Sholay Real Daaku Gabbar Singh: 1975 में आई अमिताभ बच्चन और धर्मेंद्र की ब्लॉकबस्टर कल्ट फिल्म 'शोले' का खलनायक 'गब्बर सिंह' आज भी बॉलीवुड के सबसे खतरनाक विलेन में से एक माना जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये किरदार असल जिंदगी के एक डाकू गब्बर से इंस्पायर था, जो 1950 के दशक में सक्रिय था और बहुत ही ज्यादा खतरनाक था. चलिए बताते हैं उसके बारे में.
रमेश सिप्पी की ब्लॉकबस्टर फिल्म 'शोले' को 50 साल पूरे हो चुके हैं. ये फिल्म 1975 में रिलीज हुई थी, जिसकी कहानी इंडस्ट्री की एक शानदार जोड़ी सलीम-जावेद ने लिखी थी. ये फिल्म अपने दौर की ऐसी कल्ट फिल्म है, जिसको आज भी लोग देखना पसंद करते हैं. इस फिल्म ने रिलीज होते ही बॉक्स ऑफिस पर कई रिकॉर्ड तोड़ दिए थे. फिल्म में कई यादगार किरदार और डायलॉग आज भी लोगों के जहन में ताजा है और आज भी लोगों की ज़ुबान पर हैं.
इस फिल्म में कई जय-विरु (अमिताभ बच्चन और धर्मेंद्र), बसंती (हेमा मालिनी), मौसी (लीला मिश्रा) और ठाकुर बलदेव सिंह (संजीव कुमार) जैसे कई किरदार नजर आए थे, लेकिन सबसे ज्यादा लोकप्रिय 'गब्बर सिंह' का था, जिसे अमजद खान ने निभाया था. फिल्म में गब्बर सिंह के बेहद खूंखार डाकू होता है, जो ठाकुर के हाथ तक काट देता है. जिसको बॉलीवुड का सबसे खतरनाक खलनायक माना जाता है. दिलचस्प बात ये है कि ये किरदार असली डाकू गब्बर सिंह से प्रेरित था.
बीबीसी हिंदी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 1950 के दशक में गब्बर नाम का एक खूंखार डाकू हुआ करता था. उसका असली नाम गबरा था और वो मध्य प्रदेश के भिंड जिले के डांग गांव में 1926 में पैदा हुआ था. उसके आतंक से मध्यप्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश की पुलिस भी डरती थी. फिल्म की तरह ही असली गब्बर पर भी पुलिस ने 50,000 रुपये का इनाम रखा था. कहा जाता है कि उसने अपनी कुलदेवी के सामने ये कसम खाई थी कि वो 116 लोगों की नाक काटकर चढ़ावे में देगा.
पुलिसवालों के कान और नाक काटने की कई घटनाएं भी उसके नाम जुड़ी थीं. उस समय के आईजी केएफ रुस्तमजी ने अपनी डायरी में गब्बर सिंह के अपराधों का ज़िक्र किया था. रुस्तमजी की डायरी के मुताबिक, गब्बर सिंह का खौफ भिंड, ग्वालियर, चंबल, इटावा और धौलपुर तक फैला हुआ था. लोग उससे इतना डरते हुए थे कि कोई भी पुलिस को उसके बारे में जानकारी नहीं देता था. पुलिस की तमाम कोशिशों के बावजूद वो पकड़ में नहीं आ रहा था. लेकिन बाद में उसको मार दिया गया था.
बताया जाता है कि 1959 में पुलिस ने गब्बर सिंह को मार गिराया. उस समय डिप्टी एसपी राजेंद्र प्रसाद मोदी को उसे पकड़ने की ज़िम्मेदारी दी गई थी. उसी साल एक गांववाले ने उसकी सही जानकारी पुलिस को दी, जिसके बाद गब्बर सिंह को खत्म कर दिया गया. उसी के आधार पर सलीम-जावेद ने 'गब्बर सिंह' को फिल्मी पर्दे पर उतारा था. बता दें, इस फिल्म का बजट लगभग 3 करोड़ था और इसने बॉक्स ऑफिस पर 30 करोड़ कमाए थे. इसको 50 साल बाद पिछले साल 31 अगस्त, 2024 को री-रिलीज किया गया था.
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