नई दिल्ली: सोशल मीडिया पर देश की न्यायपालिका के खिलाफ दुष्प्रचार का एक और उदाहरण सामने आया है. इस बार ओडिशा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एस मुरलीधर निशाने पर आए हैं. मुख्य न्यायाधीश एस मुरलीधर पिछले कुछ दिनों से फेक न्यूज के निशाने पर हैं. दरअसल जस्टिस मुरलीधर का एक फोटो सोशल मीडिया पर सर्कुलेट किया जा रहा है. इस फोटो के जरिए ये दिखाने की कोशिश की जा रही थी कि जस्टिस मुरलीधर ने ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के निजी सचिव वीके पांडियन आईएएस और कुछ अन्य लोगों के साथ बंद दरवाजे में एक विशेष बैठक की है.
हाईकोर्ट रजिस्ट्री का बयान
मुख्य न्यायाधीश डॉ एस मुरलीधर के खिलाफ सोशल मीडिया में चल रही फर्जी खबरों के खिलाफ अब ओडिशा हाईकोर्ट ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए ना केवल फेक न्यूज का खंडन किया है, बल्कि फोटो को लेकर फैलाए गए भ्रम को भी स्पष्ट किया है. हाईकोर्ट की ओर से जारी किए गए स्टेटमेंट के अनुसार इस फेक न्यूज की शुरुआत एडवोकेट श्रीनिवास मोहंती नाम के एक वकील के फेसबुक अकाउंट से एक फोटो के साथ पोस्ट के जरिए की गयी है.
फेसबुक पर की गयी इस पोस्ट में कहा गया है कि मुख्य न्यायाधीश डॉ एस मुरलीधर ने श्री वीके पांडियन आईएएस, ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के निजी सचिव और कुछ अन्य लोगों के साथ 'बंद दरवाजे में बैठक' की थी. हाईकोर्ट ने स्टेटमेंट में कहा है कि इस पोस्ट के जरिए मुख्य न्यायाधीश के प्रति अविश्वास पैदा करने का प्रयास किया गया है.
क्या बयान जारी किया हाई कोर्ट ने
हाईकोर्ट ने बयान जारी करते हुए कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि ओडिशा हाईकोर्ट में प्रैक्टिस कर रहे एक वकील द्वारा बिना वास्तविक तथ्यों के जाने एक फोटो के जरिए अपमानजनक और झूठे तथ्यों के आधार पर सोशल मीडिया पर फर्जी खबर को वायरल किया गया है.
सत्य साई संस्थान के कार्यक्रम की फोटो
हाईकोर्ट प्रशासन ने वायरल फोटो को लेकर कहा है कि यह फोटो 12 मार्च, 2022 को सत्य साईं सेवा संगठन, भुवनेश्वर में ली गयी थी. जहां पर संस्थान सत्य साईं हृदय अस्पताल द्वारा तीन दिवसीय नि:शुल्क मेगा हार्ट कैंप का उद्घाटन किया जाना था. इस समारोह के मुख्य अतिथि के रूप में सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस एमआर शाह को आमंत्रित किया गया था और डॉ.जस्टिस एस मुरलीधर इस कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि के रूप में आमंत्रित थे.
सुप्रीम कोर्ट जज भी हुए थे शामिल
फोटो की अधिक जानकारी देते हुए हाईकोर्ट प्रशासन ने कहा है कि यह फोटो ऐसे समय में ली गई है जब सभी मेहमान सुप्रीम कोर्ट जज जस्टिस एमआर शाह के आने का इंतजार कर रहे थे. इसी के चलते मुख्य सीट पर मनोज भिमानी बैठे है. हाईकोर्ट ने सख्त शब्दों में बंद दरवाजे की बैठक शब्द का विरोध करते हुए कहा है कि इसलिए यह मुख्य न्यायाधीश और श्री पांडियन के बीच एक बंद दरवाजे की बैठक या 'निजी बैठक' नहीं थी जैसा कि अनुमान लगाया गया है. वास्तव में यह कोई बैठक नहीं थी. यह एक धर्मार्थ संगठन द्वारा किया गया एक सार्वजनिक समारोह था, जिसमें दिल की बीमारियों से पीड़ित ओडिशा के हजारों गरीब बच्चों का मुफ्त इलाज किया जाना था.
इससे पहले भी फैलाई गई थी फेक न्यूज
हाईकोर्ट ने अपने बयान में कहा है कि यह पहली बार नही हैं जब जस्टिस मुरलीधर के खिलाफ फेक न्यूज फैलाई गयी है. दिल्ली दंगों के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट में रहते हुए जस्टिस मुरलीधर द्वारा एफआईआर दर्ज करने के एक आदेश दिए जाने के बाद भी इसी तरह से फेक न्यूज प्रकाशित की गयी थी. जिसमें कहा गया था कि जस्टिस मुरलीधर ने एक वकील के रूप में कांग्रेस नेता सोनिया गांधी को चुनाव नामांकन दाखिल करने में मदद की थी. जबकि उस तस्वीर में दिख रहे वकील जस्टिस मुरलीधर नही होकर कोई अन्य व्यक्ति थे.
हृदयरोगियों का निशुल्क ऑपरेशन करता है संस्थान
श्री सत्य साईं सेवा संस्थान देश का एकमात्र ऐसा संस्थान है जो बच्चों के हृदय रोगों के इलाज के लिए समर्पित है. पूरी तरह निःशुल्क सेवा देने वाले इस अस्पताल में दुनिया भर से आए बच्चों का इलाज किया जाता है. पिछले कुछ सालो में यह संस्थान देश के बाहर भी अपनी पहचान बना रहा है. क्योंकि यह देश का एकमात्र प्राइवेट अस्पताल है जहां दिल का इलाज मुफ्त में होता है. यह पूरी तरह से एक कैशलेस अस्पताल है जहां सिर्फ देश के ही नहीं बल्कि विदेशों से भी लोग अपने बच्चों का इलाज कराने आते हैं.
संस्थान के ट्रस्टी ने भी जारी किया बयान
संस्थान के मैनेजिंग ट्रस्टी मनोज भिमानी ने भी इस खबर को लेकर एक वीडियो जारी किया है. मनोज भिमानी के अनुसार इस संस्थान से देश के पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से लेकर अहमद पटेल और पीएम नरेन्द्र मोदी भी कैंप में शामिल हो चुके है. अब तक इस संस्थान में 22 हजार से ज्यादा हार्ट के निशुल्क ऑपरेशन किया जा चुका है. मनोज भिमानी ने कहा है यह संस्थान केवल सेवा के लिए कार्य रहा है और इसका धार्मिक कार्य से कोई वास्ता नहीं है. मनोज भिमानी ने आह्वान किया है कि सेवा कार्य में लगे संस्थान को लेकर फेक न्यूज विवादों से अलग रखा जाए.
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