Father of GK: सामान्य ज्ञान हमारे आस-पास की दुनिया के बारे में हमारी समझ को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. यह व्यक्तियों को इतिहास, विज्ञान, राजनीति और संस्कृति जैसे विभिन्न विषयों के बारे में जानकारी रखने में मदद करता है. समय के साथ, कई शिक्षकों और विचारकों ने शिक्षा में सामान्य ज्ञान के महत्व पर जोर दिया है.
हालांकि, एक ऐसी शख्सियत जो विशेष रूप से, सामान्य ज्ञान को बढ़ावा देने और व्यक्तिगत विकास और इसके मूल्य के लिए अपने महत्वपूर्ण योगदान के लिए व्यापक रूप से पहचानी जाती है.
सामान्य ज्ञान के जनक
भिकाजी रुस्तम कामा एक स्वतंत्रता सेनानी, समाज सुधारक और शिक्षा की पक्षधर थी. ज्ञान और जागरूकता फैलाने में उनके बहुत बड़े योगदान के कारण उन्हें 'सामान्य ज्ञान का जनक' कहा जाता है. लेखन और भाषणों के माध्यम से उनके काम ने लोगों को सामाजिक, राजनीतिक और ऐतिहासिक मुद्दों को बेहतर ढंग से समझने में मदद की.
भिकाजी रुस्तम कामा का प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
भिकाजी कामा का जन्म 24 सितंबर, 1861 को मुंबई, भारत में एक धनी पारसी परिवार में हुआ था. उनके माता-पिता ने उनकी शिक्षा का समर्थन किया, जो उस समय महिलाओं के लिए दुर्लभ था. वह ज्ञान के प्रति जुनून के साथ बड़ी हुईं और राजनीति और सामाजिक मुद्दों में उनकी रुचि विकसित हुई.
सामान्य ज्ञान में योगदान
भिकाजी रुस्तम कामा ने विभिन्न माध्यमों से सामान्य ज्ञान के प्रसार में योगदान दिया:
पत्रकारिता और प्रकाशन: उन्होंने बंदे मातरम और तलवार जैसे प्रकाशनों की स्थापना की और उनका संपादन किया. इन मंचों ने लोगों को राजनीतिक, सामाजिक और राष्ट्रीय मुद्दों के बारे में शिक्षित किया.
शिक्षा के लिए वकालत: उन्होंने लिंग या सामाजिक वर्ग की परवाह किए बिना सभी के लिए शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए कड़ी मेहनत की. उनका मानना था कि शिक्षा सभी के लिए बेहतर भविष्य की कुंजी है.
राष्ट्रवादी आदर्श: भीकाजी ने लेखन और भाषणों के माध्यम से लोगों को भारत की स्वतंत्रता के लिए उड़ान भरने के लिए प्रेरित किया. उन्होंने ऐसी जानकारी साझा की जिससे लोगों को अपनी विरासत और देश पर गर्व हुआ.
स्वतंत्रता के ध्वज में योगदान
भिकाईजी के सबसे महत्वपूर्ण योगदानों में से एक 1907 में जर्मनी में एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में भारतीय ध्वज को डिजाइन करना और फहराना था. ध्वज में 'वंदे मातरम' का नारा था और यह भारत के स्वतंत्रता संग्राम का प्रतीक बन गया. इस कार्य ने उन्हें स्वतंत्रता आंदोलन में एक प्रतिष्ठित व्यक्ति बना दिया.
भीकाजी रुस्तम कामा की विरासत
भीकाजी कामा का निधन 13 अगस्त, 1936 को हुआ, लेकिन उनकी विरासत आज भी कायम है. उनके योगदान को मान्यता देते हुए, भारत सरकार ने 1962 में भारत के 11वें गणतंत्र दिवस पर उनके सम्मान में एक स्मारक डाक टिकट जारी किया. इसके अतिरिक्त, भारतीय तटरक्षक बल ने 1997 में एक जहाज का नाम उनके नाम पर ICGS भीकाजी कामा रखा.
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