नई दिल्ली: America On Volodymyr Zelensky: अमेरिका और यूक्रेन के रिश्ते 180 डिग्री पलट गए हैं. एक समय पर यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की अमेरिका के 'आंखों के तारे' हुआ करते थे, लेकिन अब वे 'आंखों की किरकिरी' बन चुके हैं. जो बाइडेन के राष्ट्रपति रहते हुए जेलेंस्की के सितारे बुलंदी पर थे. लेकिन जैसे ही ट्रंप सत्ता में आए, जेलेंस्की के सितारे गर्दिश में चले गए. अब ट्रंप आए दिन जेलेंस्की के लिए ऐसे बयान देते हैं, जो स्पष्ट तौर पर दर्शाते हैं कि अमेरिका ने अपनी विदेश नीति बदल दी है.
जो बाइडेन के दुलारे थे जेलेंस्की
2022 के आखिर में जेलेंस्की अमेरिका की यात्रा पर गए थे. तब उन्होंने व्हाइट हाउस में तत्कालीन राष्ट्रपति जो बाइडेन से मुलाकात थी. बाइडेन ने तब कहा था कि आपके (जेलेंस्की) साथ होना सम्मान की बात है. आप इस साल के सबसे श्रेष्ठ व्यक्ति हैं. फिर 2023 की शुरुआत में बाइडेन ने वारसॉ में एक भाषण में कहा- जेलेंस्की लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार का नेतृत्व करते हैं, जो यूक्रेन की जनता की इच्छा का प्रतिनिधित्व करती है. जून 2024 में बाइडेन ने यहां तक कह दिया था कि हम यूक्रेन के साथ तब तक रहेंगे, जब तक वे इस युद्ध को जीत नहीं लेते.
ट्रंप को फूटी आंख नहीं सुहाए
इसके बाद अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव हुए, जिन्होंने न सिर्फ अमेरिकी लोगों का भविष्य तय किया, बल्कि जेलेंस्की की राह भी कठिन कर दी. डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद जेलेंस्की के बुरे दिन शुरू हो गए. ट्रंप ने चुनाव से पहले ही जेलेंस्की को 'अब तक के किसी भी नेता का सबसे बड़ा सेल्समैन' कहा था. राष्ट्रपति बनने के बाद ट्रंप की बयानबाजी और तेज हो गई. उन्होंने कभी जेलेंस्की को 'मामूली कॉमेडियन' बताया, तो कभी 'तानाशाह' की उपमा से नवाजा. अब डोनाल्ड ट्रंप चाहते हैं कि जेलेंस्की सत्ता से बाहर हो जाएं.
अमेरिका जेलेंस्की के खिलाफ क्यों हुआ?
अमेरिका फर्स्ट नीति: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप 'अमेरिका फर्स्ट' की नीति अपना रहे हैं. वे नहीं चाहते कि अमेरिका यूक्रेन जैसे देशों की लड़ाई लड़े या उन्हें लड़ने के लिए अपने सरकारी खजाने का कुछ हिस्सा दे. अमेरिका ने 2024 तक यूक्रेन को 100 बिलियन डॉलर से अधिक राशि दे दी. ये सहायता डेमोक्रेटिक पार्टी के शासन में दी गई, जिसका रिपब्लिकन पार्टी के लोगों ने खुलकर विरोध किया.
ट्रंप पर वादा पूरा करने का दबाव: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चुनावी अभियान के दौरान वादा किया था कि वे सत्ता में आने के 24 घंटे के भीतर रूस-यूक्रेन युद्ध रुकवा देंगे. लेकिन ट्रंप ऐसा करने में विफल रहे. अब उन्होंने 100 दिन में युद्ध खत्म करने का लक्ष्य तय किया है. इसलिए वे जेलेंस्की पर युद्ध खत्म करने का दबाव बना रहे हैं. जेलेंस्की बिना ट्रंप की सारी शर्तें मानने को तैयार नहीं हैं, इसलिए ट्रंप उनके खिलाफ सख्त रुख अपना चुके हैं.
कमजोर को दबाने की नीति: यूक्रेन का युद्ध रूस के साथ है, जो खुद अमेरिका के बराबर की महाशक्ति है. अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप जानते हैं कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन उनके दबाव में नहीं आएंगे, इसलिए वे कमजोर देश यूक्रेन पर आंखें लाल कर रहे हैं. पुतिन तभी युद्ध रोकेंगे जब समझौते उनके मुताबिक होंगे. लेकिन जेलेंस्की वैश्विक स्तर पर कमजोर देश के नेता हैं, इसलिए उन्हें एडजस्ट करने को कहा जा रहा है. मगर जेलेंस्की सबकुछ लुटाने को तैयार नहीं हैं.
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