James Webb Space Telescope: जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप की मदद से वैज्ञानिकों ने एक बाइनरी स्टार सिस्टम से बाहर निकलते कार्बन की धूल के गोलों को देखा है.
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Science News in Hindi: James Webb Space Telescope (JWST) ने ब्रह्मांड के एक और रहस्य से पर्दा उठाया है. इसने WR 140 नामक एक बाइनरी स्टार सिस्टम के चारों तरफ कार्बन-युक्त धूल के 17 गोलों की तस्वीरें ली हैं. कार्बन, पृथ्वी जैसे चट्टानी ग्रहों और सौरमंडल के बनने के लिए जरूरी है. यह सिस्टम पृथ्वी से 5,000 प्रकाश वर्ष दूर है. इसमें एक Wolf–Rayet तारा और एक O-टाइप विशाल तारा शामिल हैं. हर 7.9 साल में दोनों तारे करीब आते हैं, जिससे Wolf–Rayet तारा धूल और गैस छोड़ता है.
कैसे बनती है कार्बन-युक्त धूल?
Wolf–Rayet तारा अपने आखिरी दौर में अस्थिर होकर बड़े पैमाने पर पदार्थ खोता है. जब यह सामग्री O-टाइप तारे की तीव्र विकिरण हवा से टकराती है, तो दोनों के बीच टकराव के कारण कार्बन-युक्त धूल बनती है. यह धूल छोटे-छोटे कणों के रूप में जमा होकर गोले या 'शेल्स' बनाती है, जो अंतरिक्ष में 1,600 मील प्रति सेकंड की रफ्तार से फैलते हैं.
पहले इन तारों के चारों ओर केवल कुछ शेल्स देखे गए थे. लेकिन JWST के मिड-इन्फ्रारेड इंस्ट्रूमेंट (MIRI) ने इनका विस्तार से स्टडी कर 17 संकेंद्रित गोले दिखाए. सबसे पुराना शेल 130 साल पुराना है. इनमें से कुछ गोले हमारे पूरे सौरमंडल जितने बड़े हैं. वैज्ञानिकों का मानना है कि WR 140 आने वाले लाखों वर्षों तक और गोले बनाता रहेगा.
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भविष्य में इसका क्या होगा?
Wolf–Rayet तारे का द्रव्यमान हमारे सूर्य से 10 गुना अधिक है. यह तारा आखिरकार सुपरनोवा के रूप में विस्फोट करेगा या ब्लैक होल में बदल सकता है. अगर सुपरनोवा से निकलने वाली ऊर्जा इन कार्बन-युक्त शेल्स को नष्ट नहीं करती, तो ये ब्रह्मांड में फैलकर नए तारे और ग्रह बनाने के लिए कच्चा माल प्रदान करेंगी.
खगोलशास्त्री रयान लॉ ने कहा, 'एक बड़ा सवाल यह है कि ब्रह्मांड में सारी धूल आती कहां से है. अगर यह कार्बन-युक्त धूल बच जाती है, तो यह हमारे लिए इस सवाल का उत्तर हो सकती है.'
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JWST की इन तस्वीरों ने दिखाया कि कैसे बाइनरी स्टार सिस्टम कार्बन-युक्त धूल का निर्माण और प्रसार करते हैं. प्रोफेसर जेनिफर हॉफमैन ने कहा, "कार्बन चट्टानी ग्रहों और सौरमंडलों के निर्माण के लिए जरूर है. यह देखना रोमांचक है कि ये तारे न केवल धूल बनाते हैं, बल्कि इसे हमारी आकाशगंगा में फैलाते भी हैं.'