Bada Mangal katha: जब महाबली भीम नहीं कर पाए थे एक छोटा सा काम, जानें कैसे हनुमान जी ने तोड़ा था घमंड
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Bada Mangal katha: जब महाबली भीम नहीं कर पाए थे एक छोटा सा काम, जानें कैसे हनुमान जी ने तोड़ा था घमंड

Bada Mangal ka Mahatva: हिंदू धर्म में बड़ा मंगल का बहुत महत्‍व है. विशेष तौर पर उत्‍तर प्रदेश के लखनऊ और कानपुर शहर में तो बड़ा मंगल की अलग ही धूम रहती है. जानिए इससे जुड़ा इतिहास और पौराणिक कथा. 

Bada Mangal katha: जब महाबली भीम नहीं कर पाए थे एक छोटा सा काम, जानें कैसे हनुमान जी ने तोड़ा था घमंड

Bada Mangal History in Lucknow: हिंदू धर्म में मंगलवार का दिन को भगवान हनुमान को समर्पित माना गया है. इस दिन हनुमान जी की पूजा करने का अलग ही महत्व होता है. वहीं ज्येष्ठ माह में पड़ने वाले सभी मंगलवार तो बहुत ही खास हैं, इन मंगलवार को बड़ा मंगल कहा जाता है और हनुमान जी की विशेष पूजा की जाती है. बड़ा मंगल और बुढ़वा मंगल के महत्‍व को लेकर पौराणिक कथाएं तो हैं ही, इसके अलावा उत्‍तर प्रदेश के लखनऊ से जुड़ा एक खास कनेक्‍शन भी है. जिसके चलते यूपी की राजधानी लखनऊ में बड़ा मंगल पर्व बहुत धूमधाम से मनाया जाता है. 

महाबली भीम का तोड़ा था घमंड 

पौराणिक कथाओं के अनुसार ज्‍येष्‍ठ माह के बड़ा मंगल के दिन ही भगवान हनुमान ने महाबली भीम का अहंकार तोड़ा था. दरअसल, जब पांडव भीम को अपनी शक्ति का घमंड हो गया तो उन्‍हें विनम्र बनाने के लिए हनुमान जी ने वृद्ध वानर का रूप लिया और अपनी पूंछ रास्‍ते में फैलाकर विश्राम करने लगे. भीम जब वहां से निकले तो उन्‍होंने आग्रह किया कि वानरराज अपनी पूंछ रास्‍ते से हटा लें. तब वृद्ध वानर रूपी हनुमान जी ने कहा कि मैं आराम कर रहा हूं आप खुद ही पूंछ हटा दें. 10 हजार हाथियों जितनी शक्ति रखने वाले भीम ने बहुत प्रयास किया लेकिन वे पूंछ को हिला भी नहीं पाए. उल्‍टे हनुमान जी ने उन्‍हें अपनी पूंछ में लपेट कर जमीन पर पटक दिया. तब भीम समय गए कि ये सामान्‍य वानर नहीं हैं. उन्‍होंने हाथ जोड़कर पूछा कि आप अपना परिचय दें. तब भगवान हनुमान अपने मूल स्‍वरूप में आए. इसके बाद भीम ने उनसे क्षमा मांगी और हमेशा विनम्र रहने का वचन दिया. 

नवाब और बेगम ने करवाया था भंडारा 
 
यूपी के शहर लखनऊ से भी बड़ा मंगल का गहरा कनेक्‍शन है. इतिहास के अनुसार करीब 400 साल पहले अवध के मुगलशासक नवाब मोहम्मद अली शाह के बेटे की तबीयत बहुत खराब हो गई थी. जब किसी भी इलाज का असर नहीं हुआ तब उनकी बेगम से कुछ लोगों ने कहा कि वे लखनऊ के अलीगंज में स्थित प्राचीन हनुमान मंदिर में मंगलवार को दुआ मांगें. बेगम मंदिर गईं और उन्‍होंने बेटे को सेहतमंद करने की प्रार्थना की. कुछ दिन बाद ही बेटे की तबियत बेहतर हो गई. यह घटना ज्‍येष्‍ठ माह की ही थी. बेटे के ठीक होने के बाद पूरे लखनऊ में गुड़ और प्रसाद बांटा गया. तब से ही लखनऊ और कानपुर में बुढ़वा मंगल के दिन भंडारा कराने और प्रसाद बांटने की परंपरा चल रही है. यहां हर साल ज्येष्ठ मास के सभी मंगलवार पर जगह-जगह भंडारे का आयोजन होता है. मंदिरों में भक्‍तों की भीड़ लगती है. 

(Dislaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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