Trump Ukraine policy: यूरोपीय देशों में चिंता बढ़ गई है कि यदि अमेरिका रूस से सीधी वार्ता करता है तो यूक्रेन और यूरोप के लिए यह घातक हो सकता है. ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टारमर इस बैठक में यूरोप को नाटो में और बड़ी भूमिका देने की वकालत करेंगे.
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Europe emergency meeting: यूक्रेन युद्ध को लेकर अमेरिका और यूरोप के बीच बढ़ते मतभेदों के बीच यूरोपीय नेताओं ने एक आपातकालीन बैठक बुलाई है. यह शिखर सम्मेलन पेरिस में होगा जिसमें ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर सहित कई शीर्ष नेता शामिल होंगे. बैठक का मुख्य एजेंडा रूस-यूक्रेन युद्ध पर अमेरिका की बदलती रणनीति और डोनाल्ड ट्रंप के संभावित कदमों पर चर्चा करना है. यूरोप इस बात को लेकर चिंतित है कि अमेरिका रूस के साथ शांति वार्ता की ओर बढ़ रहा है. जिससे यूक्रेन और यूरोपीय सहयोगियों के हितों पर असर पड़ सकता है.
अमेरिका-रूस वार्ता से असहज यूरोप
असल में हाल ही में ट्रंप की टीम ने संकेत दिए थे कि रूस और अमेरिका के बीच बातचीत हो सकती है. लेकिन इसमें यूरोपीय देशों की भागीदारी नहीं होगी. अमेरिका के विशेष दूत कीथ केलॉग ने कहा कि पहले की वार्ताएं इसलिए विफल हुईं क्योंकि उनमें कई पक्ष शामिल थे. इस बयान के बाद यूरोपीय देशों में चिंता बढ़ गई है कि यदि अमेरिका रूस से सीधी वार्ता करता है तो यूक्रेन और यूरोप के लिए यह घातक हो सकता है.
ब्रिटिश पीएम कीर स्टारमर की पहल
ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टारमर इस बैठक में यूरोप को नाटो में और बड़ी भूमिका देने की वकालत करेंगे. उनका मानना है कि यह यूरोप की सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है. स्टारमर इसी महीने के अंत में अमेरिका भी जाने वाले हैं. जहां वे ट्रंप प्रशासन के अधिकारियों से मुलाकात कर सकते हैं. उनके इस दौरे का मकसद अमेरिका और यूरोप के बीच यूक्रेन मुद्दे पर एकजुटता बनाए रखना है.
रूस से वार्ता की तैयारी में अमेरिका
रिपोर्ट्स के मुताबिक अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो और अन्य वरिष्ठ अधिकारी आने वाले दिनों में सऊदी अरब में रूसी वार्ताकारों से मुलाकात करेंगे. हालांकि यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने कहा है कि उनके देश को इस वार्ता में शामिल होने का कोई निमंत्रण नहीं मिला है. इस बीच जेलेंस्की ने ट्रंप की टीम के साथ काम करने की पुष्टि की है और उम्मीद जताई है कि अमेरिका इस युद्ध को रोकने और शांति बहाल करने में अहम भूमिका निभा सकता है.
यूक्रेन..अमेरिका और यूरोप के लिए परीक्षा की घड़ी
यूरोप के लिए सबसे बड़ी चिंता यह है कि कहीं अमेरिका यूक्रेन के बिना ही रूस के साथ कोई समझौता न कर ले. इससे पहले 2015 में हुआ मिन्स्क समझौता विफल हो चुका है, जिसे फ्रांस और जर्मनी ने मध्यस्थता करके कराया था. यूरोपीय नेताओं को डर है कि अगर अमेरिका रूस से अलग बातचीत करता है तो इससे यूक्रेन के लिए और मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं. अब सभी की नजरें पेरिस में होने वाली बैठक पर टिकी हैं, जहां यह तय होगा कि यूरोप इस संकट से कैसे निपटेगा. एजेंसी इनपुट