Pakistan Cricket: पाकिस्तान क्रिकेट टीम इन दिनों बुरे दौर से गुजर रही है. वर्ल्ड क्रिकेट में इस टीम की फील्डिंग की अक्सर खिल्ली उड़ती सभी ने देखी होगी. लेकिन एक दौर में टीम में एक ऐसा खिलाड़ी था जिसे स्लिप का सिकंदर कहें तो गलत नहीं होगा. हम बात कर रहे हैं पाकिस्तान के पहले गैर-मुस्लिम क्रिकेटर की जिनका आज के दिन ही जन्म हुआ था.
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Pakistan Cricket: पाकिस्तान क्रिकेट टीम इन दिनों बुरे दौर से गुजर रही है. वर्ल्ड क्रिकेट में इस टीम की फील्डिंग की अक्सर खिल्ली उड़ती सभी ने देखी होगी. लेकिन एक दौर में टीम में एक ऐसा खिलाड़ी था जिसे स्लिप का सिकंदर कहें तो गलत नहीं होगा. हम बात कर रहे हैं पाकिस्तान के पहले गैर-मुस्लिम क्रिकेटर की जिन्होंने जन्म आज के ही दिन (4 फरवरी 1935) हुआ था. पाकिस्तान क्रिकेट में कुल 7 गैर-मुस्लिम क्रिकेटर रह चुके हैं, इनमें से एक नाम वालिस मैथियास का था जिनका फील्डिंग को लेकर नाम चलता था.
डेब्यू में किया शानदार प्रदर्शन
मैथियास पर बचपन से ही क्रिकेट का खुमार छाया हुआ था. स्कूली लेवल पर अपने टैलेंट की छाप छोड़ी और महज 20 साल की उम्र में ही पाकिस्तान टीम में भी डेब्यू कर लिया. 1955 में न्यूजीलैंड के खिलाफ अपने डेब्यू में उन्ह 41 रन बनाए. हालांकि, इंटरनेशनल करियर में बहुत लंबे समय तक नहीं रुके. उनका करियर 7 सालों में सिमट गया. 1958 में मैथियास चर्चा में आए थे जब उन्होंने लगातार दो मैच में 74 और 77 रन की शानदार पारियों को अंजाम दिया था.
स्लिप के सिकंदर थे 'मैथियास'
वालिस मैथियास पनी शानदार फील्डिंग के लिए जाने जाते थे. वह स्लिप में खड़े होते थे और एक के बढ़कर के बेहतरीन कैच लपक लेते थे. उन्होंने अपने करियर में 130 कैच लपके. पाकिस्तान के पहले विकेटकीपर इम्तियाज अहमद भी उनकी फील्डिंग के मुरीद नजर आते थे. इम्तियाज ने उनकी स्लिप फील्डिंग की जमकर तारीफ भी खी थी. साल 1963 में प्रैक्टिस के दौरान मैथियास की उंगली में चोट लगी और इसका प्रभाव उनके करियर पर भी पड़ा.
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कैसा रहा करियर?
मैथियास ने पाकिस्तान के लिए 21 टेस्ट मैच खेले, जिसमें उनके नाम 783 रन बनाए. उन्होंने अपने करियर में एक भी शतक नहीं ठोक पाया बल्कि 3 अर्धशतकीय पारियों को अंजाम दिया. हालांकि, फर्स्ट क्लास क्रिकेट में उन्होंने 16 शतकीय पारियां खेली हैं. वह कुछ समय तक पाकिस्तान क्रिकेट के कोच, सेलेक्टर और मैनेजर भी रहे. लेकिन ब्रेन हैमरेज के चलते उनका 59 सल की उम्र में ही निधन हो गया. उन्होंने साल 1994 में अलविदा कह दिया था.