प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आठवें वेतन आयोग के गठन को मंजूरी दे दी. इससे केंद्र सरकार के लगभग 50 लाख कर्मचारियों और करीब 65 लाख पेंशनर्स को फायदा होगा. अबतक सात वेतन आयोग गठित हो चुके हैं. उनका कार्यकाल और मुख्य सिफारिशों के बारे में यहां जानिए-
श्रीनिवास वरदाचार्य की अध्यक्षता में पहला वेतन आयोग मई 1946 से मई 1947 तक लागू किया गया. इस वेतन आयोग के तहत न्यूनतम वेतन 55 रुपये महीने और अधिकतम वेतन 2,000 रुपये महीना था. इसका फायदा करीब 15 लाख कर्मचारियों को मिला.
दूसरा वेतन आयोग का कार्यकाल अगस्त 1957 से अगस्त 1959 लागू किया गया और इसके चेयरमैन जगन्नाथ दास रहे. इसमें इकोनॉमी और जीवन-यापन की लागत को संतुलित करने पर ध्यान दिया गया. इस दौरान न्यूनतम वेतन 80 रुपये महीने रखा गया और इसमें करीब 25 लाख कर्मचारियों को फायदा मिला.
रघुबीर दयाल की अध्यक्षता में तीसरे वेतन आयोग का कार्यकाल अप्रैल 1970 से मार्च 1973 तक लागू किया गया. इस आयोग की तरफ से न्यूनतम वेतन 185 रुपये महीने की सिफारिश की गई. इसमें पब्लिक और प्राइवेट सेक्टर के बीच वेतन समानता पर जोर दिया गया. इसका फायदा करीब 30 लाख कर्मचारियों को मिला.
चौथे वेतन आयोग का कार्यकाल सितंबर, 1983 से दिसंबर, 1986 तक रहा. इसके चेयरमैन पीएन सिंघल थे. इसमें न्यूनतम वेतन बढ़कर 750 रुपये महीने करने की सिफारिश की गई. इसमें सैलरी बढ़कर चार गुना हो गई. सभी रैंक में वेतन में असमानताओं को कम करने पर फोकस किया गया. इससे 35 लाख से ज्यादा कर्मचारियों को फायदा हुआ.
पांचवां वेतन आयोग का कार्यकाल अप्रैल, 1994 से जनवरी, 1997 तक रहा और इसके चेयरमैन न्यायमूर्ति एस. रत्नावेल पांडियन थे. इसमें बेसिक सैलरी 2,550 रुपये महीने की सिफारिश की गई. वेतनमान की संख्या कम करने और सरकारी दफ्तर को आधुनिक बनाने पर फोकस. इसका फायदा करीब 40 लाख कर्मचारियों को मिला.
छठा वेतन आयोग का कार्यकाल अक्टूबर, 2006 से मार्च, 2008 तक रहा. न्यायमूर्ति बीएन श्री कृष्ण चेयरमैन ‘पे बैंड’ और ‘ग्रेड पे’ पेश किया गया. न्यूनतम वेतन 7,000 महीने हो गया और अधिकतम वेतन 80,000 रुपये महीना हो गया.
न्यायमूर्ति एके माथुर की अध्यक्षता में गठित सातवें वेतन आयोग का कार्यकाल फरवरी, 2014 से नवंबर, 2016 तक रहा. इससे करीब 60 लाख कर्मचारियों को फायदा हुआ. इसके तहत न्यूनतम वेतन बढ़कर 18,000 रुपये महीने हो गया. इसके साथ ही अधिकतम वेतन 2,50,000 रुपये महीने हो गया. इस बार ग्रेड पे सिस्टम की जगह नये पे मैट्रिक्स की सिफारिश की गई.
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