Rs 40 crore sale of Indian cow sets World Record: अगर हम आपसे पूछे कि एक गाय की कितनी कीमत होती है तो आप क्या जवाब देंगे, दस हजार, एक लाख, दस लाख...बस इतनी ही एक आदमी की कल्पना हो सकती है, लेकिन अगर हम कहें कि दुनिया में भारत की एक गाय की बोली 40 करोड़ की लगी है तो आप अपना माथा पकड़ लेंगे, लेकिन यह सच है. ब्राजील में दुनिया की सबसे महंगी गाय की बोली लगी है. जानें इसकी पूरी कहानी.
Trending Photos
Nellore breed cow named Viatina-19: भारतीय नस्ल की गाय की इन दिनों खूब चर्चा है. जिसने पूरी दुनिया में इतिहास रचा है. विश्व रिकॉर्ड बनाने वाली गाय की कीमत जो भी सुन रहा है चौंक जा रहा है. नेल्लोर नस्ल की इस गाय का नाम वियाटिना-19 है. इस गाय का वजन 1101 किलोग्राम है, जो अपनी ही नस्ल की दूसरी गायों के औसत वजन से दोगुना है. इस गाय को ब्राजील में 4.8 मिलियन डॉलर (लगभग 40 करोड़ रुपये) में खरीदा गया और इस तरह यह अब तक बेची गई दुनिया की सबसे महंगी गाय बन गई है. समझे पूरी खबर.
40 करोड़ की लगी बोली
टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, ब्राजील के मिनास गेरैस में एक नीलामी में 40 करोड़ रुपये की चौंका देने वाली कीमत पाने वाली नेल्लोर नस्ल की गाय वियाटिना-19 कोई साधारण गाय नहीं है. उसने अपनी असाधारण आनुवंशिकी और प्रभावशाली शारीरिक विशेषताओं के कारण पूरी दुनिया में पहचान हासिल किया है.
इतनी महंगी क्यों है ये गाय?
जानवरों के डॉक्टर लोर्रनी मार्टिंस ने एसोसिएटेड प्रेस को बताया कि गाय की चौंकाने वाली कीमत का कारण यह है कि उसने कितनी तेजी से मांसपेशियों का विकास किया, उसकी प्रजनन क्षमता और सबसे महत्वपूर्ण उसने कितनी बार इन विशेषताओं को अपनी संतानों में ट्रांसफर किया है. मार्टिंस ने कहा, “वह अब तक की यह सबसे परफेक्ट गाय है. जो सभी गाय पालने वाले मालिक चाहते हैं.”
मिस साउथ अमेरिका का मिला है खिताब
प्रतिष्ठित "चैंपियंस ऑफ़ द वर्ल्ड" प्रतियोगिता में प्रतिष्ठित "मिस साउथ अमेरिका" का खिताब जीतने के बाद से ही वियाटिना-19 अपनी असाधारण मांसपेशियों की संरचना और दुर्लभ आनुवंशिक वंश के लिए प्रसिद्ध है. इन अद्वितीय गुणों केकारण उसकी पूरी दुनिया में खूब मांग है. उसके भ्रूण दुनिया भर में मवेशी प्रजनन कार्यक्रमों को बढ़ाने के लिए दुनिया भर में बेचे जाते हैं.
बेहतरीन गुणों वाली एक दुर्लभ नस्ल जो भारत में मिलती है
नेल्लोर नस्ल, जिसे भारत में ओंगोल नस्ल के रूप में भी जाना जाता है, लंबे समय से अपनी लचीलापन और अनुकूलनशीलता के लिए प्रसिद्ध है. भारत के आंध्र प्रदेश के ओंगोल क्षेत्र में उत्पन्न ये गायें अत्यधिक तापमान को झेलने की अपनी असाधारण क्षमता के लिए जानी जाती हैं. यह विशेषता उनकी मजबूत प्रतिरक्षा और रोग प्रतिरोधक क्षमता के साथ उन्हें उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में विशेष रूप से मूल्यवान बनाती है. कम से कम देखभाल के साथ कठोर वातावरण में जीवित रहने की नस्ल की क्षमता इसे वैश्विक मवेशी उद्योग में अत्यधिक बेशकीमती बनाती है.
गाय की बनावट पर पूरी दुनिया दीवानी
वियातिना-19 की शारीरिक विशेषताएं बहुत ही दुर्लभ है. आकर्षक सफेद फर, कंधों पर एक प्रमुख कूबड़ और ढीली त्वचा के साथ, वह न केवल सौंदर्य की दृष्टि से प्रभावशाली है, बल्कि गर्मी को संभालने के लिए भी अच्छी तरह से सुसज्जित है. ढीली त्वचा गर्मी को दूर करने में मदद करती है, जबकि कूबड़ वसा भंडारण तंत्र के रूप में कार्य करता है, जिससे गाय भोजन की कमी के समय खुद को बनाए रख पाती है. इस नस्ल को पहली बार साल 1800 के दशक में ब्राजील में पेश किया गया था. अपनी प्रभावशाली मांसपेशियों वाली बनावट और उच्च प्रजनन क्षमता के साथ, इस गाय ने ब्राज़ील में पशुधन की उत्पादकता को बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. जिसकी पूरी दुनिया में चर्चा है.