Holika dahan puja: शुभ मुहूर्त में होलिका दहन करने से मिलती है सुख-समृद्धि और खुशहाली, जानें नजर दोष से मुक्ति के उपाय

Holika dahan puja: हिंदू धर्म में होली का त्योहार दो दिवसीय होता है. इसकी शुरुआत होलिका दहन से होती है. होलिका दहन फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है. होलिका दहन के दिन होली की पूजा करने से महालक्ष्मी प्रसन्न होती हैं.

Written by - Dr. Anish Vyas | Last Updated : Mar 21, 2024, 10:47 AM IST
Holika dahan puja: शुभ मुहूर्त में होलिका दहन करने से मिलती है सुख-समृद्धि और खुशहाली, जानें नजर दोष से मुक्ति के उपाय

नई दिल्ली: Holika dahan puja: हिंदू धर्म में होली का त्योहार दो दिवसीय होता है. इसकी शुरुआत होलिका दहन से होती है. होलिका दहन फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है. होलिका दहन के दिन होली की पूजा करने से महालक्ष्मी प्रसन्न होती हैं. मान्यता है कि मां लक्ष्मी के साथ सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है. फाल्गुन मास की पूर्णिमा को होलिका दहन किया जाता है. इस बार 25 मार्च को मनेगा. इससे एक दिन पहले 24 तारीख को होली जलाई जाएगी. इस बार भद्रा दोष रहेगा इसलिए शाम की बजाय रात में होलिका दहन होगा. होलिका दहन के समय सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग, बुध आदित्य योग का अद्भुत संयोग बन रहा है.

होलिका दहन रवि, बुधादित्य और सर्वार्थ सिद्धि योग में होगा. होली के बाद से दीपावली तक तेजी का माहौल बना रहेगा. लेकिन बिजनेस करने वालों के लिए अच्छी स्थितियां बनेंगे और फायदे वाला समय रहेगा. विदेशी निवेश में भी वृद्धि होने के योग हैं.  

होलिका दहन पर रहेगा भद्रा का साया 
हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार होलिका दहन के लिए एक घंटा 20 मिनट का ही समय रहेगा. इसकी वजह इस दिन उस दिन भद्रा प्रातः 9 बजकर 55 मिनट से आरंभ होकर रात्रि 11 बजकर 13 मिनट तक भूमि लोक की रहेगी. जो की सर्वथा त्याज्य है. होलिका दहन भद्रा के पश्चात रात्रि 11 बजकर 13 मिनट से मध्य रात्रि 12 बजकर 33 मिनट के मध्य होगा. 

सर्वार्थ सिद्धि योग, बुधादित्य और रवि योग
24 मार्च को सुबह 6:20 बजे से सुबह 11:21 बजे तक रवि योग रहेगा, जबकि सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 7:40 बजे से रात 12:35 बजे तक रहेगा. इसी दिन रात 8:34 बजे से वृद्धि योग शुरू होगा, जो अगली रात 9:30 बजे तक रहेगा. 24 व 25 मार्च को सूर्य व बुध के कुंभ राशि में साथ रहने से बुधादित्य योग भी बनेगा, जो शुभ व मंगलकारी होगा. बुधादित्य योग से लोगों के व्यापार, शिक्षा व नौकरी के क्षेत्र में सफलता मिलेगी. दान-पुण्य करने का भी श्रेष्ठ फल मिलता है. 

 कैसे करें होलिका दहन
होलिका दहन के बाद जल से अर्घ्य दें. शुभ मुहूर्त में होलिका में स्वयं या परिवार के किसी वरिष्ठ सदस्य से अग्नि प्रज्जवलित कराएं. आग में किसी भी फसल को सेंक लें और अगले दिन इसे सपरिवार ग्रहण करें. मान्यता है कि ऐसा करने से परिवार के सदस्यों को रोगों से मुक्ति मिलती है.

शनि-राहु-केतु और नजर दोष से मुक्ति के उपाय 
होलिकादहन करने या फिर उसके दर्शन मात्र से भी व्यक्ति को शनि-राहु-केतु के साथ नजर दोष से मुक्ति मिलती है. माना जाता है कि होली की भस्म का टीका लगाने से नजर दोष तथा प्रेतबाधा से मुक्ति मिलती है. किसी मनोकामना को पूरा करना चाहते हैं तो जलती होली में 3 गोमती चक्र हाथ में लेकर अपनी इच्छा को 21 बार मन में बोलकर तीनों गोमती चक्र को अग्नि में डालकर अग्नि को प्रणाम करके वापस आ जाएं. 

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति घर में भस्म चांदी की डिब्बी में रखता है तो उसकी कई बाधाएं अपने आप ही दूर हो जाती हैं. अपने कार्यों में आने वाली बाधा को दूर करने के लिए आटे का चौमुखा दीपक सरसों के तेल से भरकर उसमें कुछ दाने काले तिल, एक बताशा, सिन्दूर और एक तांबे का सिक्का डालकर उसे होली की अग्नि से जलाएं. अब इस दीपक को घर के पीड़ित व्यक्ति के सिर से उतारकर किसी सुनसान चौराहे पर रखकर बगैर पीछे मुड़े वापस आकर अपने हाथ-पैर धोकर घर में प्रवेश कर लें.

होलिका दहन कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, हिरण्यकश्यप के पुत्र प्रह्लाद भगवान के अनन्य भक्त थे. उनकी इस भक्ति से पिता हिरण्यकश्यप नाखुश थे. इसी बात को लेकर उन्होंने अपने पुत्र को भगवान की भक्ति से हटाने के लिए कई प्रयास किए, लेकिन भक्त प्रह्लाद प्रभु की भक्ति को नहीं छोड़ पाए. हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र को मारने के लिए योजना बनाई. अपनी बहन होलिका की गोद में प्रह्लाद को बैठाकर अग्नि के हवाले कर दिया. लेकिन भगवान की ऐसी कृपा हुई कि होलिका जलकर भस्म हो गई और भक्त प्रह्लाद आग से सुरक्षित बाहर निकल आए, तभी से होली पर्व को मनाने की प्रथा शुरू हुई.

हिमालय पुत्री पार्वती चाहती थीं कि उनका विवाह भगवान शिव से हो जाये पर शिवजी अपनी तपस्या में लीन थे. कामदेव पार्वती की सहायता को आये. उन्होंने प्रेम बाण चलाया और भगवान शिव की तपस्या भंग हो गयी. शिवजी को बड़ा क्रोध आया और उन्होंने अपनी तीसरी आंख खोल दी. उनके क्रोध की ज्वाला में कामदेव का शरीर भस्म हो गया. फिर शिवजी ने पार्वती को देखा. पार्वती की आराधना सफल हुई और शिवजी ने उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया. होली की आग में वासनात्मक आकर्षण को प्रतीकत्मक रूप से जला कर सच्चे प्रेम की विजय का उत्सव मनाया जाता है.

(Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Zee Bharat इसकी पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.)

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