Coronal Hole: उगते और ढलते सूरज कितना अच्छा लगता है, लेकिन आग के दहकते इस गोले में बड़ा छेद बन गया है जिसकी वजह से सौर लपटें धरती की तरफ आ रही हैं. क्या इसकी वजह से हम किसी बड़ी तबाही की तरफ तो आगे नहीं बढ़ रहे हैं. इस संबंध में शोधकर्ताओं की राय अलग अलग है.
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Coronal Hole in Sun: क्या सूरज की तरफ से एक बड़ी तबाही दस्तक देने जा रही है. यह सवाल इसलिए शोधकर्ताओं को परेशान कर रहा है क्योंकि सूरज में एक बड़ा छेद दिखाई दे रहा है, वैसे तो सूरज में अनगिनत छेद समय समय पर बनते रहते हैं. लेकिन इस दफा को जो छेद बना हुआ है उसका आकार 60 धरती से अधिक चौड़ा है. इसका अर्थ यह है कि छेद का आकार धरती के आकार से 60 गुना बड़ा है. इस छेद से सोलर विंड सीधे पृथ्वी की तरफ आ रही है. वैज्ञानिकों के अनुसार सूर्य का विशाल काला धब्बा जिसे कोरोनल होल के रूप में जाना जाता है वो 2 दिसंबर को सूर्य के भूमध्य रेखा के पास दिखाई दिया. यही नहीं 24 घंटों में यह लगभग 800,000 किलोमीटर की अपनी अधिकतम चौड़ाई तक पहुंच गया.
सूरज में बड़ा छेद
एस्ट्रोनॉमर के मुताबिक 4 दिसंबर से सूर्य में बड़ा शून्य सीधे पृथ्वी की ओर ताकझांक कर रहा है. पहले विशेषज्ञों द्वारा यह भविष्यवाणी की गई थी कि यह सबसे हालिया छेद एक मध्यम (जी 2) भू-चुंबकीय तूफान का कारण बन सकता है, जो रेडियो ब्लैकआउट को ट्रिगर कर सकता है. स्पेस वेदर के मुताबिक सौर हवा अपेक्षा से कम तीव्र रही और इस वजह से तूफान अब तक कमजोर रहा है. यह अभी साफ नही है कि इस छेद को सूर्य से गायब होने में कितना समय लगेगा. एनओएए के मुताबिक पिछले रिकॉर्ड के अनुसार कोरोनल छेद 27 दिन से अधिक समय तक बने रहे. हालांकि यह छेद बहुत जल्द ही पृथ्वी से दूसरी दिशा में घूम जाएगा.
इस तरह बनते हैं कोरोनल होल
जब सूर्य को एक स्थान पर रखने वाले चुंबकीय क्षेत्र अचानक खुल जाते हैं और सूर्य की ऊपरी सतह में मौजूद सामग्री सौर हवा के रूप में दूर चली जाती है, तो कोरोनल छिद्र बनते हैं. कोरोनल छेद सूर्य पर काले धब्बे की तरह दिखते हैं क्योंकि वे आसपास के प्लाज्मा की तुलना में कम घने और ठंडे होते हैं. सनस्पॉट काले क्यों दिखाई देते हैं. सनस्पॉट के विपरीत कोई कोरोनल छिद्र तब तक नहीं देख सकता जब तक कि उन्हें पराबैंगनी प्रकाश में न देखा जाए.एनओओए के अनुसार कोरोनल छिद्रों से निकलने वाला रेडिएशन सामान्य सौर हवा की तुलना में बहुत तेज होती हैं. ये अक्सर पृथ्वी के चुंबकीय ढाल में गड़बड़ी पैदा करती हैं, जिन्हें भू-चुंबकीय तूफान कहा जाता है. आखिरी कोरोनल होल जो मार्च में देखा गया था.पिछले छह वर्षों में पृथ्वी पर आने वाला सबसे शक्तिशाली भू-चुंबकीय तूफान था.