Ghost Shark: समंदर में मिल गया 'भूत'? वैज्ञानिकों के भी उड़ गए होश; किसी को नहीं हुआ यकीन
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Ghost Shark: समंदर में मिल गया 'भूत'? वैज्ञानिकों के भी उड़ गए होश; किसी को नहीं हुआ यकीन

New Species of Ghost Shark: नई ऑस्ट्रेलेशियन स्पूकफिश खुद में न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया के समंदर के लिए एक नायाब जीव है. भूतिया शार्क (Ghost Sharks) को चिमेरा या स्पूकफिश भी कहा जाता है और शार्क और रेज़ प्रजाति से जुड़ी नरम हड्डी वाली मछली का एक दुर्लभ समूह है.

Ghost Shark: समंदर में मिल गया 'भूत'? वैज्ञानिकों के भी उड़ गए होश; किसी को नहीं हुआ यकीन

Ghost Shark: लंबी नाक और चाबुक जैसी पूंछ. न्यूजीलैंड के गहरे समंदर में एक नई भूतिया शार्क की प्रजाति का पता चला है. शुरुआत में न्यूजीलैंड नेशनल इंस्टिट्यूट फॉर वाटर एंड एटमॉस्फेरिक रिसर्च (Niwa) के वैज्ञानिकों को लगा कि ये मछली मौजूदा वैश्विक प्रजाति का हिस्सा है. लेकिन बात में जब रिसर्च आगे बढ़ी तो पता चला कि यह आनुवांशिक (जेनेटिक) रूप से अलग प्रजाति है. 

समंदर में मिला नायाब जीव

इस नई ऑस्ट्रेलेशियन स्पूकफिश खुद में न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया के समंदर के लिए एक नायाब जीव है. भूतिया शार्क (Ghost Sharks) को चिमेरा या स्पूकफिश भी कहा जाता है और शार्क और रेज़ प्रजाति से जुड़ी नरम हड्डी वाली मछली का एक दुर्लभ समूह है. इनकी चमड़ी नरम, चोंच जैसे दांत और बड़े पेक्टोरल पंख होते हैं. जिस खूबसूरत तरीके से ये पानी में तैरती हैं, उस वजह से इनको समुद्र की तितलियां भी कहा जाता है.

2600 मीटर में पाई जाती है

इनका मुख्य भोजन झींगा और मोलस्क जैसे क्रस्टेशियंस हैं. ये रहस्यमय जीव आमतौर पर 2,600 मीटर तक की गहराई में पाई जाती है और उनके जीव विज्ञान या संभावित खतरों के बारे में बहुत कम जानकारी है. नई प्रजाति की खोज न्यूजीलैंड के तट से लगभग 750 किमी पूर्व में चैथम राइज में की गई.

इसकी मुख्य विशेषता इसकी लंबी नाक है, जो इसके शरीर की आधी लंबाई है और ऐसा माना जाता है कि यह शिकार ढूंढने में इसकी मदद करती है. यह प्रजाति एक मीटर तक लंबी हो सकती है. इसकी चमड़ी चॉकलेटी भूरे रंग की, आंखें बड़ी दूधिया और पीठ पर दांतेदार पंख होते हैं, जो शायद शिकारियों से बचाव के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं.

55 प्रजातियों की हुई है पहचान

वैश्विक स्तर पर, भूतिया शार्क की लगभग 55 प्रजातियों की पहचान की गई है, जिनमें से लगभग 12 न्यूजीलैंड और दक्षिण प्रशांत में पाई जाती हैं. हालांकि टीम को शुरू में संदेह था कि उन्होंने इसकी आकृति विज्ञान के आधार पर एक नई प्रजाति की खोज की है, लेकिन इस अंतर की पुष्टि करने के लिए जेनेटिक टेस्ट की जरूरत थी. पुष्टि का पल फिनुची के लिए रोमांचकारी था.

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