Shiv Mandir: शिवजी के 8 अद्भुत स्वरूपों के एक बार में दर्शन, दुनिया में इकलौती है भोले बाबा की यह सुंदर प्रतिमा
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Shiv Mandir: शिवजी के 8 अद्भुत स्वरूपों के एक बार में दर्शन, दुनिया में इकलौती है भोले बाबा की यह सुंदर प्रतिमा

Shiv Temple of Mandsaur: क्या आपको पता हैं कि मध्य प्रदेश के मंदसौर में एक अनोखा शिव मंदिर है जिसकी खास बात आपको पूरी तरह से हैरान कर देगी. शिवजी के आठ स्वरूपों के दर्शने वाले इस से जुड़ी एक से एक चौंकाने वाली बातें हैं. आइए इस बारे में विस्तार से जानते हैं.

Who built Shiv Temple of Mandsaur

history of Pashupatinath Temple: शिवजी के अनेकों रूप हैं, रौद्र, सरल, शांत और इन सभी स्वरूप की अलग अलग महिमा बताई गई है. लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि एक ऐसा भी मंदिर है जहां पर स्थापित शिवजी की मूर्ति के जैसी दूसरी मूर्ति पूरी दुनिया में कहीं और नहीं है. दरअसल, मध्य प्रदेश के मंदसौर में एक ऐसा मंदिर है जहां शिवजी (Pashupatinath Temple Mandsaur) के आठ स्वरूपों के एक साथ दर्शन किए जा सकते हैं. जी हां इस मंदिर में शिव जी की अष्टमुखी मूर्ति विराजमान है. 

कैसे आक्रमणकारियों से बचाया गया
मंदसौर का यह मंदिर शिवना नदी के घाट पर है. बरसात के मौसम में मंदिर के भीतर पानी चला जाता है. मंदिर नदी के घाट पर ही है ऐसे में श्रद्धालु जब भी यहां आते हैं तो नदी में स्नान जरूर करते हैं. मंदसौर के इस मंदिर का पवित्र शिवना नदी से विशेष संबंध हैं. माना जाता है कि जब भारत में आक्रमण हुआ करते थे तब विदेशी ताकतों ने देश के कई मंदिरों को क्षति पहुंचाई. लेकिन तब इस शिवलिंग को शिवना नदी में ही छुपाया गया ताकि आक्रमणकारियों से बचाया जा सके. इस मंदिर की मूर्ति को नही से 1940 में बाहर निकाला गया. 

इतिहास हैरान कर देगा
मूर्ति का निर्माण कब हुआ इसके बारे में स्पष्ट जानकारी नहीं मिलती है. लेकिन कुछ रिपोर्ट्स 575 ई. में इसके बनने की जानकारी देती हैं. शिव जी के मुख्य चार मुख पहले और बाकी के मुख बाद में बनाया गया. शिवजी की इस मूर्ति के आठों मुख जीवन की सभी अवस्थाएं का वर्णन करते हैं. पूर्व से बालमुख शुरू हो रहा है और दक्षिण आते हुए किशोर, युवा और आखिर में वृद्धावस्था को दर्शाने वाला वाला मुख दर्शाया गया है. मूर्ति का वजन 4600 किलो है जिसे दो हिस्सों में बनाया गया है. 

प्रतिमा को जागृत माना गया है
भगवान शिव की इस प्रतिमा को जागृत माना गया है. इस प्रतिमा को देखकर लगता है कि यहा केवल एक प्रतिमा नहीं बल्कि साक्षात् शिव हैं जिनके अलग अलग भाव स्पष्ट रूप से देखे जा सकते हैं. इसमें शिव जी शर्व, भव, रुद्र, उग्र के साथ ही भीम, पशुपति, ईशान व महादेव के रूप दर्शा रहे हैं. शिव जी के अद्भुत स्वरूपों को दर्शाने वाली इस प्रतिमा को अष्ट तत्वों से बनाया गया है. विशेष ये है कि जिस भी तरफ से शिव जी को देखे वो अलग दिखाई पड़ते हैं. नेपाल के पशुपतिनाथ जी से इस मूर्ति की तुलना की जाती है, इसे पशुपतिनाथजी का रूप माना जाता है. मंदिर के खुलने का समय सुबह 6 बजे है. पहली आरती सुबह 7.30 बजे की जाती है और मंदिर रात को साढ़े नौ बजे बंद किया जाता है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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