Bangladesh Crisis: ढाका में एक बार फिर बड़े पैमाने पर प्रोटेस्ट मार्च, बांग्लादेश में हिंदुओं और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की मांग
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Bangladesh Crisis: ढाका में एक बार फिर बड़े पैमाने पर प्रोटेस्ट मार्च, बांग्लादेश में हिंदुओं और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की मांग

Minority Atrocities Increase In Bangladesh: बांग्लादेश में हिंदुओं और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए एक बार फिर सैकड़ों लोगों ने ढाका में शनिवार को मार्च निकाला. क्योंकि शेख हसीना के निर्वासन और सत्ता पलटने के बाद से बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों, खासकर हिंदुओं के खिलाफ अत्याचार के मामले थम नहीं रहे हैं. लोगों के अलावा हिंदुओं के मंदिरों, व्यवसायों और घरों पर लक्षित हमले लगातार जारी हैं.

Bangladesh Crisis: ढाका में एक बार फिर बड़े पैमाने पर प्रोटेस्ट मार्च, बांग्लादेश में हिंदुओं और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की मांग

March In Dhaka For Protection Of Hindus: बांग्लादेश में शेख हसीन के इस्तीफे और निर्वासन के बाद से अल्पसंख्यकों, खासकर हिंदुओं के खिलाफ अत्याचार के मामले बदस्तूर जारी हैं. हिंदू परिवारों के अलावा घरों, मंदिरों और व्यवसायों पर लक्षित हमले की शिकायतें लगातार सामने आ रही हैं. सैकड़ों प्रदर्शनकारियों ने इसके खिलाफ शनिवार को राजधानी ढाका में मार्च निकाला.

हिंसा और अत्याचारों का सामना करने पर मजबूर अल्पसंख्यक समाज

इस साल अगस्त में शेख हसीना के सत्ता से हटने के बाद हिंसा और धमकियों का सामना करने वाले हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की मांग के साथ निकले प्रदर्शनकारियों के मार्च में काफी लोगों ने हिस्सा लिया. रैली के आयोजकों ने अंतरिम सरकार से अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए कानून बनाने और शासन में अल्पसंख्यकों का न्यूनतम प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के साथ-साथ आठ-सूत्रीय अनुरोध भी किए.

हिंदू नागरिक नेताओं की छलकी पीड़ा, नहीं सुन रही अंतरिम सरकार

हिंदू नागरिक नेता चारु चंद्र दास ब्रह्मचारी ने समाचार एजेंसी एएफपी से कहा, "यह बेहद खेदजनक है कि अंतरिम सरकार की सलाहकार परिषद अल्पसंख्यकों द्वारा झेली गई पीड़ा को स्वीकार नहीं करती है. मैंने हिंदुओं के खिलाफ उनके मंदिरों, व्यवसायों और घरों पर अत्याचार देखे हैं." मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाले अंतरिम प्रशासन ने हिंदुओं के खिलाफ इन घटनाओं को मान्यता दी है और उनकी निंदा की है.

मोहम्मद युनूस की अंतरिम सरकार ने मानी हिंदुओं पर हमले की बात

हालांकि, युनूस सरकार ने यह भी कहा है कि कई हमले धार्मिक रूप से प्रेरित होने के बजाय राजनीतिक रूप से प्रेरित थे. तब से लगातार हो रहे प्रदर्शन लगातार हमलों का संकेत देते हैं और यूनुस के प्रशासन से कार्रवाई की मांग करते हैं. बांग्लादेश में मोहम्मद युनूस की सरकार लोकतांत्रिक सुधारों को लागू करने और नए चुनाव आयोजित करने के लिए जिम्मेदार "सलाहकार परिषद" के रूप में कार्य करती है.

प्रदर्शन में भाग लेने वाले 19 अल्पसंख्यकों लोगों पर राजद्रोह के आरोप 

हाल ही में बांग्लादेश में तनाव तब और बढ़ गया जब चटगाँव में अल्पसंख्यक अधिकारों के लिए पहले हुए प्रदर्शन में भाग लेने वाले 19 व्यक्तियों के खिलाफ़ राजद्रोह के आरोप दर्ज किए गए. अधिकारियों ने इन प्रदर्शनकारियों पर हिंदू धर्म के प्रतीकात्मक रंग भगवा वाले ध्वज को बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज के ऊपर रखकर उसका अनादर करने का आरोप लगाया था. ढाका में विरोध प्रदर्शन के आयोजन समिति के सदस्य चिरंजन गोस्वामी ने कहा, "हमारे नेताओं पर राजद्रोह जैसे झूठे आरोप लगाने से हमें सरकार की मंशा पर संदेह हुआ है." 

मुस्लिम बहुल बांग्लादेश में हिंदू सबसे बड़ा अल्पसंख्यक धार्मिक समूह

मुख्य रूप से मुस्लिम बहुल बांग्लादेश में हिंदू सबसे बड़ा अल्पसंख्यक धार्मिक समूह है, जो आबादी का लगभग आठ प्रतिशत है. बांग्लादेश में मानवाधिकार हनन से जुड़ी कई रिपोर्ट में सूफी तीर्थस्थलों पर हमलों का भी संकेत मिलता है, जिसमें इस्लामी समूहों पर वैकल्पिक इस्लामी प्रथाओं को निशाना बनाने का संदेह है. लंबे समय से बांग्लादेश में एक्टिव और शेख हसीना सरकार के खिलाफ प्रदर्शनों में शामिल जमात ए इस्लामी पर से बैन हटने के बाद से अल्पसंख्यकों के खिलाफ हालात बदतर होते जा रहे हैं. 

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ढाका से पहले चटगाँव में बड़ा प्रदर्शन, आगे भी कई मार्च की घोषणा

ढाका में शनिवार के विरोध प्रदर्शन से पहले चटगाँव में एक बड़ा जमावड़ा हुआ था, जिसमें 10,000 से ज्यादा प्रतिभागी शामिल हुए थे. अल्पसंख्यक समुदाय के नेताओं ने आने वाले हफ्तों में अतिरिक्त प्रदर्शनों की योजना की घोषणा की है. अगस्त में, 77 वर्षीय शेख हसीना हेलीकॉप्टर से भारत पहुंची थीं. क्योंकि शेख हसीना के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों ने ढाका की सड़कों को भर दिया.

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शेख हसीना की सत्ता का नाटकीय अंत, कई अपराधिक मामले दर्ज

इससे प्रधानमंत्री शेख हसीना की सत्ता का एक नाटकीय अंत हो गया था. उनके प्रशासन पर व्यापक मानवाधिकार उल्लंघन के आरोप लगे थे, जिनमें उनके 15 वर्ष के कार्यकाल के दौरान हजारों राजनीतिक विरोधियों की एक्स्ट्रा ज्यूडिशियल हत्याएं भी शामिल थीं.

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