Indian Americans lead 70% of top 50 US universities: अमेरिका में जब ट्रंप की सरकार आई तो दक्षिणपंथी भारतीय बहुत खुश हुए. लेकिन ट्रंप ने जब अवैध अप्रवासी भारतीयों को जंजीर में जकड़कर भारत भेजा तो हर किसी ने आलोचना की. ट्रंप जिस अमेरिका को महान बनाना चाहते हैं उसके पीछे भारतीय अमेरिका के लोगों का ही हाथ है. अमेरिका में जो बच्चे पढ़ रहे हैं उनके दिमाग में भारतीय का ज्ञान है. फिर भारतीय के बिना ट्रंप अमेरिका को कैसे महान बनाएंगें? इस बात को ट्रंप ने क्या सोचा है?
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Indian Americans pillars of academic excellence: अवैध प्रवासियों को अमेरिका से हथकड़ियां और बेड़ियां पहनाकर वापस भारत आने की तस्वीरें तो आप सबने देखी ही होंगी. अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के दोबारा सत्ता संभालने के बाद अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे भारतीय प्रवासियों के निष्कासन की यह पहली खेप के बाद ही लोग ट्रंप और अमेरिका की खूब आलोचना कर रहे हैं, भारत सरकार पर भी सवाल उठ रहे हैं. ट्रंप और पीएम मोदी के अच्छे रिश्ते होते हुए इस तरह भारतीयों के साथ व्यवहार हो यह जिसने भी देखा सब विचलित हुए. भले ही भारत के विदेश मंत्री यह मानते हो कि जो कुछ भी हुआ वह नियम-कानून के तहत हुआ.
ट्रंप का एक मिशन, अमेरिकी को आगे बढ़ाना
ट्रंप अपने चुनाव से पहले ही एक राग अलाप रहे हैं हम अब अमेरिका में अमेरिकी लोगों को आगे बढ़ाएंगे और देश को आगे बढ़ाएंगे. लेकिन ट्रंप अमेरिका की एक रिपोर्ट को देखना शायद भूल ही गए जो बताता है कि अमेरिका को महान बनाने में सिर्फ अमेरिका का ही हाथ नहीं उसमें सबसे अधिक भारतीयों का भी है. यकीन न हो तो देखें ये रिपोर्ट.
रिपोर्ट में भारतीयों का दिखा दबदबा
टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय अमेरिकी लंबे समय से अमेरिका के शैक्षिक और बौद्धिक परिदृश्य के ताने-बाने में बुने हुए हैं. उनका प्रभाव सिर्फ़ ऐतिहासिक नहीं है बल्कि यह निरंतर जारी है. जो अमेरिकी शिक्षा, शोध और नीति के वर्तमान और भविष्य को आकार दे रहा है. शीर्ष विश्वविद्यालयों और संस्थानों में नेतृत्व की भूमिकाओं में एक शानदार उपस्थिति में भारतीय अपने नाम का डंका बजा रहे हैं. इन भारतीयों के बदौलत अमेरिका को शिक्षा के वैश्विक केंद्र के रूप में पूरी दुनिया में पहचान मिली है.
अमेरिका के शीर्ष 50 विश्वविद्यालयों में से 70% में नेतृत्व की भूमिका में भारतीय-अमेरिकी
यूएस-आधारित समूह इंडियास्पोरा की जून 2024 की रिपोर्ट, जिसका शीर्षक है छोटा समुदाय, बड़ा योगदान, असीम क्षितिज, इस प्रभाव को बताता है. जिसमें शिक्षा, शोध और इनोवेशन को आगे बढ़ाने में भारतीय अमेरिकियों की महत्वपूर्ण भूमिका का उल्लेख किया गया है. विश्वविद्यालय के कुलपतियों से लेकर अग्रणी शोधकर्ताओं तक उनका योगदान आधारभूत रहा है. भारतीयों की प्रतिभा सिर्फ शिक्षा के क्षेत्र में ही नहीं है बल्कि अमेरिका की राजनीति में भी रचा बसा है. ज्ञान देने के रूप में भारतीयों का कोई तोड़ ही नहीं है. तभी तो इंडियास्पोरा की रिपोर्ट बताता है कि 22,000 से ज़्यादा भारतीय-अमेरिकी उच्च शिक्षा संस्थानों में शिक्षण पदों पर हैं. दूसरी ओर, अमेरिका के शीर्ष 50 विश्वविद्यालयों में से 70% में नेतृत्व की भूमिका में भारतीय-अमेरिकी है. इसके अलावा, अमेरिका में 10% चिकित्सक भारतीय हैं.
रिपोर्ट देख ट्रंप को आ जाएगा पसीना
यानी ट्रंप और उनके समर्थक अगर यह रिपोर्ट देखेंगे तो उन्हें पता चलेगा कि जिन भारतीयों के खिलाफ उन लोगों ने मोर्चा खोला हुआ है. वह कितना नुकसान देय है. यह आरोप लगाना कि आईटी इंडस्ट्री में अमेरिकियों की जगह भारतीयों को जॉब पर रखा जा रहा है. भारतीयों ने अमेरिकियों की जॉब खा ली है. फिर H-1B वीजा प्रोग्राम को बंद करने की भी मांग बंद हो जाएगी और ट्रंप को भारतीयों के होने का और अच्छे से अहसास हो जाएगा, जिसके दमपर अमेरिका पूरी दुनिया में खुद को ताकतवर समझ रहा है, उस ज्ञान में भारतीयों का बहुत बड़ा हाथ है.