ब्रिटिश अधिकारी की पत्नी ने निकनेम दिया, पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति के बॉस रहे... जानें भारत के पहले फील्ड मार्शल केएम करियप्पा की कहानी

आज आर्मी डे है. आज ही के दिन 1949 में भारतीय सेना की कमान एक भारतीय ने संभाली थी. इससे पहले अंग्रेज ही सेना की बागडोर संभाल रहे थे. आजाद भारत के पहले कमांडर इन-चीफ केएम करियप्पा ने 15 जनवरी 1949 को जनरल सर फ्रांसिस बुचर से सेना प्रमुख का पद संभाला था. तब से ही इस दिन आर्मी डे मनाया जाता है.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jan 15, 2025, 03:57 PM IST
  • कौन थे केएम करियप्पा?
  • कैसे मिला था किपर नाम
ब्रिटिश अधिकारी की पत्नी ने निकनेम दिया, पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति के बॉस रहे... जानें भारत के पहले फील्ड मार्शल केएम करियप्पा की कहानी

नई दिल्लीः आज आर्मी डे है. आज ही के दिन 1949 में भारतीय सेना की कमान एक भारतीय ने संभाली थी. इससे पहले अंग्रेज ही सेना की बागडोर संभाल रहे थे. आजाद भारत के पहले कमांडर इन-चीफ केएम करियप्पा ने 15 जनवरी 1949 को जनरल सर फ्रांसिस बुचर से सेना प्रमुख का पद संभाला था. तब से ही इस दिन आर्मी डे मनाया जाता है. 

कौन थे केएम करियप्पा?

केएम करियप्पा ने प्रथम विश्व युद्ध के दौरान सेना में प्रशिक्षण लिया था.  साल 1942 में लेफ्टिनेंट कर्नल बने थे. तब वह ये पद हासिल करने वाले पहले भारतीय अधिकारी थी. इसके बाद 1944 में वह ब्रिगेडिर बने थे. उनको बन्नू फ्रंटियर ब्रिगेड के कमांडर पद की तैनाती मिली थी. वहीं 1947 में कश्मीर संकट के दौरान करियप्पा को पश्चिमी कमान का मुखिया बनाया गया था. ये उन्हीं की रणनीतियां थीं जिनके चलते भारत ने जोजिला, द्रास और कारगिल जैसे अहम इलाकों को दुश्मन से वापस हासिल किया था. उनकी रणनीतिक योजना ने नौशेरा और झंगर पर नियंत्रण हासिल करने में अहम भूमिका निभाई थी.

कैसे मिला था किपर नाम

करियप्पा को किपर नाम से भी जाना जाता है. कहा जाता है कि एक ब्रिटिश अधिकारी की पत्नी ने उन्हें किपर नाम दिया था. दरअसल वह फतेहगढ़ में तैनात था. वहां ये ब्रिटिश अधिकारी भी थे. उनकी पत्नी को करियप्पा नाम पुकारने में कठिनाई होती थी तो वह उनको किपर कहती थीं. इसके बाद उनका निकनेम किपर पड़ गया. 

अय्यूब खान के थे बॉस

बताया जाता है कि फील्ड मार्शल केएम करियप्पा बंटवार से पहले पाकिस्तान के पूर्व सेना प्रमुख और राष्ट्रपति जनरल अय्यूब खान के बॉस भी रहे थे. खान ने सेना में रहते हुए केएम करियप्पा के साथ काम किया था. करियप्पा के बेटे केसी करियप्पा ने भी सशस्त्र बलों में सेवा दी थी. 1965 के भारत-पाक युद्ध के दौरान केसी करियप्पा एयरफोर्स में सेवा देते हुए पाकिस्तान के खिलाफ लड़ रहे थे. वह गलती से पाकिस्तान की सीमा में घुस गए थे, जहां उन्हें पकड़ लिया गया.

बेटे की रिहाई की पेशकश ठुकराई

बाद में जब पाकिस्तानी सेना को पता चला कि वह केएम करियप्पा के बेटे हैं तो तुरंत इसकी जानकारी तत्कालीन राष्ट्रपति अय्यूब खान को दी गई. इसके बाद पाक उच्चायुक्त के जरिए केएम करियप्पा को बेटे को छोड़ने की पेशकश देने का संदेश भिजवाया गया. लेकिन केएम करियप्पा ने इससे साफ इनकार कर दिया और उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में बंद सभी भारतीय जवान उनके बेटे हैं. छोड़ना है तो सबको छोड़ा जाए. हालांकि बाद में उन्हें छोड़ दिया गया.

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