Uddhav Thackeray: हार के बाद तकरार! उद्धव ठाकरे क्यों छोड़ सकते हैं महाविकास अघाड़ी का दामन?

 Uddhav Thackeray Maharashtra: शिवसेना-UBT के प्रमुख उद्धव ठाकरे पर MVA छोड़ने का दबाव बढ़ रहा है. हालांकि उनके बेटे आदित्य ठाकरे और राज्यसभा सांसद संजय राउत अब भी MVA में रहने की सलाह दे रहे हैं.

Written by - Ronak Bhaira | Last Updated : Nov 28, 2024, 11:28 AM IST
  • उद्धव नहीं छोड़ना चाहते MVA
  • लेकिन पार्टी कैडर का दबाव बढ़ा
Uddhav Thackeray: हार के बाद तकरार! उद्धव ठाकरे क्यों छोड़ सकते हैं महाविकास अघाड़ी का दामन?

नई दिल्ली: Uddhav Thackeray Maharashtra: महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी की बुरी हार के बाद गठबंधन में टूट देखने को मिल सकती है. शिवसेना-UBT के नेता उद्धव ठाकरे MVA को छोड़ सकते हैं. उन पर पार्टी नेताओं का दबाव बढ़ता जा रहा है. वे जल्द ही इसे लेकर कोई बड़ा फैसला कर सकते हैं. अब ये समझना भी जरूरी है कि आखिरकार उद्धव ठाकरे के कार्यकर्ता और नेता उन पर MVA छोड़ने का दबाव क्यों बना रहे हैं?

उद्धव का मन क्या कहता है?
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, उद्धव ठाकरे MVA नहीं छोड़ना चाहते हैं. उनके अलावा पार्टी के कई और दिग्गज नेता भी यही चाहते हैं कि भाजपा विरोधी गठबंधन में रहा जाए. शिवसेना-UBT के विधायक दल के नेता आदित्य ठाकरे (उद्धव के बेटे) और राज्यसभा सांसद संजय राउत का भी यही मानना है कि फिलहाल MVA में रहकर भाजपा की मुखालफत की जाए.

'शिवसेना सत्ता का पीछा करने के लिए नहीं बनी'
शिवसेना-UBT के नेता और विधान परिषद में विपक्ष के नेता अंबादास दानवे ने कहा- हमारे कई विधायकों को लगता है कि अब पार्टी को स्वतंत्र राह चुन लेनी चाहिए, गठबंधन पर निर्भर नहीं रहना चाहिए. शिवसेना का निर्माण सत्ता का पीछा करने के लिए नहीं हुआ. हम अपनी विचारधारा पर अडिग रहेंगे, तो सत्ता तो स्वाभाविक रूप से मिल जाएगी. 

उद्धव क्यों छोड़ सकते हैं MVA?
उद्धव ठाकरे का मन भले MVA में लग गया हो, लेकिन पार्टी कैडर के बढ़ते दबाव को देखते हुए उद्धव कांग्रेस के नेतृत्व वाले गठबंधन को छोड़ने का फैसला भी कर सकते हैं. इसके पीछे क्या कारण हो सकते हैं, चलिए जानते हैं...

1. मूल वोटर खिसका: उद्धव ठाकरे के हाथ से शिवसेना का मूल वोटर खिसक गया है. शिवसेना हिंदुत्व और मराठा पॉलिटिक्स के दम पर सियासत करती रही है. लेकिन अपने सेक्युलर साथियों के लिए उद्धव ने ये राह छोड़ दी. मराठवाड़ा में सबसे अधिक मराठा वोटर हैं. यहां पर 46 सीटें हैं. MVA में रहते हुए उद्धव की पार्टी यहां मात्र 3 सीटें जीत पाई. जबकि शिंदे की शिवसेना ने महायुति में रहते हुए यहां 12 सीटें जीती हैं.

2. कैडर में हताशा: पहले ये माना गया कि एकनाथ शिंदे के साथ पार्टी के दिग्गज नेता ही गए हैं, लेकिन कैडर उद्धव के साथ है. अब विधानसभा चुनाव में स्पष्ट हो गया कि उद्धव ठाकरे के हाथ से कैडर भी निकल चुका है. इसलिए बचे-खुचे कैडर को बचाए रकने के लिए उद्धव उनकी भावना के अनुरूप MVA छोड़ सकते हैं.

3. वोटर्स में खोया भरोसा: उद्धव ने वोटर्स में भरोसा खोया, इसका बड़ा कारण बेमेल गठबंधन को माना जा रहा है. NCP-SP और कांग्रेस से शिवसेना की विचारधारा मेल नहीं खाती, ये बात वोटर जानता है. हिन्दुत्ववादी वोटर ने इसी कारण उद्धव को वोट नहीं दिया. जबकि मुस्लिम वोटर्स को उद्धव की पार्टी पर आगे का भरोसा नहीं है. ऐसे में उद्धव की पार्टी वोटर को टारगेट नहीं कर पाई.

4. BMC चुनाव आखिरी उम्मीद: बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) देश की सबसे अमीर नगर पालिका है. यहां पर बीते 25 साल से अविभाजित शिवसेना का कब्जा है. अब उद्धव की शिवसेना यहां राज करती है. इसे बचाए रखने के लिए उद्धव MVA को झटका दे सकते हैं, ताकि वोटर्स को क्लियर हो जाए के वे अभी भी हार्डलाइन हिंदुत्व की विचारधारा को कैरी करते हैं.

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