AMU पर फैलाया जा रहा है झूठ, यहां मुसलमानों को नहीं मिलता है रिजर्वेशन; यूनिवर्सिटी ने जारी किया बयान
Advertisement
trendingNow,recommendedStories0/zeesalaam/zeesalaam2511632

AMU पर फैलाया जा रहा है झूठ, यहां मुसलमानों को नहीं मिलता है रिजर्वेशन; यूनिवर्सिटी ने जारी किया बयान

Aligarh University Reservation: अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) के अल्पसंख्यक दर्जे को लेकर देशभर में बवाल जारी है. जारी बवाल के बीच यूनिवर्सिटी प्रशासन ने बड़ा खुलासा किया है. पूरी खबर पढ़ने के लिए नीचे स्क्रॉल करें.

AMU पर फैलाया जा रहा है झूठ, यहां मुसलमानों को नहीं मिलता है रिजर्वेशन; यूनिवर्सिटी ने जारी किया बयान

Aligarh University Reservation: अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) ने मुख्तलिफ सब्जेक्ट में एडमिशन और पदों पर भर्ती में मुस्लिम कैंडिडेट्स को धार्मिक आधार पर रिजर्वेशन देने के दावों का खंडन करते हुए कहा है कि उसके यहां इस तरह के रिजर्वेशन की कोई व्यवस्था नहीं है. यूनिवर्सिटी प्रशासन ने 12 नवंबर की रात को जारी एक बयान में यह बात कही. 

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के अल्पसंख्यक दर्जे पर बड़ा फैसला दिया था और कोर्ट ने विश्वविद्यालय के अल्पसंख्यक दर्जे को बरकरार रखा था. हालांकि, इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि एएमयू के अल्पसंख्यक दर्जे से जुड़े कानूनी सवाल पर फैसला नई पीठ करेगी और 1967 के उस फैसले को खारिज कर दिया जिसमें कहा गया है कि यूनिवर्सिटी को अल्पसंख्यक संस्थान नहीं माना जा सकता, क्योंकि इसे एक केंद्रीय कानून द्वारा स्थापित किया गया है.

मुसलमानों के लिए नहीं होता है रिजर्व सीट
एएमयू के अधिकारी पिछले तीन दिनों से इन दावों का खंडन कर रहे हैं कि यूनिवर्सिटी में स्टूडेंट्स के एडमिशन और कर्मचारियों की नियुक्ति में मुसलमानों के लिए सीट रिजर्व करने की व्यवस्था लागू की जा रही है. एएमयू के जनसंपर्क कार्यालय के प्रभारी सदस्य प्रोफेसर मोहम्मद असीम सिद्दीकी ने कहा, ‘‘अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी मुस्लिम कैंडिडेट को विश्वविद्यालय के मुख्तलिफ सब्जेक्ट में एडमिशन देने या पदों पर भर्ती करने में कोई रिजर्वेशन नहीं देता है, जैसा कि कुछ मीडिया संस्थानों द्वारा भारत के सुप्रीम कोर्ट की सात न्यायाधीशों की पीठ के हाल के फैसले के बाद बताया गया है.’’ 

सिर्फ स्कूली बच्चों के लिए होता है रिजर्व सीट
बयान में कहा गया है, ‘‘एएमयू में यूनिवर्सिटी द्वारा संचालित स्कूलों से पास होने वाले स्टूडेंट्स के लिए आंतरिक कोटा सिस्टम है. जब ये स्टूडेंट्स यूनिवर्सिटी में एडमिशन चाहते हैं, तो उन्हें आंतरिक माना जाता है और उनके लिए 50 फीसद सीट रिजर्व की जाती हैं, चाहे उनका धर्म या आस्था कुछ भी हो.’’  बयान में सिद्दीकी ने कहा, ‘‘एएमयू में मुस्लिम कैंडिडेट्स के लिए सीट रिजर्व करने की खबरें झूठी और भ्रामक हैं.’’ 

उत्तर प्रदेश के सीएम योगी ने आरक्षित सीटों को लेकर उठाए थे सवाल
अलीगढ़ जिले के खैर में नौ नवंबर को आयोजित एक रैली को संबोधित करते हुए उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था, ‘‘इस मामले में फैसला सुप्रीम कोर्ट करेगा, लेकिन भारत के संसाधनों से पोषित और जनता के कर से संचालित यह एक ऐसा संस्थान है जो अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी), अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों को आरक्षण नहीं देता, लेकिन मुसलमानों के लिए 50 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था करता है.’’ 

योगी ने सवाल किया, ‘‘भारत का संविधान अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और मंडल कमीशन की रिपोर्ट के आधार पर अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों को रिजर्वेशन की सुविधा देता है, लेकिन एएमयू में यह सुविधा क्यों नहीं मिली?’’ उन्होंने जोर देकर कहा, ‘‘जब भारत का पैसा लगा है तो वहां भी इन्हें आरक्षण की सुविधा का लाभ मिलना चाहिए. नौकरी और एडमिशन में भी यह सुविधा मिलनी चाहिए. इसे क्यों बंद किया गया, क्योंकि कांग्रेस, समाजवादी पार्टी (सपा), बहुजन समाज पार्टी (बसपा) नहीं चाहती हैं. वोट बैंक बचाने के लिए यह लोग आपकी भावना और राष्ट्रीय एकता-अखंडता तथा अस्मिता के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं.’

Trending news