Indian Railways Only Free Train: आज हम आपको एक ऐसी ट्रेन के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसमें सफर के लिए आपको न तो टिकट की जरूरत है और न ही इस ट्रेन में कोई टीटीई होता है. इस ट्रेन में आप फ्री में बिना एक चवन्नी खर्च किए सफर कर सकते हैं.
Free Train in India: फ्री शब्द सुनके य देखते ही अधिकांश लोगों की आंखें बड़ी हो जाती है. अगर हम ये कहे कि ट्रेन में फ्री का सफर...आप में से अधिकांश लोग इसपर भरोसा नहीं करेंगे, लेकिन ये बात सौ टका सही है. भारत में यूं तो ट्रेनों में सफर करने के लिए टिकटों की जरूरत होती है. टिकट बुकिंग के लिए रेलवे स्टेशनों पर टिकट काउंट्स होते है, इसके अलावा आप IRCTC से ऑनलाइन टिकट भी बुक कर सकते हैं. बिना टिकट ट्रेन में सफर करना गैरकानूनी है. अगर पकड़े गए तो जुर्माने के साथ-साथ जेल तक की सजा हो सकती है, लेकिन आज हम आपको एक ऐसी ट्रेन के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसमें सफर के लिए आपको न तो टिकट की जरूरत है और न ही इस ट्रेन में कोई टीटीई होता है. इस ट्रेन में आप फ्री में बिना एक चवन्नी खर्च किए सफर कर सकते हैं.
भारत में एक ऐसी ट्रेन भी चलती है जिसमें सफर करने के लिए आपको टिकट की जरूरत नहीं पड़ती है. आप बिना टिकट के इस ट्रेन से सफर कर सकते हैं. इस ट्रेन में न तो कोई टीटीई होता है और न ही आपको टिकट बुकिंग का झंझट. आप जितनी बार चाहे बेधड़क होकर इस ट्रेन से फ्री में बिना टिकट के सफर कर सकते हैं. इस खास ट्रेन में सफर करने के लिए दूरदराज से लोग और पर्यटक आते हैं. खासबात ये है कि यह ट्रेन पिछले 75 सालों से लोगों को मुफ्त में सफर करवा रही है.
पंडाब और हिमाचल प्रदेश के बीच चलने वाली इस ट्रेन का नाम है भागड़ा-नांगल ट्रेन. भागड़ा-नांगल ट्रेन में सफर करने पर एक भी रुपये का किराया नहीं देना होता है. कोई भी इस ट्रेन में बैठक बिना किसी डर से आराम से सफर कर सकता है. पंजाब से हिमाचल प्रदेश के बीच यह ट्रेन 13 किमी का सफर करती है. लोग दूर दूर से भागड़ा-नांगल डैम पर चलाने वाली इस ट्रेन में सफर करने के लिए पहुंचते हैं.
भाखड़ा-नंगल ट्रेन (Bhakra-Nangal Train) हिमाचल प्रदेश और पंजाब सीमा के साथ भाखड़ा और नंगल के बीच चलती है. शिवालिक पहाड़ियों में 13 किलोमीटर का सफर यह ट्रेन सतलुज नदी को पार करती
हिमाचल प्रदेश और पंजाब बॉर्डर पर बने भागड़ा-नांगल डैम को देखने के लिए लोग इस ट्रेन से सफर करते हुए पहुंचते हैं. यह ट्रेन सतलज नदी और शिवालिक के पहाड़ियों से होकर गुजरती है. रास्ते में यह ट्रेन तीन टनल और छह स्टेशनों से होकर गुजरती है. डीजल से चलने वाली इस ट्रेन के कोच लकड़ी के बने हुए हैं.
3 डिब्बों वाली इस ट्रेन को सबसे पहले 1948 में चलाया गया था. तब से लेकर अब तक यह ट्रेन बिना किसी से एक रुपया लिए हुए फ्री में सफर कराती है. आज भी करीब 800 लोग इस ट्रेन से रोज सफर करते हैं.
इस ट्रेन का प्रबंधन रेलवे के पास नहीं बल्कि भाखड़ा ब्याज मैनेजमेंट बोर्ड के पास है. ट्रेन के संचालन में खर्च के बावजूद मैनेजमेंट फ्री में इस ट्रेन से लोगों को सफर का मौका देती है. जब भाखड़ा नांगल बांध का निर्माण हो रहा था, उस वक्त इस ट्रेन से मजदूरों और सामानों को पहुंचाने का काम होता था, बाद में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए ट्रेन की सेवा को जारी रखी गई.
भाप के इंजन के साथ इस ट्रेन को चलाया गया, साल 1953 में इसे डीजल इंजनों से बदल दिया गया. ट्रेन के कोच कराची में बने. आज भी इस ट्रेन में कुर्सियां अंग्रेजों के जमाने की लगी है.
ट्रेन्डिंग फोटोज़