नई दिल्ली,Mukhtar Ansari Death: गैंगस्टर से नेता बने मुख्तार अंसारी की बीते गुरुवार 28 मार्च को शाम करीब 8 बजे दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई है. मुख्तार अंसारी बांदा जेल में अपने गुनाहों की सजा काट रहा था. उस पर हत्या से लेकर धोखाधड़ी, हत्या का प्रयास, गैंगस्टर, आर्म्स एक्ट, गुंडा एक्ट समेत अपहरण जैसे अलग अलग गंभीर धाराओं में मुकदमे दर्ज थे. मुख्तार की बांदा जेल में अचानक तबियत बिगड़ गई, जिसके चलते उसे इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती करवाया, जहां उसकी मौत हो गई. आज हम आपको बताते हैं मुख्तार के उस केस के बारे में जिसके कारण उस समय की सपा सरकार यानी कि मुकयम सिंह यादव तक हिल गए थे. पढ़िए खबर विस्तार से...
माफिय मुख्तार अंसारी
माफिया मुख्तार पर जो मुकदमे चल रहे थे उनमे से कई में उसको सजा भी हो गई थी, लेकिन उस पर के मुकदमा ऐसा भी था, जिस केस से मुलायम सरकार के माथे पर भी पसीने आ गए थे. जी हां मुख्तार अंसारी ने विधायक कृष्णानंद राय की हत्या से पहले सेना से चुराई गई एलएमजी खरीदने की योजना बनाई थी. बात दें कि एलएमजी को खरीदने के लिए मुख्तार इतना बेताब था कि उसने एक करोड़ रुपये की डील भी कर ली थी. वहीं पुलिस ने मुख्तार पर शिकंजा कसते हुए उस पर पोटा (POTA) लगाया था.
एक करोड़ में खरीदी थी LMG
साल 2004 में वाराणसी में एसटीएफ चीफ के पद पर शैलेंद्र सिंह तैनात थे. एसटीएफ चीफ को ख़ास मुख्तार अंसारी और कृष्णानंद राय के बीच चल रही अनबन या सीधा कहें कि गैंगवार पर नजर रखने के लिए तैनात किया गया था. एसटीएफ चीफ शैलेंद्र सिंह की जानकारी के मुताबिक उन्हे ये खबर मिली कि मुख्तार लाइट मशीन गन (LMG) खरीदने के लिए किसी से फोन पर बात कर रहा है. इसके बाद उन्होंने बताया कि मुख्तार भगोड़े जवान द्वारा चुराई गई लाइट मशीन किसी भी कीमत पर लाइट मशीन गन खरीदने के लिए तैयार था. शैलेंद्र सिंह का मानना था कि मुख्तार इस एलएमजी का इस्तेमाल कृष्णानंद राय को मौत के घाट उतारने के लिए करना चाहता था.
अंसारी का था दबदबा...
शैलेंद्र सिंह की जानकारी के अनुसार मुख्तार अंसारी ने भगोड़े जवान से को एलएमजी को खरीदने के लिए एक करोड़ रुपये का ऑफर दिया था. राष्ट्रीय राइफल से चुराई गई एलएमजी को यूपी एसटीएफ ने बरामद कर लिया और आरोपी मुख्तार अंसारी पर कार्रवाई करते हुए पोटा एक्ट लगा दिया, लेकिन सपा सरकार यानी कि मुलायम सिंह ने इस केस को रद्द करवा दिया. मुख्तार का उस दौरान इतना दबदबा था कि वो सरकार को भी खुद ही आर्डर दे देता था. उसके रासुक के कारण सरकार को एलएमजी खरीदने वाले केस को बंद करना पड़ा साथ ही जिस अधिकारी ने उस पर कार्रवाई करते हुए पोटा लगया था, उसे दबंगई के चलते अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था.
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