Dhirubhai Ambani Birth Anniversary: 300 रुपये की नौकरी करने वाले कैसे बने करोड़पति, जानें क्या था धीरूभाई अंबानी का पहला बिजनेस

Dhirubhai Ambani Birth Anniversary: रिलायंस इंडस्ट्रीज के फाउंडर धीरू भाई अंबानी का आज यानी 28 दिसंबर को जन्मतिथि है. गुजरात के एक साधारण परिवार में जन्मे धीरूभाई अंबानी का बचपन बेहद मुश्किल से गुजरा है. उन्हें अपने बचपन में काफी संघर्ष करना पड़ा.

Written by - Ansh Raj | Last Updated : Dec 28, 2023, 12:44 PM IST
  • पेट्रोल पंप पर नौकरी करते थे धीरूभाई
  • 300 रुपये थी महीने की सैलरी
Dhirubhai Ambani Birth Anniversary: 300 रुपये की नौकरी करने वाले कैसे बने करोड़पति, जानें क्या था धीरूभाई अंबानी का पहला बिजनेस

Dhirubhai Ambani Birth Anniversary: रिलायंस इंडस्ट्रीज के फाउंडर धीरू भाई अंबानी का आज यानी 28 दिसंबर को जन्मतिथि है. गुजरात के एक साधारण परिवार में जन्मे धीरूभाई अंबानी का बचपन बेहद मुश्किल से गुजरा है. उन्हें अपने बचपन में काफी संघर्ष करना पड़ा. उन्हें पैसों की इतनी किल्लत थी कि उन्होंने दसवीं की पढ़ाई छोड़ दी थी. इसके बाद धीरूभाई यमन चले गए और वहां पर उन्होंने पेट्रोल पंप पर नौकरी भी की. बता दें कि यहां पर उन्हें 300 रुपये तनख्वाह मिलती थी. आइए जानते हैं उनके बचपन से लेकर कामियाब होने तक की कहानी...

बचपन में थी पैसों की किल्लत...
देश की सबसे बड़ी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज के फाउंडर धीरूभाई अंबानी का बचपन बिल्कुल भी आसान नहीं रहा है. उनके संघर्ष की कहानी आज हर कोई पढ़ना और जानना चाहता है. साधारण परिवार में जन्मे धीरूभाई अंबानी के पास ना तो कोई दौलत थी और ना ही पुश्तैनी जमीन. पैसों की किल्लत से जूझ रहे अंबानी की पढ़ाई दसवीं कक्षा में ही छूट गई. इसके बाद 1948 में 16 साल की उम्र में धीरूभाई अंबानी खाने-कमाने यमन चले गए. यहां पर उन्होंने 300 रु. प्रतिमाह की सैलरी पर पेट्रोल पंप पर नौकरी की. इसके अलावा उन्होंने साल 1950 में अरब मर्चेंट में भी काम किया. 

वापस आ गए थे भारत...
धीरूभाई अंबानी के पिता हीराचंद एक प्राइमरी स्कूल टीचर थे. बता दें कि बिजनेस में आने से पहले उनके पास कोई बैंक बैलेंस नहीं था. यमन में नौकरी करने के बाद धीरूभाई के दिमाग में जॉब के अलावा कुछ बड़ा करने का ख्याल उन्हें परेशान करने लगा. इसी को पूरा करने के लिए साल 1955 में 500 रुपये लेकर वी वापस भारत आ गए थे.

रिलायंस कमर्शियल कॉरपोरेशन
अपने चचेरे भाई चंपकलाल दिमानी की मदद लेकर धीरूभाई अंबानी ने रिलायंस कमर्शियल कॉरपोरेशन कंपनी बनाई थी. इस कमर्शियल कॉरपोरेशन से धीरूभाई अंबानी पश्चिमी देशों से हल्दी, अदरक और मसाले निर्यात करते थे. उनका यह नया कारोबार दुनियाभर में फेमस हो गया और देखते ही देखते धीरूभाई करोड़पति बन गए. बता दें कि उस समय एशिया में पॉलिएस्टर की बहुत ज्यादा डिमांड थी. इसी को देखते हुए उन्होंने साल 1958 में 50 हजार रुपए में पॉलिएस्टर धागे के एक्सपोर्ट-इम्पोर्ट का बिजनेस शुरू किया, जिसके चलते उनको इस काम में सोच से भी ज्यादा मुनाफा होने लगा. 

जब स्टॉक मार्केट रहा था बंद...
कारोबार में तरक्की होने के बाद साल 1958 में धीरूभाई अंबानी ने रिलायंस कमर्शियल कॉरपोरेशन नाम से दफ्तर खोला. इसके कुछ समय बाद उन्होंने विमल ब्रांड की शुरुआत की और नरोदा में कपड़ा मिल शुरू किया.  बिजनेस में फायदा होने के बाद भी धीरूभाई अंबानी रुके नहीं. वो साल 1977 में अपना आईपीओ लेकर आए. इसमें 60 हजार से भी ज्यादा लोगों ने निवेश किया. उनके इस कदम से उन्हें शेयर मार्किट के दलालों ने काफी परेशान किया, लेकिन सभी को नजरअंदाज करते हुए वो निरंतर आगे बढ़ते गए. इस कारण तीन दिन तक स्टॉक मार्केट बंद भी रहा था.  

दस साल और एक कमरे में काटी जिंदगी...
रिलायंस के शेयर आसमान छू रहे थे. सभी दलालों को अंबानी के सामने झुखना पड़ा था. वहीं धीरे-धीरे रिलायंस बड़ा ब्रांड बनकर उभरा और करीब 24 लाख निवेशक उनसे जुड़े. बेहिसाब धन दौलत कमाने के बाद भी धीरूभाई अंबानी अपने परिवार के साथ एक बैडरूम के फ्लैट पर करीब दस साल रहे थे. 

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