Maulana Fazlur Rehman: पाकिस्तान के धार्मिक नेता और सांसद मौलाना फजलुर्रहमान ने शहबाज शरीफ को खुली वॉर्निंग देते हुए कह दिया है कि अगर सरकार अपना नजरिया नहीं बदला तो जल्द ही 1971 की तरह पाकिस्तान से एक और बांग्लादेश बन सकता है.
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Pakistan News: पाकिस्तान के धार्मिक नेता मौलाना फ़ज़लुर्रहमान ने हाल ही में पाकिस्तान को फिर दो टुकड़ों में बांटने की बात कर दी है. नेशनल असेंबली के सदस्य मौलाना फ़ज़लुर्रहमान ने कहा कि अगर पाकिस्तान की सरकार अपने नजरिये और सोचने की तरीके को नहीं बदलती है तो जल्द ही पाकिस्तान से एक और बांग्लादेश निकल सकता है. मौलाना का यह बयान ऐसे समय में आया जब पाकिस्तान में पहले से ही कई अलगाववादी गुट एक्टिव हैं और वो खुद को देश से अलग करने की मांग कर रहे हैं.
मौलाना फजलुर्रहमान ने इस दौरान 1971 की भारत-पाकिस्तान जंग का भी जिक्र किया, जिसमें बांग्लादेश का जन्म हुआ था. मौलाना ने कहा कि बलूचिस्तान राज्य के पांच से सात जिले स्वतंत्रता की घोषणा कर सकते हैं और अगर ऐसा हुआ तो संयुक्त राष्ट्र (UN) उनकी आज़ादी को कबूल भी कर सकता है. चेतावनी देते हुए अगर पाकिस्तान ने हालात नहीं संभाले, तो बलूचिस्तान में भी 1971 जैसा कुछ हो सकता है.
बलूचिस्तान और ख़ैबर पख्तूनख्वा में बिगड़ते हालात
मौलाना फ़ज़लुर्रहमान ने पाकिस्तान की नेशनल असेंबली (NA) में कहा कि सरकार की पकड़ खासकर खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान में बहुत कमजोर हो गई है. उन्होंने बताया कि इन इलाकों में पिछले 20 सालों से हालात बिगड़ते जा रहे हैं, जिससे बड़ी तादाद में लोग पलायन कर रहे हैं. उन्होंने यह भी कहा कि पंजाब और अन्य प्रांतों में रहने वाले लोग इस गंभीर हालत को नजर अंदाज कर रहे हैं, जो पूरे देश के लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकता है.
मौलाना फ़ज़ल-उर-रहमान ने सरकार और सभी संबंधित पक्षों से अपील की है कि वे जल्द से जल्द कोई समाधान निकालें. उन्होंने चेतावनी दी कि अगर अभी कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो हालात पूरी तरह नियंत्रण से बाहर हो सकते हैं. उनका कहना है कि जब सरकार की पकड़ किसी क्षेत्र में कमज़ोर होती है तो वहां बाहरी ताक़तों का हस्तक्षेप बढ़ जाता है. ख़ासकर जब यह क्षेत्र खनिज संसाधनों (mineral resources) से भरपूर हो, तो यह और भी संवेदनशील हो जाता है.
पाकिस्तान के उत्तर-पश्चिमी हिस्से में मौजूद कुर्रम इलाके में हिंसा की नई लहर देखने को मिल रही है. यह इलाका लंबे समय से सुन्नी और शिया गुटों के बीच संघर्ष का गवाह रहा है. हाल ही में नवंबर से शुरू हुई नई झड़पों में अब तक लगभग 150 लोग मारे जा चुके हैं. यह इलाका पहाड़ी और दुर्गम होने की वजह से बाहरी दुनिया से कट गया है. कई बार संघर्ष विराम (सीज़फायर) की घोषणा की गई, लेकिन हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही.
पिछले हफ्ते एक काफिले पर हमला हुआ था, जिसमें 10 लोग मारे गए और लगभग 6 ड्राइवरों को अगवा कर लिया गया. यह काफिला स्थानीय व्यापारियों के लिए ज़रूरी सामान जैसे चावल, आटा और तेल लेकर जा रहा था. इसमें दवाइयों से भरी दो गाड़ियां भी शामिल थीं.