ITR Penalties: टैक्स जानकारों के अनुसार गलत कटौती का दावा करने से आमदनी की गलत रिपोर्टिंग होती है. आयकर अधिनियम, 1961 के तहत किराये की फर्जी रसीदों के आधार पर एचआरए की छूट का दावा करना या गलत दस्तावेजों के आधार पर कटौती का दावा करना गलत रिपोर्टिंग माना जाता है.
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Income Tax Department: आपने भी अगर 31 जुलाई तक आईटीआर (ITR Filing) किया है तो यह खबर आपको जरूर पढ़नी चाहिए. टैक्स एक्सपर्ट की तरफ से हमेशा सलाह दी जाती है कि आपको आयकर रिटर्न दाखिल करते समय टैक्स छूट और कटौती का दावा करते समय सावधान रहना चाहिए. इनकम टैक्स डिपार्टमेंट (Income Tax Department) आपसे चालू वर्ष या पिछले सालों के लिए दायर आईटीआर को प्रोसेस्ड करते समय दावा की गई कटौती और टैक्स छूट के प्रमाण मांग सकता है.
किसी प्रकार की चिंता करने की जरूरत नहीं
यदि आप इससे जुड़े सबूत विभाग को दे सकते हैं तो आपको दावों से जुड़ी किसी भी प्रकार की चिंता करने की जरूरत नहीं है. हालांकि यदि कोई व्यक्ति प्रमाण देने में असमर्थ है या आयकर विभाग आपकी तरफ से दिए गए प्रमाण से संतुष्ट नहीं तो दावे की गई कटौती और टैक्स छूट को अनसर्टिफाई माना जाएगा. इतना ही नहीं ऐसे मामलों में आयकर विभाग की तरफ से आपके ऊपर जुर्माना लगाया जा सकता है.
सैलरीड क्लॉस से मांगे गए थे साक्ष्य
टैक्स जानकारों के अनुसार गलत कटौती का दावा करने से आमदनी की गलत रिपोर्टिंग होती है. आयकर अधिनियम, 1961 के तहत किराये की फर्जी रसीदों के आधार पर अधिक राशि में एचआरए की छूट का दावा करना या गलत दस्तावेजों के आधार पर कटौती का दावा करना आमदनी की गलत रिपोर्टिंग माना जाता है. हाल ही में बताया गया था कि आयकर विभाग की तरफ से सैलरीड क्लॉस व्यक्तियों को नोटिस भेजकर फाइनेंशिय ईयर 2021-22 के लिए दायर आईटीआर के लिए दावे की गई कटौती का प्रमाण मांगा है.
आयकर विभाग कर सकता है ऐसे मामलों की पहचान
चार्टर्ड अकाउंटेंट आशीष मिश्रा ने बताया कि आयकर विभाग ने पाया है कि टैक्सपेयर आईटीआर दाखिल करते समय टैक्स रिफंड का दावा करने के लिए फर्जी कटौती और छूट का दावा कर रहे हैं. आयकर विभाग की तरफ से ऐसे फर्जी लोगों को ट्रैक किया जा सकता है. उदाहरण के लिए यदि किसी ने एचआरए के लिए कटौती का यह दावा किया है कि किराया माता-पिता को भुगतान किया गया है. और यदि माता-पिता आईटीआर में इस किराये की आमदनी को रिपोर्ट करने से चूक गए तो आयकर विभाग ऐसे मामलों की पहचान कर सकता है.
यदि टैक्सपेयर विभाग की तरफ से मांगे जाने पर दस्तावेज उपलब्ध नहीं करा पाता तो आयकर विभाग इनकम की गलत जानकारी देने पर जुर्माना और पेनाल्टी दोनों लगा सकता है. आयकर अधिनियम की धारा 270A के तहत ऐसी गलत रिपोर्ट की गई आमदनी पर देय टैक्स के 200% के बराबर राशि का जुर्माना लगाया जाएगा. आपको बता दें जुर्माने में ब्याज की राशि भी शामिल हो सकती है. इसलिए जरूरी है कि आप आयकर रिटर्न दाखिल करते समय वहीं जानकारी दें जिसका आपके पास पुख्ता प्रमाण है.