ट्रंप ने शपथ लेते ही किया था साइन, अमेरिका के हाथ खींचते ही कंगाल हुआ WHO? पूरी दुनिया से रो रहा अपना दुखड़ा
Advertisement
trendingNow12643201

ट्रंप ने शपथ लेते ही किया था साइन, अमेरिका के हाथ खींचते ही कंगाल हुआ WHO? पूरी दुनिया से रो रहा अपना दुखड़ा

WHO struggles with U.S: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शपथ लेते ही विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) से अमेरिका को अलग करने के लिए कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए थे. अब जो WHO ने अपना दुख बताया है उससे आने वाले दिनों में एक बड़ा संकट खड़ा हो सकता है. डब्ल्यूएचओ को आखिर अब क्या है परेशानी, अमेरिका से क्या था उसे फायदा?

 

ट्रंप ने शपथ लेते ही किया था साइन, अमेरिका के हाथ खींचते ही कंगाल हुआ WHO? पूरी दुनिया से रो रहा अपना दुखड़ा

WHO: अमेरिका जो WHO का सबसे बड़ा वित्तीय योगदानकर्ता है, इस संस्था से दूरी बना ली है, जिसके बाद से ही पूरी दुनिया में इस संस्‍था के बुरे दिन शुरू होने की अटकलें तेज हो गई थी. अब डब्ल्यूएचओ ने एक परेशानी को खुद ही पूरी दुनिया को बताई है. जो वह इन दिनों सामना कर रहा है. जानें क्या है डब्ल्यूएचओ की समस्या.

अमेरिका  डब्ल्यूएचओ को नहीं दे रहा डेटा
अमेरिका के विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) से हटने के कारण बर्ड फ्लू के प्रकोप से जुड़ी जानकारी साझा करने में कठिनाई हो रही है. डब्ल्यूएचओ के प्रवक्ता क्रिश्चियन लिंडमियर ने जिनेवा में एक प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि अमेरिका के साथ कम्युनिकेशन एक बड़ी चुनौती बन गया है क्योंकि पारंपरिक संपर्क के तरीके अब खत्म हो चुके हैं. हालांकि, उन्होंने इस बारे में ज्यादा जानकारी नहीं दी.

जानें किस पर पड़ेगा इसका असर
अप्रैल 2024 में अमेरिका में एच5एन1 बर्ड फ्लू का प्रकोप सामने आया था, जिसमें अब तक लगभग 70 लोग संक्रमित हो चुके हैं. इनमें ज्यादातर खेतों में काम करने वाले मजदूर हैं. अमेरिकी स्वास्थ्य एजेंसी सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) ने बताया कि अब तक इस वायरस के मानव-से-मानव संक्रमण के कोई सबूत नहीं मिले हैं और आम जनता के लिए जोखिम कम है. लेकिन जो लोग पक्षियों, मुर्गियों या मवेशियों के संपर्क में रहते हैं, उनमें संक्रमण का खतरा अधिक है.

डब्ल्यूएचओ को किस बात की चिंता
डब्ल्यूएचओ से अमेरिका के हटने के फैसले को लेकर चिंता जताई जा रही है, खासकर नई बीमारियों और वायरस के बारे में जानकारी साझा करने के मामले में. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 20 जनवरी को अपने शपथ ग्रहण के दिन एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर कर अमेरिका को डब्ल्यूएचओ से बाहर निकाल दिया.अमेरिकी मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, कुछ देशों ने इस बात को लेकर चिंता जताई है कि अमेरिका भविष्य में वायरस से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी साझा करना बंद कर सकता है. ऐसा होने पर, किसी भी नए वायरस के प्रसार को रोकने में दिक्कतें आ सकती हैं.

बर्ड फ्लू का नया प्रकार अमेरिका में मिला
हाल ही में अमेरिकी राज्य नेवादा में डेयरी मवेशियों में बर्ड फ्लू का एक नया प्रकार मिला है, जिससे स्थिति और भी चिंताजनक हो गई है. वैज्ञानिकों को डर है कि यह संक्रमण और ज्यादा फैल सकता है. 

अमेरिका को डब्ल्यूएचओ से क्या है शिकायत?
ट्रंप प्रशासन का मानना है कि डब्ल्यूएचओ ने कोविड महामारी को सही तरीके से नहीं संभाला और अमेरिका को संगठन को जरूरत से ज्यादा पैसा देना पड़ता था. ट्रंप ने कहा कि अमेरिका से अधिक धन लिया जाता था, जबकि चीन जैसे अन्य बड़े देश कम योगदान देते थे. अमेरिका लंबे समय से डब्ल्यूएचओ का सबसे बड़ा वित्तीय सहयोगी रहा है. 2022 और 2023 में अमेरिका ने संगठन को 1.28 अरब डॉलर दिए, जो जर्मनी के 400 मिलियन डॉलर अधिक था.
डब्ल्यूएचओ को उम्मीद है कि अमेरिका इस फैसले पर फिर से विचार करेगा, जिससे दुनिया भर के लोगों का कल्याण होगा.

अमेरिका का क्या होगा नुकसान
WHO को वित्तीय संकट का सामना करना पड़ेगा, जिससे स्वास्थ्य सेवाएं, टीकाकरण, और महामारी प्रबंधन प्रभावित हो सकता है. यह कदम अमेरिका की अंतरराष्ट्रीय छवि को कमजोर करेगा और चीन जैसे देशों को WHO में प्रभुत्व बढ़ाने का मौका देगा. विकासशील देशों, जो WHO पर निर्भर हैं, को स्वास्थ्य सेवाओं की कमी का सामना करना पड़ेगा. साथ ही, अमेरिका खुद भी वैश्विक स्वास्थ्य निगरानी से बाहर हो सकता है, जो भविष्य की महामारियों के लिए खतरनाक साबित होगा. इनपुट आईएएनएस से भी

Trending news