नई दिल्लीः Pitru Paksha 2022 हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व माना जाता है. हिंदू धर्म में मृत्यु के बाद मृत व्यक्ति का श्राद्ध किया जाना बेहद जरूरी माना जाता है. माना जाता है कि यदि श्राद्ध न किया जाए तो मरने वाले व्यक्ति की आत्मा को मुक्ति नहीं मिलती है. वहीं ये भी कहा जाता है कि पितृ पक्ष के दौरान पितरों का श्राद्ध करने से वो प्रसन्न हो जाते हैं और उनकी आत्मा को शांति मिलती है.
पितृ पूजा की प्रथा वैदिक काल से चली आ रही है. पितरों की आराधना में लिखे गए ऋग्वेद की एक लंबी ऋचा में यम तथा वरुण का भी उल्लेख मिलता है. ऋग्वेद के द्वितीय छंद में स्पष्ट उल्लेख है कि सर्वप्रथम और अंतिम दिवंगत पितृ तथा अंतरिक्ष वासी पितृ श्रद्धेय है.
धरती पर आते हैं पितर
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार अश्विन कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से अमावस्या तक का समय श्राद्ध पक्ष कहलाता है. इस अवधि में पितरों अर्थात श्राद्ध कर्म के लिए विशेष रूप से निर्धारित किए गए हैं. यही अवधि पितृ पक्ष के नाम से जानी जाती है. पितृ पक्ष में किए गए श्राद्ध कर्म से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है. मान्यता है इन 16 तिथियों पर पितर मृत्यु लोक से धरती पर आते हैं.
जानिए सर्वपितृ श्राद्ध के बारे में
श्राद्ध करने के लिए सबसे पहले जिसके लिए श्राद्ध करना है उसकी तिथि का ज्ञान होना जरूरी है. जिस तिथि को मृत्यु हुई हो, उसी तिथि को श्राद्ध करना चाहिए. लेकिन कभी-कभी ऐसी स्थिति होती है कि हमें तिथि पता नहीं होती तो ऐसे में अश्विन अमावस्या का दिन श्राद्ध कर्म के लिए श्रेष्ठ होता है, क्योंकि इस दिन सर्वपितृ श्राद्ध योग माना जाता है.
दूसरी बात यह भी महत्वपूर्ण है कि श्राद्ध करवाया कहां पर जा रहा है. यदि संभव हो तो गंगा नदी के किनारे पर श्राद्ध कर्म करवाना चाहिए. यदि यह संभव न हो तो घर पर भी इसे किया जा सकता है.
श्राद्ध में इनका रखें खास ध्यान
श्राद्ध पक्ष में पितरों के अलावा ब्राह्मण, गाय, श्वान और कौए को भोजन खिलाने की परंपरा है. गाय में सभी देवी-देवताओं का वास होता है इसलिए गाय का महत्व है. वहीं पितर पक्ष में श्वान और कौए पितर का रूप होते हैं इसलिए उन्हें भोजन खिलाने का विधान है. पितृपक्ष के दौरान इनका खास ध्यान रखने की परंपरा है.
क्यों पितृ पक्ष में श्राद्ध करना जरूरी
जातक को पितृ दोष से मुक्ति मिलती है. पितरों के आशीर्वाद से तरक्की मिलती है. सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. परिवार में शांति बनी रहती है. वंश वृद्धि की रुकावटें दूर होती हैं. आकस्मिक बीमारियों से निजात मिलती है.
(Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Zee Hindustan इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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