लेबनान में धमाकों के बाद हरकत में आई भारत सरकार! चीन को दिया जोरदार झटका; ला रही नया CCTV Rule
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लेबनान में धमाकों के बाद हरकत में आई भारत सरकार! चीन को दिया जोरदार झटका; ला रही नया CCTV Rule

भारत सरकार ने चीन के जासूसी उपकरणों पर लगाम लगाने का मन बना लिया है. सरकार अब स्थानीय कंपनियों को बढ़ावा देने के नियमों को जल्दी से लागू करेगी

 

लेबनान में धमाकों के बाद हरकत में आई भारत सरकार! चीन को दिया जोरदार झटका; ला रही नया CCTV Rule

भारत सरकार ने लेबनान में चीन के पेजर बम धमाकों के बाद, देश में चीन के जासूसी उपकरणों पर लगाम लगाने का मन बना लिया है. कई सूत्रों ने ईटी को बताया कि सरकार अब स्थानीय कंपनियों को बढ़ावा देने के नियमों को जल्दी से लागू करेगी. एक कंपनी से जुड़े व्यक्ति ने ईटी को बताया, 'पेजर ब्लास्ट को देखते हुए, सरकार अब इन चीजों को बनाने वाले हिस्सों पर बहुत ध्यान देगी.' 8 अक्टूबर से सरकार का नया नियम लागू हो सकता है जिससे चीन की निगरानी कैमरे बनाने वाली कंपनियां भारत में अपना सामान नहीं बेच पाएंगी. इससे भारतीय कंपनियों को फायदा होगा.

सरकार ने मार्च और अप्रैल में कुछ नए नियम बनाए थे, लेकिन अब इन नियमों को जल्दी से लागू किया जाएगा. ऐसा इसलिए किया जा रहा है क्योंकि लेबनान में कुछ चीनी उपकरणों में विस्फोट हो गया था. सरकार अब ऐसे नियम बनाएगी जिससे भारत के लोगों को ही निगरानी कैमरे बेचने का मौका मिलेगा. 

नए नियम से चीनी कंपनियों को होगा नुकसान

एक रिपोर्ट के मुताबिक, CP Plus, Hikvision और Dahua नाम की कंपनियां भारत में 60% से ज्यादा निगरानी कैमरे बेचती हैं. इन कंपनियों को अब भारत में ही इन कैमरों को बनाने और इनमें बदलाव करने की जरूरत है. CP Plus एक भारतीय कंपनी है, लेकिन Hikvision और Dahua चीन की कंपनियां हैं. नवंबर 2022 में, अमेरिका की सरकार ने Hikvision और Dahua के उपकरणों पर बैन लगा दिया था क्योंकि ये कंपनियां अमेरिका की सुरक्षा के लिए खतरा थीं.

अमेरिका लगा चुका है बैन

अमेरिका की सरकार ने कहा कि Hikvision और Dahua कंपनियों के उपकरण अमेरिका की सुरक्षा के लिए खतरा हैं. ऐसा इसलिए कहा गया क्योंकि इन उपकरणों का इस्तेमाल चीन जासूसी के लिए कर सकता था. भारत सरकार ने भी इन कंपनियों के उपकरणों को खरीदने से मना कर दिया है. भारत सरकार अब यूरोप की कंपनियों से उपकरण खरीदना चाहती है. बॉश नाम की कंपनी के उपकरण बहुत महंगे हैं, ये उपकरण चीनी कंपनियों के उपकरणों से 7-10 गुना ज्यादा महंगे हैं.

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