Bollywood के दिग्गज कलाकार मिथिलेश चतुर्वेदी का निधन, लखनऊ में ली अंतिम सांस

Mithilesh Chaturvedi बॉलीवुड के वो सितारे हैं जिन्होंने टीवी से लेकर फिल्मों तक सबमें एक्टिंग की. नेगेटिव रोल से लेकर कॉमेडी में वो काफी मंझे हुए थे. बड़े पर्दे पर सपोर्टिंग रोल से उन्हें पहचाना जाता था. उनका फिल्मी सफर बेहद रोचक रहा.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Aug 4, 2022, 11:37 AM IST
  • मिथिलेश चतुर्वेदी को आया था हार्ट अटैक
  • बीमारी से रिकवरी के लिए गए थे लखनऊ
Bollywood के दिग्गज कलाकार मिथिलेश चतुर्वेदी का निधन, लखनऊ में ली अंतिम सांस

नई दिल्ली: बॉलीवुड को फिर एक बार बड़ा झटका लगा है. पॉपुलर फिल्म स्टार मिथिलेश चतुर्वेदी (Mithilesh Chaturvedi) का निधन हो गया है. बताया जा रहा है कि वो लखनऊ में हार्ट संबंधी समस्याओं से जुझ रह थे. कुछ समय पहले ही उन्हें हार्ट अटैक आया था. अपनी सेहत को दुरुस्त करने के लिए वो लखनऊ में रह रहे थे. मिथिलेश 'गदर', 'बंटी और बबली', 'कृष' और 'रेडी' जैसी कमाल की फिल्मों में काम कर चुके हैं. मिथिलेश जितने अच्छे एक्टर थे उतने ही बेमिसाल इंसान भी.

डाउन टू अर्थ एक्टर

फिल्मों में काम कर लेने के बाद हर किसी में अहंकार आना स्वाभाविक है. मिथिलेश चतुर्वेदी हमेशा से खुद को एक छोटा एक्टर कहते थे. शायद यही वजह थी कि वो पर्दे पर बड़े से बड़ा रोल और छोटे से भी छोटा किरदार बड़ी सहजता से कर लेते थे. वो अपने जीवन में एक्टिंग की नींव थिएटर को मानते हैं. उन्होंने काफी छोटी उम्र से थिएटर करना शुरू कर दिया था बस उसी थिएटर ने उन्हें मौका दिया पूरा हिंदुस्तान घूमने का. एक इंटरव्यू में मिथिलेश अपने फिल्मों तक पहुंचने के सफर को लेकर कहते हैं कि 'नदी तैर ली थी, तालाब भी तैर लिए थी फिर सोचा क्यों न समंदर में छलांग लगाई जाए.'

टीवी से की अपने सफर की शुरुआत

समंदर में तो मिथिलेश ने छलांग लगा ली थी पर कुछ नहीं से कुछ पाने का सफर थोड़ा मुश्किल था. जो पहला प्रोजेक्ट इनके हाथ लगा वो था 'उसूल' इसके बाद उन्हें डीडी मेट्रो में 'न्याय' सीरियल करने का भी मौका मिल गया. मिथिलेश कहते हैं कि 'न्याय में जो किरदार मैंने किया वैसा किरदार मुझे दोबारा नहीं मिला.' अच्छे काम की बदौलत उन्हें 'सत्या' और 'भाई भाई' जैसी फिल्मों में जल्द और काम मिल गया.

खुद को मानते थे आलसी

मिथिलेश चतुर्वेदी खुद को बहुत आलसी मानते थे. उनका मानना था कि वो अपनी पीआर करने में बहुत बुरे हैं. वो कहते थे कि उनका पीआर भगवान करते हैं जब भगवान किसी को भेज देते हैं तो वो काम कर लेते हैं. छोटे किरदारों में भी बड़ी छाप छोड़ने की ही वजह से एक दिन राकेश रोशन उन्हें ढूंढते हुए आए. राकेश रोशन ने न जाने कहां से मिथिलेश जी को ढूंढ ही निकाला. उनसे कहते हैं 'आप नहीं जानते आपको ढूंढने के लिए मैंने कुंओं में भी बांस डलवा दिए.'

मिथिलेश चतुर्वेदी लखनऊ को अपने जीवन का सबसे जरूरी हिस्सा मानते थे. उन्हें लगता था कि वो जो भी हैं उसी शहर की रहमत से है. शायद ये उस शहर का ही प्यार था कि उन्होंने अपनी आखिरी सांस भी उसी शहर में ली.

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