुरू कर दिया है.  

UCC In Uttarakhand: उत्तराखंड में UCC का मुस्लिम संगठन ने किया विरोध, कहा- 'UCC सिर्फ एक धर्म विशेष के खिलाफ'

UCC In Uttarakhand: उत्तराखंड में पुष्कर सिंह धामी की सरकार ने UCC पर कानून पास करने के लिए असेंबली में 5 से 8 फरवरी तक स्पेशल सेशन बुलाया है. रिटायर्ड जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई की अगुआई वाली पांच सदस्यीय पैनल ने बीते शुक्रवार को 749 पन्नों की रिपोर्ट सीएम पुष्कर सिंह धामी ( CM Pushkar Singh Dhami ) को सौंपी थी. ये रिपोर्ट विधानसभा से पास होने के बाद जल्द ही यह कानून बन जाएगा. 

वहीं, दूसरी तरफ UCC ( Uniform Civil Code ) का विरोध भी तेज हो गया है.  यूनिफार्म सिविल कोड के विरोध में देहरादून ( Dehradun News ) के पलटन बाजार में मौजूद जामा मस्जिद में मुस्लिम सेवा संगठन ने काजी मोहम्मद अहमद कासमी की अध्यक्षता में एक प्रेस कॉन्फेंस की.

शहर काजी मोहम्मद अहमद कासमी ने कहा कि यूसीसी सिर्फ एक धर्म विशेष के खिलाफ है. इसमें मुस्लिम मजहब द्वारा दिए गई आपत्तियों तथा मुस्लिम समाज द्वारा दिए गए सुझावों को कोई जगह नहीं दी गई है. इस दौरान  मुफ्ती रईस ने कहा कि राज्य की सरकार द्वारा लाया जाने वाला यह कानून संविधान के खिलाफ भी है.

मुफ्ती ने रईस ने कहा?
आर्टिकल 25 के तहत हर मजहब को मानने वाले आदमी को अपने धर्म पर चलने की आजादी देती है. मुफ्ती रईस ने कहा, "सेंट्रल गवर्नमेंट द्वारा संविधान में संशोधन करने के बाद ही UCC लागू किया जा सकता है, वरना दो कानून आपस में टकराएंगे."

हलाला और इद्दत पर लगेगा बैन!
मुफ्ती ने कहा जो कानून सभी मज़हबों के लिए है उसमें समस्त धर्मों का प्रतिनिधित्व न होना इस कानून को संदेहपरक बनाता है. सूत्रों के मुताबिक, रिपोर्ट में कहा गया है कि हलाला और इद्दत जैसी प्रथाओं पर बैन लगाया जाएगा. हालांकि, अभी रिपोर्ट अबी सार्वजनिक नहीं हुई है.

इसके अलावा सूत्रों ने बताया कि पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए तलाक के लिए समान आधार समेत बाल विवाह की प्रथा को समाप्त करने की सिफारिश की गई है.  तलाक को कोर्ट के जरिए से लेना होगा और ऐसे मामलों में छह महीने का समय होगा.

 

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