Lal Krishna Advani: 1947 की वो घटना, जिसने लालकृष्ण आडवाणी को कराची छोड़ने पर किया मजबूर

केंद्र सरकार ने भारत के पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित करने का फैसला किया है. इस बात की जानकारी खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स के जरिए दी है. इसके लिए उन्होंने एलके आडवाणी को बधाई भी दी है. लालकृष्ण आडवाणी पाकिस्तान में जन्में दूसरे शख्स हैं, जिन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा. 

Written by - Pramit Singh | Last Updated : Feb 3, 2024, 07:21 PM IST
  • आडवाणी ने पहले अकेले छोड़ा था पाकिस्तान
  • 19 साल की उम्र में छोड़ा था कराची
Lal Krishna Advani: 1947 की वो घटना, जिसने लालकृष्ण आडवाणी को कराची छोड़ने पर किया मजबूर

नई दिल्लीः केंद्र सरकार ने भारत के पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित करने का फैसला किया है. इस बात की जानकारी खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स के जरिए दी है. इसके लिए उन्होंने एलके आडवाणी को बधाई भी दी है. लालकृष्ण आडवाणी पाकिस्तान में जन्में दूसरे शख्स हैं, जिन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा. 

1927 में कराची में हुआ था एलके आडवाणी का जन्म
जितना दिलचस्प भारत की राजनीति में लालकृष्ण आडवाणी का किरदार रहा है. कहीं उससे भी ज्यादा उनके पाकिस्तान से भारत आकर बसने की कहानी है. एलके आडवाणी का जन्म 8 नवंबर 1927 को पाकिस्तान के कराची शहर में हुआ था. वहीं, से उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण की. हालांकि, 1947 में कराची में एक ऐसा कांड हुआ, जिसने आडवाणी को न चाहते हुए भी पाकिस्तान छोड़ने पर मजबूर किया. आइए जानते हैं 1947 के उस घटना के बारे में, जिसने आडवाणी से उनका जन्म स्थान छीन लिया.

ये भी पढ़ेंः भारत रत्न मिलने पर सामने आई लाल कृष्ण आडवाणी की प्रतिक्रिया, कहा- 'यह सम्मान पाकर मैं...'

19 साल की उम्र में छोड़ा था कराची
1997 में एंड्रयू वाइटहेड को दिए अपने इंटरव्यू में एलके आडवाणी बताते हैं कि मेरा जन्म कराची में हुआ और वहीं रहकर मैंने अपनी स्कूल की पढ़ाई पूरी की. जब मैंने कराची छोड़ा तो मेरी उम्र 19 साल थी. उस समय कराची की आबादी 3-4 लाख हुआ करती थी. कराची में मेरे ज्यादातर दोस्त हिंदू थे. कुछ ईसाई, कुछ पारसी और कुछ यहूदी भी थे. आडवाणी आगे बताते हैं कि 1947 आते-आते चीजें काफी तेजी से बदलने लगी थीं और मैं उस समय तक आरएसएस से जुड़ चुका था. उस समय मुस्लिम लीग वहां मजबूत नहीं थी. 

ये भी पढ़ेंः आडवाणी को भारत रत्न मिलने पर कांग्रेस ने दी प्रतिक्रिया, कहा- '10 वर्षों में नहीं मिला वास्तविक सम्मान...'

आडवाणी ने पहले अकेले छोड़ा था पाकिस्तान
आडवाणी कहते हैं कि जब भारत-पाकिस्तान की बंटवारा हो रहा था, तो उनकी फैमिली ने वहीं रहने का फैसला किया था, लेकिन सितंबर 1947 में कराची में एक भीषण बम धमाका हो गया और इसका आरोप RSS के सिर मढ़ दिया गया. तब उनकी उम्र महज 19 साल थी. इस घटना के बाद आडवाणी ने अकेले कराची छोड़ दिया. वे बताते हैं कि उन्हें लगातार कराची छोड़ने की सलाह दी जाने लगी थी. इसी वजह से उन्होंने कराची छोड़ दी और इसके एक महीने बाद ही उनके परिवार वालों ने भी कराची छोड़ दिया. 

ये भी पढ़ेंः Bharat Ratna: पाकिस्तान में जन्में दूसरे शख्स हैं आडवाणी, जिन्हें मिला भारत रत्न

Zee Hindustan News App: देश-दुनिया, बॉलीवुड, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल और गैजेट्स की दुनिया की सभी खबरें अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें ज़ी हिंदुस्तान न्यूज़ ऐप.

ट्रेंडिंग न्यूज़