Supreme Court on Worship Act: संभल की शाही जामा मस्जिद में झड़पों में चार लोग मारे गए थे. इसके बाद न्यायालय ने सभी याचिकाओं को 17 फरवरी को प्रभावी सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया था.
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Supreme Court on Worship Act: सुप्रीम कोर्ट ने आज यानी 17 फरवरी को प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट (Places of Worship Act), 1991 से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई की है. कोर्ट ने अप्रैल के पहले सप्ताह तक टाल दी. यानी अब इस मामले पर अप्रैल के महीने में सुनवाई होगी. चीफ जस्टिस संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने कहा कि मामले की सुनवाई तीन न्यायाधीशों की पीठ करेगी.
इससे पहले सुबह सुप्रीम कोर्ट ने प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट (Places of Worship Act), 1991 की वैधता से संबंधित मामले में कई नयी याचिकाएं दायर किए जाने पर अपनी नाराजगी व्यक्त की थी. प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट किसी भी पूजा स्थल के धार्मिक चरित्र को 15 अगस्त, 1947 के समय के अनुसार बनाए रखने का प्रावधान करता है.
चीफ जस्टिस ने क्या कहा?
जब एक वादी की ओर से पेश हुईं वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने दिन में सुनवाई के लिए एक नयी याचिका का जिक्र किया, तो चीफ जस्टिस ने कहा, ‘‘हम शायद इस पर सुनवाई न कर पाएं." अदालत की कार्यवाही शुरू होने पर वरिष्ठ अधिवक्ता ने मामले का जिक्र किया तो चीफ जस्टिस ने कहा कि याचिकाएं दायर करने की एक सीमा होती है. बहुत सारे आईए (अंतरिम आवेदन) दायर किए गए हैं. हम शायद इस पर सुनवाई नहीं कर पाएं. उन्होंने कहा कि मार्च में एक तारीख दी जा सकती है.
सुप्रीम कोर्ट दिया था ये आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने 12 दिसंबर, 2024 के अपने आदेश के जरिए विभिन्न हिंदू पक्षों द्वारा दायर लगभग 18 मुकदमों में कार्यवाही को प्रभावी ढंग से रोक दिया, जिसमें वाराणसी में ज्ञानवापी, मथुरा में शाही ईदगाह मस्जिद और संभल में शाही जामा मस्जिद सहित 10 मस्जिदों के मूल धार्मिक चरित्र का पता लगाने के लिए सर्वे का अनुरोध किया गया था. संभल की शाही जामा मस्जिद में झड़पों में चार लोग मारे गए थे. इसके बाद न्यायालय ने सभी याचिकाओं को 17 फरवरी को प्रभावी सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया था.
इन नेताओं की याचिका पर होनी थी सुनवाई
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी, समाजवादी पार्टी के नेता और कैराना की सांसद इकरा चौधरी और कांग्रेस पार्टी सहित अन्य ने 12 दिसंबर के बाद कई याचिकाएं दायर कीं, जिनमें 1991 के कानून के प्रभावी कार्यान्वयन का अनुरोध किया गया है. उत्तर प्रदेश के कैराना से सांसद चौधरी ने 14 फरवरी को मस्जिदों और दरगाहों को निशाना बनाकर कानूनी कार्रवाई की बढ़ती प्रवृत्ति पर अंकुश लगाने का अनुरोध किया था.