Mahavir Jayanti 2024: महावीर जयंती जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी के जन्मदिवस के रूप में मनाई जाती है. हिन्दू पंचांग के अनुसार चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धूमधाम से महावीर जंयती मनाई जाती है. यह जैन धर्म का सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक माना जाता है. इस साल महावीर जयंती 21 अप्रैल 2024 यानी आज पूरे देशभर में मनाई जा रही है. इस अवसर पर मंदिरों में भगवान महावीर की विशेष पूजा-अभिषेक किया जाता है.
भगवान महावीर ने त्याग, अहिंसा, सदाचार और सत्य जैसे मूल्यों का उपदेश दिए थे. ये उपदेश आज भी लोगों के जीवन की सही राह पर चलना सीखा रही हैं. महावीर जयंती के अवसर पर आज हम आपको जैन समाज के आचार्यों द्वारा दी गई सीख के बारे में बताएंगे.
आचार्य जी के मुताबिक विद्यार्थियों को कभी भी सुख-सुविधाओं का आदी नहीं होना चाहिए. जीवन में कोई भी कठिन परिस्थिति आ जाए लेकिन विद्या का अध्ययन करना नहीं छोड़ना चाहिए. भगवान महावीर का सिद्धांत हैं कि बाधाओं में पॉजिटिव रहना चाहिए. बच्चों को ये सोचकर पढ़ाई करनी चाहिए कि जितनी भी देर वह पढ़ाई करेगा, बिना भटके और एकाग्रता के साथ करेगा. विद्यार्थियों को अपने लक्ष्य की ओर हमेशा समर्पित रहना चाहिए.
आचार्यश्री श्रीमद् विजय हितेशचंद्रसूरीश्वर महाराज बताते हैं कि जो लोग नौकरी कर रहे हैं उनको वर्क लाइफ कैसे बैलेंस करनी चाहिए. आचार्य कहते हैं कि आज कल की भागदौड़ भरी जिंदगी में काम और परिवार के बीच बैलेंस मेनटेन करना मुश्किल है लेकिन असंभव नहीं. आप अपने कार्य या परिवार को कितना समय देते हैं ये जरूरी नहीं है बल्कि दिए हुए समय कि तन्मयता और गुणवत्ता जरूरी है.
पद्मभूषण आचार्य श्रीमद् विजय रत्नसुंदर सूरीश्वर महाराज बताते हैं कि पैरेंट्स अपने बच्चों को संयम और अहिंसा के प्रति कैसे जागरुक करें. आचार्य बताते हैं कि आज कल के दौर में अभिभावक अपने बच्चों की पढ़ाई पर लाखों रुपये लगा देते हैं लेकिन पर्सनालिटी डेवलेपमेंट पर ध्यान नहीं देते हैं. अगर इस खर्चे का 10 प्रतिशत भी पर्सनालिटी डेवलेपमेंट पर लगाएं तो बहुत बदलाव देखने को मिलेगा. बच्चों को ये सीख देनी चाहिए कि वह किसी को भी परेशान न करें और अहिंसा से बचें.
आचार्य महाश्रमण जी बताते हैं कि युवाओं को अपने जीवन को उद्देश्यपूर्ण कैसे बनाएं और प्राथमिकता कैसे तय करें. युवाओं को बुरी संगत, नशा आदी चीजों से दूर रहना चाहिए. जीवन में कुछ समय साधु-संतों के सान्निध्य में जरूर रहना चाहिए. इससे जीवन में महत्वपूर्ण बातें सीखने को मिलेंगी. इसी के साथ क्रोध भी युवाओं का बड़ा दुश्मन है. कोर्ध-गुस्सा करने से हमेशा बचना चाहिए. यदि किसी परिस्थिति में गुस्सा आता है तो मौन हो जाएं.
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