SC On Bulldozer Action: सड़क के बीच में गुरुद्वारा, दरगाह या मंदिर नहीं हो सकता... बुलडोजर जस्टिस पर सुप्रीम कोर्ट की खरी-खरी
Advertisement
trendingNow12454456

SC On Bulldozer Action: सड़क के बीच में गुरुद्वारा, दरगाह या मंदिर नहीं हो सकता... बुलडोजर जस्टिस पर सुप्रीम कोर्ट की खरी-खरी

Bulldozer Action Hearing: सुप्रीम कोर्ट ने  'बुलडोजर जस्टिस' के मामले की सुनवाई के दौरान मौखिक टिप्पणी में साफ कहा, 'अगर सड़क के बीच में कोई धार्मिक संरचना है, चाहे वह गुरुद्वारा हो या दरगाह या मंदिर, यह जनता की राह में बाधा नहीं बन सकती.' 

SC On Bulldozer Action: सड़क के बीच में गुरुद्वारा, दरगाह या मंदिर नहीं हो सकता... बुलडोजर जस्टिस पर सुप्रीम कोर्ट की खरी-खरी

Supreme Court On Bulldozer Justice: सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को 'बुलडोजर जस्टिस' के मामले पर सुनवाई शुरू हुई. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में साफ कहा कि 'बुलडोजर से ध्वस्तीकरण और अतिक्रमण विरोधी अभियान के लिए उसके निर्देश सभी के लिए होंगे, चाहे वे किसी भी धर्म या समुदाय के हों.' 

'बुलडोजर जस्टिस' पर रोक जारी, सुप्रीम कोर्ट ने सुरक्षित रखा फैसला

'बुलडोजर जस्टिस' पर रोक जारी रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अवमानना करने वालों से मुआवजा वसूलेंगे. कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि अगर कानून के मुताबिक एक्शन नहीं पाया गया तो पीड़ितों की संपत्ति वापस की जाएगी. इसका मुआवजा भी दोषी अधिकारियों से वसूला जाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर एक्शन के मामले में फैसला सुरक्षित रखने से पहले कहा कि हम एक धर्मनिरपेक्ष देश हैं और हमारी गाइडलाइन पूरे देश में सबके लिए होगी. चाहे वह मंदिर हो या दरगाह, उसे हटाना ही सही होगा, क्योंकि सार्वजनिक सुरक्षा सबसे पहले है.

'जनता की राह में बाधा नहीं बन सकती कोई धार्मिक संरचना', SC की दो-टूक

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने मौखिक टिप्पणी में साफ कहा, 'अगर सड़क के बीच में कोई धार्मिक संरचना है, चाहे वह गुरुद्वारा हो या दरगाह या मंदिर, यह जनता की राह में बाधा नहीं बन सकती.' सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम यह स्पष्ट कर रहे हैं कि संपत्ति ध्वस्त किए जाने का आधार यह नहीं हो सकता कि कोई व्यक्ति आरोपी या दोषी है. जस्टिस गवई ने मुस्कुराते हुए कहा, 'जब मैं बॉम्बे में था, तब मैंने खुद एक फुटपाथ पर अवैध अतिक्रमण हटाने के आदेश दिए थे. हम अदालतों को यह निर्देश देंगे कि जब अवैध अतिक्रमण के मामले में सुनवाई कर रहे हों तो ध्यान रखें.'

ये भी पढ़ें - Rahul Gandhi: क्या राहुल गांधी के पास थी ब्रिटिश नागरिकता? इलाहाबाद हाई कोर्ट पहुंचे मामले में अब क्या हुआ

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने रखा राज्यों का पक्ष, बेंच ने दी ये सलाह

सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान सरकार का पक्ष रखा. उन्होंने कहा कि एक समुदाय विशेष के खिलाफ बुलडोजर कार्रवाई किए जाने के आरोप लगे हैं. इस पर जस्टिस गवई ने कहा कि हम एक धर्मनिरपेक्ष देश हैं. बहुत सारी चीजों पर ध्यान दिया गया है. अगर कोई आदमी किसी अपराध में दोषी है तो यह बुलडोजर एक्शन का आधार नहीं है. वहीं, जस्टिस विश्वनाथन ने ऑनलाइन पोर्टल बनाने और नोटिस और एक्शन को डिजिटलाइज करने का सुझाव दिया.

ये भी पढ़ें - सरकार विषकन्या होती है, जिसके साथ जाती है उसको डुबाती है.. केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने दिया 'ज्ञान'

बुलडोजर एक्शन मामले की पिछली तीन सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

इससे पहले, 17 सितंबर को जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने कहा था कि उनकी इजाजत के बगैर एक अक्टूबर तक आरोपियों समेत अन्य लोगों की संपत्तियों को नहीं गिराया जाएगा. वहीं, 12 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि बुलडोजर एक्शन देश के कानूनों पर बुलडोजर चलाने जैसा है. तब जस्टिस ऋषिकेश रॉय, जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस एसवीएन भट्टी की बेंच में गुजरात में एक नगरपालिका की धमकी के खिलाफ याचिका पर सुनवाई हो रही थी.

वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने 2 सितंबर को कहा था कि अतिक्रमण को संरक्षण नहीं, लेकिन भले ही कोई दोषी क्यों न हो, फिर भी कानूनी प्रक्रिया का पालन किए बिना ऐसा बुलडोजर एक्शन नहीं किया जा सकता. सुप्रीम कोर्ट ने तब कहा था कि इस मामले से जुड़ी सभी पार्टियां सुझाव देंगी तो हम पूरे देश के लिए गाइडलाइन जारी कर सकते हैं.

Breaking News in Hindi और Latest News in Hindi सबसे पहले मिलेगी आपको सिर्फ Zee News Hindi पर. Hindi News और India News in Hindi के लिए जुड़े रहें हमारे साथ.

TAGS

Trending news