सबसे ज्यादा काम कौन करता है? सबसे ज्यादा हफ्ते भर काम करने वाले देशों की लिस्ट

L&T chairman SN Subrahmanyan Trending News: एलएंडटी के चेयरमैन के विवादास्पद बयान ने अत्यधिक कार्य घंटों, स्वास्थ्य पर उनके प्रभाव और आधुनिक कार्यस्थल में ऐसी प्रथाओं की स्थिरता के बारे में चिंताओं को लेकर चर्चा शुरू कर दी है.

Written by - Nitin Arora | Last Updated : Jan 13, 2025, 02:32 PM IST
  • सबसे ज्यादा काम करने वाले देश?
  • वो देश, जहां कम काम करते हैं लोग?
सबसे ज्यादा काम कौन करता है? सबसे ज्यादा हफ्ते भर काम करने वाले देशों की लिस्ट

Longest weekly hours ranked countries: आप हर हफ्ते कितने घंटे काम करते हैं? अगर आपको लगता है कि यह बहुत ज्यादा है, तो आपको लार्सन एंड टुब्रो (L&T) के चेयरमैन एसएन सुब्रह्मण्यन का हाल ही में दिया सुझाव कि 'कर्मचारियों को प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए रविवार सहित हफ्ते में 90 घंटे काम करना चाहिए' कैसा लगा?

उनके बयान ने सोशल मीडिया पर हलचल मचा दी, काम-जीवन संतुलन और क्या हम कर्मचारियों पर बहुत ज़्यादा दबाव डाल रहे हैं, ऐसे सब मुद्दों पर अब बहस शुरू हो गई है.

यह सिर्फ सैद्धांतिक मुद्दा नहीं है. पिछले साल, EY पुणे में 26 वर्षीय कर्मचारी अन्ना सेबेस्टियन पेरायिल की नौकरी के सिर्फ चार महीने बाद ही मौत हो गई. रिपोर्ट बताती हैं कि लंबे समय तक काम करने के तनाव के कारण उनकी मौत हुई.

उनकी कहानी आज के कार्यस्थलों में एक चिंताजनक समस्या को उजागर करती है: अत्यधिक काम के घंटे बर्नआउट, स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं और यहां तक कि मौत का कारण बन सकते हैं.

क्या हम बहुत ज़्यादा काम कर रहे हैं?
हालांकि ऑफिस आदि में लंबे समय तक काम करना कोई नई बात नहीं है, लेकिन जैसे-जैसे व्यवसाय महामारी से पहले की दिनचर्या पर लौट रहे हैं, वैसे ही दफ्तरों में तनाव भी बढ़ रहा है. मानसिक स्वास्थ्य और कार्य-जीवन संतुलन के बारे में तमाम चर्चाओं के बावजूद, कई कर्मचारी अभी भी पहले से कहीं ज्यादा समय काम पर लगा रहे हैं.

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) ने चेतावनी दी है कि अधिक काम करना एक गंभीर स्वास्थ्य जोखिम है. शोध से पता चलता है कि लंबे समय तक काम करने से हृदय रोग जैसी स्वास्थ्य समस्याओं की संभावना बढ़ जाती है और जीवन प्रत्याशा भी कम हो सकती है.

कर्मचारी क्या चाहते हैं?
अधिकांश कर्मचारी अपना सारा समय कार्यालय में बिताना नहीं चाहते हैं. रैंडस्टैड द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण में पाया गया कि 93.7 प्रतिशत कर्मचारी मानते हैं कि कार्य-जीवन संतुलन आवश्यक है. कई लोग तो यह भी कहते हैं कि वे ऐसी नौकरी नहीं करेंगे जो उनके निजी जीवन को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती हो.

आज की दुनिया में काम का मतलब सिर्फ तनख्वाह कमाना नहीं है. इसका मतलब काम के अलावा एक संतुष्ट जीवन जीना भी है.

सबसे ज्यादा काम करने वाले देश?
तो, सबसे ज्यादा काम करने वाले लोग कहां हैं? ILO के अनुसार, भूटान इस सूची में सबसे ऊपर है. वहां काम करने वाले लोग औसतन हर हफ्ते 54.4 घंटे काम करते हैं और 61 प्रतिशत से ज्यादा लोग 49 घंटे या उससे ज्यादा काम करते हैं.

इसके बाद UAE का नंबर आता है. Lesotho, Congo, Qatar जैसे देशों में भी लोग अधिक काम करते हैं.

वो देश, जहां कम काम करते हैं लोग?
दूसरी तरफ, वानुअतु में सबसे कम काम के घंटे हैं. वहां के कर्मचारी सप्ताह में सिर्फ 24.7 घंटे काम करते हैं और सिर्फ 4 प्रतिशत कर्मचारी लंबे समय तक (49 घंटे या उससे ज़्यादा) काम करते हैं. इसके बाद Kiribati, Micronesia जैसे देश आते हैं, जहां के लोग औसतन कम काम करते हैं.

भारत की तुलना कैसे की जाती है?
भारत वैश्विक स्तर पर सबसे लंबे समय तक काम करने के मामले में 13वें स्थान पर है. औसत भारतीय कर्मचारी सप्ताह में 46.7 घंटे काम करता है और आधे से ज़्यादा (51 प्रतिशत) हर सप्ताह 49 घंटे या उससे ज़्यादा काम करते हैं.

नकारात्मक पक्ष? बर्नआउट आसमान छू रहा है. एक सर्वेक्षण में पाया गया कि 62 प्रतिशत भारतीय कर्मचारी बर्नआउट का अनुभव करते हैं, जो वैश्विक औसत 20 प्रतिशत से तीन गुना ज़्यादा है.

इसका समाधान क्या है?
यह डेटा बदलाव की जरूरत को दर्शाता है. कार्य-जीवन संतुलन सिर्फ एक चर्चा का विषय नहीं है, यह एक जरूरत है. व्यवसायों, सरकारों और कर्मचारियों को स्वस्थ कार्यस्थल बनाने के लिए मिलकर काम करना चाहिए जहां उत्पादकता और सेहत साथ-साथ चलें.

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