Science News: भारतीय साइंटिस्ट इशिता बनर्जी और उनके सुपरवाइजर सौगात मुजाहिद ने एक बेव फिलामेंट की खोज की है. यह वेब फिलामेंट 850,000 लाइट ईयर्स तक फैला है. यह खोज VLT के जरिए संपर्क हो पाई है.
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Science News: पुणे के इंटर यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी और एस्ट्रोफिजिक्स ( IUCAA) की एक टीम का नेतृत्व करने वाली सांइटिस्ट इशिता बनर्जी और उनके सुपरवाइजर सौगात मुजाहिद ने एक 11.7 अरब पहले उत्सर्जित हुई रोशनी का विश्लेषण करके 850,000 लाइट ईयर्स तक फैले एक विशाल कॉस्मिक बेव फिलामेंट की खोज की है. यह खोज चिली स्थित एक विशाल टेलिस्कोप ( VLT) के जरिए संभव हो पाई, जिसका संचालन यूरोपियन सदर्न ऑब्जर्वेट्री ( ESO) की ओर से किया जाता है.
मुश्किल है फिलामेंट को ऑब्जर्व करना
गैलक्सी ब्रह्मांड के बिल्डिंग ब्लॉक होते हैं. वहीं मॉडर्न गैलक्सी इवोल्यूशन से जुड़ी कुछ थ्योरी का मानना है कि गैलक्सी बेहद बड़े, अदृश्य गैस की भांप और डार्क मैटर से इंटरकनेक्टेड होती है, जिन्हें कॉस्मिक वेब कहा जाता है. ये कॉस्मिक फिलामेंट्स गैलक्सी के लिए नर्सरी का काम करते हैं, जहां गैलक्सी तारों के निर्माण के लिए ईधन देने वाली गैस को इकट्ठा करके आगे बढ़ती हैं, हालांकि इन फिलामेंट का नेचर कोमल होने और हमारे वायुमंडल से इसका घनत्व 100 अरबो-खरबों गुना कम होने के कारण इसे ऑब्जर्व करना बेहद मुश्किल है.
वेब फिलामेंट का लगाया पता
बनर्जी ने कहा,' VLT पर मल्टी-यूनिट स्पेक्ट्रोस्कोपिक एक्सप्लोरर ( MUSE) के साथ एक ऑब्जर्वेशन में टीम ने एक ही रेडशिफ्ट पर 7 लाइमन-अल्फा एमिटिंग गैलक्सी की पहचान की है. ब्रह्मांड के इतने छोटे हिस्से में पाई गई गैलक्सी की संख्या इस युग में सर्वे में आमतौर पर देखी जाने वाली संख्या से दस गुना ज्यादा है.' शोधकर्ताओं ने इस संरचना का पता करने के लिए अपने टेलीस्कोप को हाई रेडशिफ्ट क्वासर Q1317-0507 की ओर डायरेक्ट किया. इस दौरान उन्होंने Z~ 3.6. पर एक हाइड्रोजन रिच इलाके का पता किया, जिसे पार्शियल लेमेन लिमिट सिस्टम (pLLS) बोला जाता है. ये इलाके में हेवी मेटल्स का असाधारण रूप से कम अनुपात प्रदर्शित हुआ. इसकी मेटालिसिटी सोलर नेबरहुड से 10,000 गुना कम थी, जो प्राचीन कॉस्मिक फिलामेंट्स के लिए सैद्धांतिक भविष्यवाणी से संरेखित थी.
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रिसर्च में मिली ये खासियत
रिसर्च को लेकर IUCAA के एसोशिएट प्रोफेसर मुजाहिद ने कहा,' ये नेबुला आमतौर पर चमकदार कासर के आसपास देखे जाते हैं, जिनका तेज रेडिएशन आसपास की गैस को रोशन करता है, हालांकि स्टडी में पाई गई किसी भी गैलक्सी में कासर जैसे गुण नहीं पाए गए, जिससे यह खोज वास्तव में असाधारण बन गई.' बता दें कि इस रिसर्च को प्रतिष्ठित एस्ट्रोफिजिकल जर्नल लेटर की ओर से 29 जनवरी 2025 को स्वीकार किया गया है.