नई दिल्ली: तो ये बात है उस दौर की जब लोगों के बीच हिन्दी सिनेमा का एक अलग ही क्रेज देखने को मिलता था. आज हम बात करने जा रहे हैं 1977 में रिलीज हुई फिल्म 'अमर अकबर एंथोनी' के बारे में. फिल्म में अमिताभ बच्चन, विनोद खन्ना, ऋषि कपूर, शबाना आजमी, परवीन बाबी और नीतू सिंह को लीड रोल में देखा गया था. उस दौर में इस फिल्म की कहानी और एक्शन को खूब पसंद किया गया, लेकिन खास लोकप्रियता फिल्म के गाने बटोर ले गए.
दिलचस्प है 'माय नेम इज एंथोनी गोंसाल्वेस' का किस्सा
आज हम इस फिल्म पर बात न करके इसके एक स्पेशल गाने 'माय नेम इज एंथोनी गोंसाल्वेस' की चर्चा करेंगे. हमने इस गाने को स्पेशल क्यों कहा? इस बारे में भी बात करेंगे. दरअसल, इस गाने की शूटिंग के दौरान कई ऐसी दिलचस्प चीजें हुईं, जिन्हें आज भी भूला नहीं जा सकता. यहां तक कि म्यूजिक डायरेक्टर लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल ने अचानक इस गाने के बोल बदलने का फैसला कर लिया था.
'एंथनी फर्नांडिस' था अमिताभ बच्चन के किरदार का नाम
इस गाने पर चर्चा करने से पहले बता दें कि डायरेक्टर मनमोहन देसाई ने फिल्म में पहले अमिताभ बच्चन के किरदार का नाम 'एंथनी फर्नांडिस' रखा था, जिसे बाद में सिर्फ इस एक गाने के कारण बदलना पड़ा. अब इसी नाम को ध्यान में रखते हुए गाने के लेखक 'आनंद बक्शी' ने पूरा गाना भी लिख दिया था.
इसके बाद जब लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल की जोड़ी ने 'एंथनी फर्नांडिस' के साथ ही म्यूजिक बनाना शुरू किया, तो वह अपने ही संगीत से संतुष्ट नहीं हो पाए. बस फिर क्या था म्यूजिक डायरेक्टर की इस जोड़ी ने तुरंत इस सिलसिले में फिल्म के डायरेक्टर मनमोहन देसाई और आनंद बक्शी से 'फर्नांडीज' शब्द को बदलने की बात कही.
म्यूजिक डायरेक्टर प्यारेलाल ने निजी कारण से बदला नाम
अब कशमकश ये थी कि ऐसा क्या नाम रखा जाए जो अमिताभ बच्चन के किरदार और इस गाने पर भी फिट बैठ जाए. इसके बाद लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल ने ही सुझाया कि 'फर्नांडीज' की जगह 'एंथनी गोनसल्वेस' रखा जा सकता है. इसके बाद पूरी फिल्म में ही अमिताभ का नाम बदल दिया गया. हालांकि, शायद ही किसी को पता है कि प्यारेलाल ने अपनी निजी कारण से गाने में इस नाम को बदला था. बात कुछ ऐसी है कि प्यारेलाल ने जब इस गाने के बोल देखे तो उनकी नजर 'एंथनी फर्नांडीज' पर टिक गई, जिसे देखते ही उन्हें अपना वॉयलेन ट्रेनर 'एंथनी गोनसल्वेस' की याद आ गई. यहीं उन्होंने सोचा क्यों न इस गाने के जरिए ही वह अपने गुरू को एक ट्रिब्यूट दें.
भारतीय सिनेमा के पहले म्यूजिक अरेंजर थे 'एंथनी गोन्सवेस'
बता दें कि 'एंथनी गोन्सवेस' भारतीय सिनेमा के पहले म्यूजिक अरेंजर थे और 50-60 दशक में वह खूब मशहूर हुए. वह उस दौर के सभी वाद्य यंत्रों (Music Systems) को बजाने में माहिर थे. प्यारेलाल के अलावा आर.डी. बर्मन साहब भी एंथनी गोनसल्वेस के स्टूडेंट थे. वह अक्सर कहते थे कि उनके म्यूजिक में वेस्टर्न टच उन्हें एंथनी सर के कारण ही मिला.
अमिताभ बच्चन ने गाने में बोली थीं ब्रिटिश प्रधानमंत्री की स्पीच
खैर, अब आगे की बात करें तो इस गाने की शुरुआत में अमिताभ बच्चन अंग्रेजी की कुछ पंक्तियां बोलते हुए नजर आ रहे हैं. इसकी खास बात यह है कि ये लाइन्स कभी गाने का हिस्सा थी ही नहीं और ना ही आनंद बक्शी ने कभी ये बोल लिखे, बल्कि ये लाइन्स तो ब्रिटिश प्रधानमंत्री बेंजामिन डिसरायली (Benjamin Disraeli) ने 1878 में संसद भवन में अपनी एक स्पीच में बोली थीं.
किशोर कुमार ने रखी थी ये शर्त
गीत के बोल और धुन तैयार होने के बाद इस सॉन्ग को गाने के लिए किशोर कुमार को बुलाया गया. पूरा गीत देखने के बाद किशोर कुमार ने रख दी एक मजेदार शर्त. उनकी शर्त वाली बात सुनते ही अमिताभ बच्चन सहित फिल्म डायरेक्टर, म्यूजिक डायरेक्टर और लेखक सभी परेशान हो गए. अब किशोर दा की शर्त थी कि गाने की अंग्रेजी की पंक्तियां अमिताभ बच्चन बोलेंगे, जिसके लिए बिग बी ने कई कोशिशे की और आखिरकार इन पंक्तियों को रिकॉर्ड कर लिया गया.
ऐसे तैयार हुआ 'माय नेम इज एंथनी गोनसल्वेस' गाना
गाने में अमिताभ बच्चन एक बहुत बड़े से अंडे की शेप में बने बॉक्स से निकलते दिखते हैं. हालांकि, पहले उन्हें सिंपल एंट्री करनी थी और गाना शुरू हो जाता, लेकिन ये मामला कुछ जमा नहीं. इसके बाद कोरियोग्राफर कमल के कहने पर अमिताभ के लिए काफी मशक्कत कर एक बहुत अंडा तैयार किया गया और फिर ली उन्होंने दमदार एंट्री. उस समय ईस्टर के दिन भी चल रहे थे, ऐसे में मनमोहन देसाई को भी ये सुझाव अच्छा लगा और इस तरह तैयार हुआ 'माय नेम इज एंथनी गोनसल्वेस' गाना.
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