Swami Prasad Maurya: सपा के महासचिव पद से स्वामी प्रसाद मौर्य का इस्तीफा, कहा- भेदभाव हो रहा

Swami Prasad Maurya: सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव पद से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने अखिलेश यादव को रथ यात्रा निकालने का सुझाव दिया. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Feb 13, 2024, 06:32 PM IST
  • भाजपा छोड़कर सपा में आए थे मौर्य
  • अब सपा के महासचिव पद से इस्तीफा
Swami Prasad Maurya: सपा के महासचिव पद से स्वामी प्रसाद मौर्य का इस्तीफा, कहा- भेदभाव हो रहा

नई दिल्ली: Swami Prasad Maurya: विवादित बयानों को लेकर चर्चा में रहने वाले समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव पद से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने फिलहाल पार्टी सदस्यता से इस्तीफा नहीं दिया है. 

पार्टी नहीं छोड़ी है
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव- 2022 के दौरान ही स्वामी प्रसाद मौर्य भाजपा छोड़कर समाजवादी पार्टी में शामिल हुए थे. उन्होंने अपने इस्तीफे में लिखा है कि पद के बिना भी वो पार्टी को मजबूत करते रहेंगे. इससे ये कयास लगाए जा रहे हैं मौर्य फिलहाल पार्टी में बने रहेंगे. 

'रथ यात्रा निकालें अखिलेश'
स्वामी प्रसाद मौर्य ने अपने इस्तीफे में अखिलेश यादव के लिए सुझाव भी लिखा है. उन्होंने जातिगत जनगणना, आरक्षण बचाने, बेरोजगारी कम करने व संविधान बचाने के लिए सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव को रथ यात्रा निकालने का सुझाव दिया. बता दें कि अखिलेश यादव पहले भी ऐसी यात्रा शुरू करने पर सहमति जता चुके हैं. लेकिन उन्होंने कभी यात्रा शुरू नहीं की. 

मुझे धमकियां मिली हैं
स्वामी प्रसाद मौर्य ने अपने इस्तीफे में कहा कि मैं भारतीय संविधान के निर्देश के क्रम में लोगों को वैज्ञानिक सोच के साथ खड़ा कर हूं. उन्हें सपा से जोड़ने के अभियान में लगा हुआ हूं. इसी अभियान के दौरान मुझे कई धमकियां मिली हैं. गोली मारने, हत्या कर देने, तलवार से सिर कलम करने और जीभ काटने जैसी करीब दो दर्जन धमकियां मिली हैं. हत्या के लिए 51 करोड़ रुपये, 51 लाख, 21 लाख, 11 लाख, 10 लाख जैसी की सुपारी भी दी गई. कई बार जानलेवा हमले भी हुए. लेकिन मैं बाल-बाल बचता चला गया.

मौर्य ने कहा- भेदभाव हो रहा है
स्वामी प्रसाद मौर्य ने अपने इस्तीफे में लिखा कि मैनें अपने तौर-तरीके से पार्टी का जनाधार बढ़ाया. लेकिन BJP के जाल में फंसे लोगों को वापस लाने की कोशिश की तो पार्टी के कुछ नेता इसे मेरा ही निजी बयान बताने लगे. मैं सपा के राष्ट्रीय महासचिव के पद पर हूं, फिर भी मेरा बयान निजी हो जाता है. पार्टी के दूसरे राष्ट्रीय महासचिवों के बयान पार्टी का बयान हो जाते हैं. यदि महासचिव के पद में भेदभाव हो रहा है, तो मैं इस पद का त्याग कर रहा हूं. 

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