Lok Sabha Election 2024: इलेक्शन कमीशन (EC) की तरफ से लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान किये जाने के साथ ही चुनावी बिगुल फूंक दिया गया है. राजनीतिक पार्टियां चुनाव की तैयारियों में पहले से ही जुटे हुए हैं. पिछले लोकसभा इलेक्शन की तरह इस बार के चुनाव में ज्यादा खर्च होने की उम्मीद जताई जा रही है. 2024 में होने वाले रहे इलेक्शन से पहले 2019 और इससे पहले के चुनाव भी खर्च के मामले में कम नहीं रहे हैं. आइए जानते हैं चुनाव दर चुनाव, लोकसभा चुनाव पर होने वाले खर्च के बारे में-
2014 का का लोकसभा चुनाव सरकारी खर्च के मामले में अब तक टॉप पर रहा है. इस चुनाव में 3,870 करोड़ रुपये का सरकारी खर्च हुआ था. चुनावी खर्च में वोटर अफेयरनेस कैंपेन, वोटर स्लिप डिस्ट्रीब्यूशन और वोटर वेरिफाइड पेपर सभी का खर्च शामिल होता है. इस साल 83 करोड़ से ज्यादा मतदाताओं ने अपने मत का प्रयोग किया था. इलेक्शन कमीशन ने चुनावी खर्च बढ़ने का कारण मतदान का आंकड़ा बढ़ाने के लिए किए गए उपायों के साथ महंगाई बढ़ना भी कारण बताया था.
करीब 15 साल पहले 2009 में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में चुनावी प्रक्रिया को पूरा कराने में सरकारी खजाने से 1114 करोड़ रुपये का खर्च किया गया था. इस चुनाव में करीब 72 करोड़ वोटर ने मतदान किया था. साल 2004 में खर्च का आंकड़ा 1016 करोड़ रुपये का था. इस साल 67 करोड़ मतदाताओं ने वोट डाला था.
1999 में खर्च का यह आंकड़ा 947 करोड़ रुपये था और इस बार 62 करोड़ वोटर ने मतदान किया था. इससे एक साल पहले भी देश में आम चुनाव हुए थे, जिसमें सरकारी खजाने पर 666 करोड़ रुपये का बोझ पड़ा था. 1998 के चुनाव में 61 करोड़ मतदाताओं ने मतदान किया था.
इससे पहले के 1995 के चुनाव में 597 करोड़ का खर्च हुआ था. इसी तरह 1991-92 में खर्च का यह आंकड़ा 359 करोड़ था. वहीं 1989 में यह महज 154 करोड़ रुपये था. 1984 में यह खर्च महज 81 करोड़ था.
1980 का चुनावी खर्च-55 करोड़ रुपये, 1977 का चुनावी खर्च-23 करोड़ रुपये, 1971 का खर्च 11.6 करोड़ रुपये, 1967 का खर्च-11 करोड़ रुपये, 1962 का खर्च 7.3 करोड़ रुपये, 1957 में 5.9 करोड़ रुपये और 1952 में 10.5 करोड़ रुपये का खर्च हुआ.
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