नई दिल्लीः राष्ट्रीय राजधानी में बुधवार को 'बीटिंग रिट्रीट' समारोह के दौरान मधुर संगीत और रायसीना हिल्स पर डूबते सूरज के मनमोहक दृश्यों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया. विजय चौक पर आयोजित यह भव्य कार्यक्रम गणतंत्र दिवस समारोह के समापन का प्रतीक है.
बीटिंग रिट्रीट क्या है?
बीटिंग रिट्रीट गणतंत्र दिवस समारोह के समापन का एक पारंपरिक सैन्य आयोजन है. यह हर साल 29 जनवरी को नई दिल्ली में राष्ट्रपति भवन के विजय चौक पर होता है. इसमें थलसेना, नौसेना और वायुसेना के बैंड शानदार संगीत कार्यक्रम प्रस्तुत करते हैं.कार्यक्रम के आखिरी में राष्ट्रपति भवन, नॉर्थ और साउथ ब्लॉक और संसद भवन को रंग-बिरंगी लाइटों से रोशन किया जाता है.
बैंड की धुनों ने मंत्रमुग्ध किया
इस कार्यक्रम में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और अन्य केंद्रीय मंत्री शामिल हुए. 'कदम कदम बढ़ाए जा' और 'ऐ वतन तेरे लिए' से लेकर 'गंगा जमुना' और 'भारत के जवान' तक भारतीय सेना, नौसेना, भारतीय वायु सेना (आईएएफ) और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) के बैंड की धुनों ने लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया. राष्ट्रपति मुर्मू पारंपरिक 'बग्गी' में सवार होकर कार्यक्रम स्थल पर पहुंचीं.
समारोह में ये धुनें बजाई गईं
समारोह की शुरुआत सामूहिक बैंड की 'कदम कदम बढ़ाए जा' के साथ हुई, जिसके बाद 'अमर भारती', 'इंद्रधनुष', 'जय जन्म भूमि', 'गंगा जमुना' की धुनें बजाई गईं. सीएपीएफ बैंड ने 'विजय भारत', 'राजस्थान ट्रूप्स', 'ऐ वतन तेरे लिए' और 'भारत के जवान' बजाया. इसके बाद आर्मी बैंड ने 'वीर सपूत', 'ताकत वतन', 'मेरा युवा भारत', 'ध्रुव' और 'फौलाद का जिगर' जैसी शानदार धुनों ने दर्शकों को प्रभावित किया.
समारोह का समापन बिगुल वादकों द्वारा बजाए गए सदाबहार लोकप्रिय गीत 'सारे जहां से अच्छा' की धुन के साथ हुआ. शाम को रायसीना हिल्स परिसर जीवंत रंगों की रोशनी से चकाचौंध नजर आया. समारोह के मुख्य संचालक कमांडर मनोज सेबेस्टियन थे.
सेना बैंड के संचालक सूबेदार मेजर (मानद कैप्टन) बिशन बहादुर थे, जबकि एस एंटनी, एमसीपीओ एमयूएस द्वितीय, और वारंट ऑफिसर अशोक कुमार क्रमशः नौसेना और आईएएफ बैंड के संचालक थे.
1955 में हुआ था पहला बीटिंग रिट्रीट
भारत में पहला बीटिंग रिट्रीट समारोह 1955 में महारानी एलिजाबेथ द्वितीय और प्रिंस फिलिप की राजकीय यात्रा के दौरान आयोजित किया गया था. तब से यह समारोह एक वार्षिक आयोजन बन गया है, जिसमें भारत की संगीत और सांस्कृतिक विरासत का प्रदर्शन किया जाता है.
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