चातुर्मास में भूलकर भी न करें ये कार्य, लेकिन सुख-समृद्धि के लिए जरूर करें ये उपाय

Chaturmas 2022: सनातन धर्म में चातुर्मास का विशेष महत्व है. इसमें आने वाले चार महीने जिसमें सावन, भादो,आश्विन और कार्तिक का महीना आता है. चातुर्मास के चलते एक ही स्थान पर रहकर जप और तप किया जाता है.  

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jul 11, 2022, 06:32 AM IST
  • चातुर्मास में क्यों वर्जित होते हैं शुभ कार्य?
  • चातुर्मास में जरूर करने चाहिए ये काम
चातुर्मास में भूलकर भी न करें ये कार्य, लेकिन सुख-समृद्धि के लिए जरूर करें ये उपाय

नई दिल्लीः Chaturmas 2022: सनातन धर्म में चातुर्मास का विशेष महत्व है. इसमें आने वाले चार महीने जिसमें सावन, भादो,आश्विन और कार्तिक का महीना आता है. चातुर्मास के चलते एक ही स्थान पर रहकर जप और तप किया जाता है. ऐसी मान्यता है कि देवशयनी एकादशी पर भगवान विष्णु पाताल के राजा बलि के यहां चार महीनों के लिए निवास करते हैं और वहीं पर योग निद्रा में रहते हैं. यह ऐसा समय होगा जब सभी शुभ और मांगलिक कार्य वर्जित होंगे.

देवोत्थान एकादशी के साथ चातुर्मास का समापन होगा. देवोत्थान एकादशी समाप्त होते ही फिर से सभी शुभ और मांगलिक कार्यों की शुरुआत कर सकते हैं. कहा जाता है कि देवशयनी एकादशी के बाद भगवान विष्णु प्रबोधिनी एकादशी के दिन जागते हैं. इस साल प्रबोधिनी एकादशी के बाद से आप वापस शुभ कार्य शुरू कर पाएंगे.

चातुर्मास में क्यों वर्जित होते हैं शुभ कार्य?
देवशयनी एकादशी से चातुर्मास की शुरुआत हो जाती है. इस समय का हमारी संस्कृति और शास्त्रों में खास महत्व बताया गया है. कहा जाता है कि जब देवशयनी एकादशी से भगवान विष्णु योगनिद्रा में लीन हो जाते हैं तो आसुरी शक्तियां सक्रिय होने लगती हैं. इसी वजह से शादी, सगाई, गृह प्रवेश, मुंडन आदि जैसे सभी शुभ कार्यों पर रोक लगा दी जाती है, क्योंकि ऐसे समय में इन मांगलिक कार्यों को करना शुभ नहीं मानते हैं.  

साथ ही ऐसी भी मान्यता है कि जब भगवान विष्णु चार महीनों के लिए योग निद्रा में रहते हैं, तो आसुरी शक्तियों से भगवान शिव धरती को बचाते हैं. इसीलिए इन चार महीनों के दौरान भगवान शिव की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं, ताकि उनके आशीर्वाद से जीवन की परेशानियों को दूर कर उसे सुखमय बनाया जा सके.  

चातुर्मास में जरूर करें ये काम
चातुर्मास को हमारे शास्त्रों में आत्म संयम का काल भी कहा जाता है, जिसमें व्यक्ति कुछ कार्यों को नियमित रूप से करना चाहिए. जैसे- चातुर्मास में सुबह जल्दी उठकर नहा धो लें और साफ वस्त्र धारण करने के बाद भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना जरूर करें. पूजा के दौरान विष्णु जी के मंत्रों का जाप करना चाहिए और साथ ही शुद्धता का पूरा ध्यान रखना चाहिए.

भगवान विष्णु को पीली मिठाई का भोग लगाएं और पूजा-पाठ की सामग्री के साथ पीले फल और फूल का अवश्य प्रयोग करें. चातुर्मास के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करें और साथ ही मंदिर में दीप-दान करना भी पुण्य फलदायी होता है.

चातुर्मास में भूलकर भी न करें ये काम
इन महीनों में खान-पान का विशेष ध्यान रखने की सलाह दी जाती है. मांस-मदिरा, लहसुन, प्याज आदि का सेवन इस दौरान ना करें. चातुर्मास के दौरान किसी की निंदा या चुगली आदि ना करें, ना ही किसी को धोखा देना चाहिए.

इन 4 महीनों में कांसे के बर्तन में भोजन ना करें. इसके अलावा चातुर्मास के दौरान शरीर पर तेल लगाना वर्जित होता है. चातुर्मास में मुख्य 4 महीने होते हैं, जिनमें सावन के महीने में साग और हरी सब्जियां, भादो के महीने में दही, आश्विन माह में दूध और कार्तिक माह में दाल खाना वर्जित होता है. साथ ही इस समय यात्रा करने से भी बचना चाहिए.

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