भगवान शिव के इस मंदिर में मौजूद नहीं हैं उनके वाहन नंदी, अद्भुत है इसका रहस्य
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भगवान शिव के इस मंदिर में मौजूद नहीं हैं उनके वाहन नंदी, अद्भुत है इसका रहस्य

Shiv Amazing Temple: वैसे तो देश में जहां कहीं भी भगवान शिव का मंदिर है, वहां उनका वाहन नंदी मौजूद है, लेकिन एक स्थान ऐसा है जहां भगवान शिव अपने वाहन नंदी के बिना विराजमान हैं. आइए जानते हैं इसके पीछे का रहस्य क्या है.

 

भगवान शिव के इस मंदिर में मौजूद नहीं हैं उनके वाहन नंदी, अद्भुत है इसका रहस्य

Kapaleshwar Mahadev Temple: भगवान शिव के मंदिर में उनका वाहन नंदी जरूर रहता है. नंदी को भगवान शिव का वाहन माना गया है. पौराणिक काल से नंदी के कान में मनोकामना कहने की परंपरा है. मान्यता है कि नंदी के कान में जो भी मनोकामना कही जाती है, वह शीघ्र पूर्ण हो जाती है. हालांकि, देश में भगवान शिव का एक मंदिर ऐसा है, जहां पर उनका वाहन नंदी मौजूद नहीं है. आइए जानते हैं कि भगवान शिव के किन मंदिर में उनके वाहन नंदी मौजूद नहीं हैं और इसके पीछे क्या रहस्य क्या है. 

कहां स्थित है कपालेश्वर शिव मंदिर?

गोदावरी नदी के तट पर स्थित ‘कपालेश्वर महादेव मंदिर’ एक अत्यंत प्राचीन और पूजनीय शिव मंदिर है. शिवजी के बारह ज्योतिर्लिंगों के बाद यदि किसी मंदिर को विशेष महत्व प्राप्त है, तो वह कपालेश्वर महादेव मंदिर ही है.

शिवजी के साथ क्यों नहीं हैं नंदी

इतना महत्वपूर्ण होने के बावजूद भी इस शिव मंदिर में भगवान शिव के वाहन नंदी की प्रतिमा मौजूद नहीं है. इसके पीछे एक प्राचीन पौराणिक कथा छिपी है, जिसके अनुसार स्वयं भगवान शिव नहीं चाहते थे कि उनके सामने नंदी विराजमान हों.

ब्रह्मा जी के पांच मुखों की कथा

प्राचीन समय की बात है जब भगवान ब्रह्मा के पांच मुख हुआ करते थे. चार मुख वेदों का उच्चारण करते थे, किंतु पांचवां मुख निरंतर निंदा करता था. इस मुख से सभी देवता और ऋषिगण अत्यंत परेशान थे.

शिवजी का क्रोध और ब्रह्म हत्या का दोष

एक दिन ब्रह्मा जी के इस पांचवें मुख ने शिवजी की कठोर शब्दों में निंदा की। इससे क्रोधित होकर शिवजी ने अपने त्रिशूल से ब्रह्मा जी का यह पांचवां मुख काट दिया. इस घटना के बाद शिवजी ब्रह्म हत्या के दोष से ग्रसित हो गए, जिसका प्रायश्चित पूरे संसार में कहीं भी संभव नहीं था.

ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्ति की खोज

कहते हैं कि भगवान शिव इस दोष से मुक्ति पाने के लिए पूरे संसार का भ्रमण करने लगे, लेकिन उन्हें कोई उपाय नहीं सूझा. बहुत कोशिशों के बाद भी वे इस पाप से छुटकारा पाने में असफल रहे. एक दिन, जब शिवजी सोमेश्वर में ठहरे हुए थे, तब उन्होंने एक अद्भुत दृश्य देखा. एक ब्राह्मण अपने बछड़े की नाक में रस्सी डालना चाहता था, लेकिन बछड़ा इसका विरोध कर रहा था. तभी उसकी मां गाय ने उसे चेतावनी दी, ‘बेटे, ऐसा मत करो, इससे तुम्हें ब्रह्म हत्या का दोष लग सकता है.’ बछड़े ने उत्तर दिया, ‘मुझे ब्रह्म हत्या के दोष से मुक्ति का उपाय मालूम है.’ यह सुनकर शिवजी चकित हो उठे. जिस पाप से मुक्ति का उपाय स्वयं शिवजी को नहीं पता था, वह एक बछड़ा कैसे जान सकता था? उत्सुकतावश उन्होंने दूर से पूरा दृश्य देखा.

ब्रह्म हत्या से मुक्ति का उपाय

देखते ही देखते बछड़े ने अपनी नाक में रस्सी डालने वाले ब्राह्मण को अपने सींग से मार दिया, जिससे वह ब्राह्मण मृत्यु को प्राप्त हुआ. ब्राह्मण की मृत्यु होते ही बछड़े का शरीर काला पड़ गया, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि उसे ब्रह्म हत्या का दोष लग गया.

अब बछड़ा इस दोष से मुक्ति पाने के लिए आगे बढ़ा और शिवजी भी उसके पीछे-पीछे चल पड़े. अंततः वह बछड़ा गोदावरी नदी के रामकुंड पहुंचा और वहां स्नान किया. स्नान करते ही उसका रंग फिर से पहले जैसा हो गया और वह ब्रह्म हत्या के दोष से मुक्त हो गया.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

 

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