नई दिल्लीः भारतीय नौसेना के युद्धपोतों आईएनएस नीलगिरि, आईएनएस सूरत और आईएनएस वाघशीर को बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में मुंबई के नौसेना गोदी (नेवल डॉकयार्ड) में शामिल किया गया. इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि पहली बार एक विध्वंसक, एक युद्ध पोत और एक पनडुब्बी एक साथ नौसेना में शामिल हुए हैं और तीनों ‘मेड इन इंडिया’ हैं.
पीएम मोदी ने मुंबई में तीन नौसेना युद्धपोतों के जलावतरण के बाद कहा कि भारत एक प्रमुख समुद्री शक्ति बन रहा है. भारत को विश्व में विशेषकर 'ग्लोबल साउथ' में एक विश्वसनीय और जिम्मेदार साझेदार के रूप में मान्यता मिल रही है. भारत विस्तारवाद के लिए नहीं, विकास के लिए काम कर रहा है.
उन्होंने कहा कि भारत ने हमेशा एक मुक्त, सुरक्षित, समावेशी और समृद्ध हिंद-प्रशांत क्षेत्र का समर्थन किया है. भारत वैश्विक सुरक्षा, अर्थव्यवस्था और भू-राजनीतिक परिदृश्य को दिशा देने में प्रमुख भूमिका निभाने जा रहा है.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि तटीय समुद्री क्षेत्र, नौवहन की स्वतंत्रता और सुरक्षित व्यापार आपूर्ति लाइनों एवं समुद्री मार्गों की रक्षा करना महत्वपूर्ण है. हमें समुद्र को नशीले पदार्थों, हथियारों और आतंकवाद से बचाने में वैश्विक साझेदार बनना चाहिए और इसे सुरक्षित एवं समृद्ध बनाना चाहिए.
उन्नत विशेषताओं से लैस है आईएनएस नीलगिरि
आईएनएस नीलगिरि परियोजना 17ए स्टील्थ फ्रिगेट श्रेणी का शीर्ष जहाज है जो शिवालिक श्रेणी के युद्धपोतों में महत्वपूर्ण उन्नयन को दर्शाता है. भारतीय नौसेना के वॉरशिप डिजाइन ब्यूरो द्वारा डिजाइन किए गए और मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल) में निर्मित आईएनएस नीलगिरि में उन्नत विशेषताएं हैं. यह आधुनिक विमानन सुविधाओं से परिपूर्ण है और एमएच-60 आर समेत विभिन्न प्रकार के हेलीकॉप्टर का परिचालन कर सकता है.
जानें युद्धपोत आईएनएस सूरत की विशेषताएं
परियोजना 15 बी स्टील्थ विध्वंसक श्रेणी का चौथा और अंतिम युद्धपोत आईएनएस सूरत कोलकाता श्रेणी के विध्वंसक पोतों की अगली पीढ़ी का सदस्य है. इसके डिजाइन और क्षमता में सुधार किए गए हैं और यह नौसेना के सतह पर रहने वाले बेड़े का महत्वपूर्ण सदस्य है. इसे भी आईएनएस नीलगिरि की तरह वॉरशिप डिजाइन ब्यूरो ने डिजाइन किया है और एमडीएल में इसका विनिर्माण किया गया है.
डीजल-विद्युत संचालित पोत है आईएनएस वाघशीर
आईएनएस वाघशीर स्कॉर्पीन श्रेणी की परियोजना 75 के तहत छठा और अंतिम युद्धपोत है. यह बहुभूमिका वाला डीजल-विद्युत संचालित पोत है. तीनों युद्धपोतों का डिजाइन और निर्माण पूरी तरह भारत में हुआ है और इससे देश की रक्षा उत्पादन क्षेत्र में बढ़ती दक्षता रेखांकित होती है.
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