James Webb Space Telescope Biggest Discoveries: जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (JWST) मानवता की एक बड़ी वैज्ञानिक छलांग है. इस टेलीस्कोप ने एस्ट्रोनॉमी में एक क्रांति ला दी है. इसकी एडवांस तकनीकें और अनूठी क्षमताएं हमें ब्रह्मांड को पहले से कहीं अधिक गहराई से समझने का मौका देती हैं. JWST को नासा, यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA), और कनाडाई अंतरिक्ष एजेंसी (CSA) के सहयोग से विकसित किया गया. दिसंबर 2021 में लॉन्च हुआ यह टेलीस्कोप, हबल स्पेस टेलीस्कोप का उत्तराधिकारी है. JWST ब्रह्मांड के शुरुआत तक झांककर देख सकता है. लॉन्च के बाद के तीन सालों में जेम्स वेब टेलीस्कोप ने कई महत्वपूर्ण खोजें की हैं. आइए आपको बताते हैं जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप की 5 सबसे बड़ी खोजों के बारे में. लेकिन, उससे पहले जानिए कि यह टेलीस्कोप इतना खास क्यों है. (All Pics : NASA/ESA/CSA)
जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (JWST) 25 दिसंबर 2021 को लॉन्च किया गया था. यानी, इसने अंतरिक्ष में तीन साल पूरे कर लिए हैं. JWST नासा, यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) और कनाडाई अंतरिक्ष एजेंसी (CSA) का साझा प्रोजेक्ट है. इसे अगर हबल स्पेस टेलीस्कोप का उत्तराधिकारी कहा जाए तो गलत नहीं होगा. हबल की कई खोजों पर जेम्स वेब टेलीस्कोप ने मुहर लगाई है.
JWST मुख्य रूप से इंफ्रारेड वेवलेंथ पर काम करता है. इस वजह से यह ब्रह्मांड के सबसे पुराने सितारों और आकाशगंगाओं को देख सकता है. इसमें एक विशाल सोने की परत वाला मुख्य दर्पण (6.5 मीटर व्यास) और चार एडवांस्ड इंस्ट्रूमेंट्स हैं, जो इसे हाई सेंसेटिविटी और एक्यूरेसी देते हैं.
जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप, पृथ्वी से लगभग 1.5 मिलियन किलोमीटर दूर लैग्रेंज प्वाइंट 2 (L2) पर तैनात है. यह वहां पर सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा के आपसी ग्रहण से मुक्त होकर काम करता है. आगे पढ़ें, जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप की 5 सबसे बड़ी खोजें!
जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप ने ब्रह्मांड के प्रारंभिक काल (Big Bang के कुछ ही करोड़ सालों बाद) के तारे और आकाशगंगाओं को देखने में सफलता पाई. इसकी इन्फ्रारेड क्षमताएं इसे हबल से कहीं अधिक शक्तिशाली बनाती हैं. वेब ने पहली बार उन आकाशगंगाओं को खोजा, जो 13.5 अरब साल पुरानी हैं. यह खोज महत्वपूर्ण है क्योंकि यह हमें यह समझने में मदद करती है कि प्रारंभिक ब्रह्मांड कैसा था और आकाशगंगाओं का निर्माण कैसे हुआ. JWST ने ब्रह्मांड के पहले सितारों की रासायनिक संरचना का पता लगाया. आकाशगंगाओं के बनने और उनके आपस में जुड़ने की प्रक्रिया की जानकारी दी.
जेम्स वेब टेलीस्कोप ने ब्रह्मांड के शुरुआती दौर में सुपरमैसिव ब्लैक होल्स का पता लगाया. JWST ने सुपरनोवा (सितारों के धमाके) और ब्लैक होल्स के स्ट्रक्चर पर अहम जानकारी दी है. यह टेलीस्कोप न केवल इन घटनाओं को देखने में सक्षम है, बल्कि उनकी ऊर्जा और द्रव्यमान का एनालिसिस भी करता है. JWST के डेटा की मदद से वैज्ञानिकों ने सुपरनोवा के विस्फोट से निकलने वाली ऊर्जा का विस्तृत नक्शा तैयार किया. ब्लैक होल्स के पास मौजूद गैस और धूल के वितरण का अध्ययन संभव हो पाया. JWST ने ब्लैक होल्स के बनने और उनके विकास को बेहतर समझने में मदद की.
जेम्स वेब टेलीस्कोप ने तारों और ग्रहों के बनने की प्रक्रिया को पहले से कहीं अधिक सफाई से देखा है. इसकी एडवांस्ड इन्फ्रारेड क्षमता ने धूल और गैस के बादलों के भीतर झांकने और नए तारों और ग्रहों के बनने की प्रक्रिया को समझने में मदद की. इससे हमें प्रोटोस्टार्स (प्रारंभिक तारे) के बनने की प्रक्रिया का पता चला. इसने तारकीय नर्सरी की अद्भुत तस्वीरें लीं. ग्रह निर्माण डिस्क (Protoplanetary Disks) में सामग्री की संरचना और गति को मापा.
जेम्स वेब ने हमारे सौरमंडल के बाहर मौजूद ग्रहों (एक्सोप्लैनेट्स) के वातावरण का गहराई से अध्ययन किया. इसकी स्पेक्ट्रोस्कोपी तकनीक ने एक्सोप्लैनेट्स पर मौजूद वायुमंडलीय गैसों का विश्लेषण करना संभव बनाया. WASP-96b नामक एक्सोप्लैनेट के वातावरण में पानी की उपस्थिति पाई गई.
डार्क मैटर और डार्क एनर्जी, जो ब्रह्मांड का अधिकांश हिस्सा बनाते हैं, अब भी खगोल विज्ञान के लिए रहस्य बने हुए हैं. जेम्स वेब टेलीस्कोप ने इनके प्रभावों का अध्ययन करने और उनकी भूमिका को समझने में नई दिशा दी है. JWST ने आकाशगंगाओं के समूहों पर डार्क मैटर के प्रभाव को मापा. डार्क एनर्जी के कारण ब्रह्मांड के विस्तार की दर पर नई जानकारी दी. डार्क मैटर और सामान्य पदार्थ के बीच परस्पर क्रिया को बेहतर समझने में मदद की.
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