Mukhagni Ritual After Death: सनातन धर्म में मृत्यु के बाद अंतिम संस्कार किया जाता है. उस दौरान मृतक का पुत्र मुखाग्नि देता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि अंतिम संस्कार में बेटा ही मुखाग्नि क्यों देता है.
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Mukhagni Ritual: सनातन धर्म में मृत्यु के बाद अंतिम संस्कार करने की परंपरा है. अंतिम संस्कार के दौरान मृतक को मुखाग्नि दी जाती है. आपने अक्सर देखा होगा कि अंतिम संस्कार के दौरान मृतक का पुत्र मुखाग्नि देता है, लेकिन क्या कभी आपने सोचा कि आखिर मृतक का अंतिम संस्कार हमेशा बेटा ही क्यों करता है. हालांकि, अंतिम संस्कार का जिक्र पुराणों में भी मिलता है. आइए जानते हैं इस बारे में गरुड़ पुराण क्या कहता है.
वंश परंपरा का हिस्सा
गरुड़ पुराण के अनुसार, घर में किसी सदस्य की मृत्यु होने पर सिर्फ बेटे, भाई, या किसी पुरुष को ही अंतिम संस्कार का अधिकार दिया गया है. हालांकि, इसका एक खास कारण भी है. दरअसल सनातन धर्म में अंतिम संस्कार को वंश परंपरा का हिस्सा माना गया है. यही वजह है कि अंतिम संस्कार का अधिकार सिर्फ उन्हें दिया गया है, जो आजीवन वंश से जुड़े रहेंगे.
बेटी क्यों देती मुखाग्नि
चूंकि, बेटी या लड़की विवाह के बाद किसी दूसरे परिवार जुड़ जाती है. इसलिए उन्हें मृतक को मुखाग्नि देने का अधिकार नहीं दिया गया है. जबकि, दूसरी मान्यता ये है कि मृत्यु के बाद परिवार के लोग पितृ बन जाते हैं और किसी भी सदस्य के अंतिम संस्कार में वंश की भागीदारी होना अनिवार्य है. इसलिए सनातन धर्म में सिर्फ पुत्र ही अंतिम संस्कार कर सकता है. हालांकि, कुछ मामलों में अगर बेटा या भाई ना हो तो बेटियां भी अंतिम संस्कार कर सकती हैं.
धर्मशास्त्रों के अनुसार, पुत्र शब्द का संधि विच्छेद करने पर इसका एक खास अर्थ निकलता है. पु यानी नरक और त्र यानी त्राण. ऐसे में पुत्र का अर्थ हुआ नरक से निकाल देने वाला. यही वजह है कि घर में मृतक को मुखाग्नि के लिए पुत्रों को प्राथमिकता दी जाती है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)