Sherawali Maa Story: मां दुर्गा के 9 स्वरूपों के वाहन अलग-अलग हैं लेकिन मूल रूप से मां दुर्गा का वाहन शेर होता है. मां दुर्गा शेर पर सवारी करती हैं. क्या आप जानते हैं मां दुर्गा का वाहन शेर कैसे बना और कैसे मां दुर्गा का नाम शेरावाली माता पड़ा.
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Goddess Durga on Lion Story: 9 अप्रैल से मां दुर्गा को समर्पित त्योहार चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है. नवरात्रि में मां दुर्गा के भक्त माता रानी के 9 स्वरूपों की पूजा करते हैं और व्रत रखते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां दुर्गा की पूजा करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं और बिगड़े काम पूरे होते हैं.
मां दुर्गा की सवारी
मां दुर्गा के 9 स्वरूपों के वाहन अलग-अलग हैं लेकिन मूल रूप से मां दुर्गा का वाहन शेर होता है. मां दुर्गा शेर पर सवारी करती हैं. क्या आप जानते हैं मां दुर्गा का वाहन शेर कैसे बना और कैसे मां दुर्गा का नाम शेरावाली माता पड़ा. आइए जानते हैं इससे जुड़ी रोचक कथा.
जब भगवान शिव से नाराज हुईं माता पार्वती
पौराणिक कथा के अनुसार माता पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए कड़ी तपस्या की थी. तपस्या करने के कारण माता पार्वती का रंग सांवला हो गया था. एक बार भगवान शिव माता पार्वती से हंसी मजाक कर रहे थे तब उन्होंने माता पार्वती को काली कह दिया. जिससे मा पार्वती नाराज हो कर कैलाश पर्वत छोड़कर तपस्या करने चली गईं.
माता पार्वती को दिया वरदान
जब माता पार्वती तपस्या में लीन हो गईं थी तभी एक शेर वहां अपने शिकार के लिए पहुंच गया. लेकिन माता पार्वती को तपस्या में लीन देख कर शेर वहीं चुपचाप बैठ गया. शेर वहां बैठकर सोचने लगा कि जब माता का तप खत्म होगा तब वह शिकार कर लेगा. इस तपस्या में कई साल बीत गए. भगवान शिव ने माता पार्वती से प्रसन्न हो कर गौरी होने का वरदान दिया. इसके बाद जब माता पार्वती गंगा में स्नान के लिए गईं तो सांवली रंग की देवी प्रकट हुई जो कौशिकी कहलाई और माता पार्वती महागौरी के नाम से कहलाए जाने लगीं.
शेर को मिला तपस्या का फल
माता पार्वती ने देखा की शेर भी वहां भूखा-प्यासा बैठा रहा. इसको देखते हुए माता पार्वती ने शेर को भी वरदान देने का विचार किया. इसके बाद माता रानी ने शेर को अपनी सवारी बना लिया. इसके बाद से दुर्गा माता का नाम शेरावाली पड़ा.
स्कंद पुराण की कथा
दुर्गा माता की शेर सवारी को लेकर एक कथा स्कंदपुराण में भी वर्णित है. कथा के मुताबिक भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र कार्तिकेय ने दानव तारक और उसके दो भाई सिंहमुखम और सुरापदनाम को युद्ध में हरा दिया था. इसके बाद सिंहमुखम ने कार्तिकेय से माफी मांगी. उसको माफ करते हुए कार्तिकेय ने सिंहमुखम को शेर बना दिया और मां दुर्गा की सवारी बनने का वरदान दे दिया.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)