Palampur News: सीएसआईआर हिमालयी जैवसंसाधन प्रौद्योगिकी संस्थान पालमपुर में दो दिवसीय ट्यूलिप महोत्सव और सजावटी बल्बनुमा फूलों पर राष्ट्रीय संगोष्ठी, देश भर से 250 से अधिक प्रतिभागी, 15 उद्योगों के प्रतिनिधि और 50 से अधिक किसानों ने लिया भाग, संगोष्ठी का उद्देश्य सजावटी बल्बनुमा फूलों को बढ़ावा देना.
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Himachal Pradesh/अनूप धीमान: सीएसआईआर हिमालयी जैवसंसाधन प्रौद्योगिकी संस्थान (सीएसआईआर-आईएचबीटी), पालमपुर में दो दिवसीय ट्यूलिप महोत्सव और सजावटी बल्बनुमा फूलों पर राष्ट्रीय संगोष्ठी हुई. समारोह के मुख्य अतिथि के रूप में सीएसआईआर-हिमालयी जैवसंसाधन प्रौद्योगिकी संस्थान पालमपुर के निदेशक डॉ. सुदेश कुमार ने शिरकत की जबकि विशिष्ट अतिथि आईएसओएच के उपाध्यक्ष डॉ. वाई.सी. गुप्ता रहे. संगोष्ठी का आयोजन भारतीय सजावटी बागवानी सोसायटी (आईएसओएच) के सहयोग से किया जा रहा है और इसका उद्देश्य सजावटी बल्बनुमा फूलों को बढ़ावा देना है.
इस अवसर पर पुष्प-कृषि के क्षेत्र में असाधारण योगदान देने वाले व्यक्तियों को आईएसओएच द्वारा फेलोशिप और पुरस्कार भी प्रदान किए गए। संगोष्ठी के एक भाग के रूप में, अवसरों और नवीन कृषि पद्धतियों को प्रदर्शित करने वाले किसान मेले का भी उद्घाटन किया गया. संगोष्ठी में देश भर से 250 से अधिक प्रतिभागियों, 15 उद्योगों के प्रतिनिधियों और आसपास के राज्यों के 50 से अधिक किसानों ने भाग लिया.
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समारोह के मुख्य अतिथि सीएसआईआर-हिमालयी जैवसंसाधन प्रौद्योगिकी संस्थान पालमपुर के निदेशक डॉ. सुदेश कुमार यादव ने अतिथियों और गणमान्य व्यक्तियों का अभिवादन किया. उन्होंने क्षेत्र की आजीविका और अर्थव्यवस्था को आकार देने में पुष्पकृषि की भूमिका और इसमें संस्थान के योगदान पर प्रकाश डाला. उन्होंने सीएसआईआर पुष्पकृषि मिशन पर जोर दिया, जो फूलों की फसलों के माध्यम से जैव अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करते हुए लोगों के बीच प्रचार, सुधार, मूल्य संवर्धन और जागरूकता पैदा करता है. उन्होंने आशा व्यक्त की कि संगोष्ठी सभी को लाभान्वित करने वाली नई पहलों का मार्ग प्रशस्त करेगी. उन्होंने संगोष्ठी की शानदार सफलता की कामना की.
इस समारोह के विशिष्ट अतिथि आईएसओएच के उपाध्यक्ष डॉ. वाई.सी. गुप्ता ने इस क्षेत्र में हाल ही में किए गए कार्यों और पुष्प-कृषि के व्यापक दायरे पर विस्तार से चर्चा की. आईएसओएच के सचिव डॉ. एसएस सिंधु ने संगोष्ठी के बारे में जानकारी दी और पुष्प-कृषि को बढ़ावा देने में समाज की भूमिका पर प्रकाश डाला.