Dalai Lama on China: तिब्बत के साथ चीन के रिश्ते पर धर्मगुरु दलाई लामा ने बड़ी बात कही है, उनका कहना है कि तिब्बती लोग चीन से राजनीतिक तौर पर अलग होने की जगह ज्यादा से ज्यादा स्वायत्ता के हिमायती हैं.
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Dalai Lama on Tibet: क्या दलाई लामा का दिल बदल रहा है. दरअसल हाल ही में उन्होंने धर्मशाला में कहा कि तिब्बती लोग चीन से राजनीतिक तौर पर अलग होने की जगह बृहद स्वायत्ता चाहते हैं. उन्होंने कहा कि वो ल्हासा जाना चाहते है लेकिन धर्मशाला उनके रहने की पसंदीदा जगह है.
दलाई लामा ने अपने पिछले सुलह संबंधी बयान को एक बार फिर दोहराया है. यह बात अलग है कि चीन ने इन टिप्पणियों को लगातार खारिज कर दिया है. बता दें कि चीन ने दलाई लामा पर अलगाववाद को बढ़ावा देने और विभाजनवादी होने का आरोप लगाया है।
'अब चीन भी बदल रहा'
दलाई लामा ने कहा कि चीन भी अब बदल रहा है. उन्हें गता है कितिब्बत में बहुत से लोग उनसे प्यार करते हैं. इसी तरह कई चीनी नागरिक भी प्यार करते हैं. वे भी ऐसा ही चाहते हैं. उन्हें वापस तिब्बत जाना है लेकिन वहां रहना नहीं चाहते. ल्हासा बहुत ऊंचा है. धर्मशाला की ऊंचाई उनकी शारीरिक स्थिति के लिए बहुत उपयुक्त है. उनका बयान तिब्बत के उच्च ऊंचाई वाले वातावरण में रहने के व्यावहारिक विचारों को दर्शाता है, जो विशेष रूप से वृद्ध लोगों के लिए शारीरिक रूप से कठिन हो सकता है।
2 अकटूबर से दैनिक प्रवचन
तिब्बती निर्वासित आबादी की देखरेख के लिए जिम्मेदार केंद्रीय तिब्बती प्रशासन (CTA) के मुताबिक दलाई लामा 2 अक्टूबर से धर्मशाला में दैनिक उपदेश शुरू करने वाले हैं. इसके बाद 10 अक्टूबर को गंगटोक के लिए प्रस्थान करने की योजना हैय जहां वह चीनी सीमा और डोकलाम पठार के करीब एक प्रवचन में शामिल होंगे. डोकलाम वो जगह है जहां 2017 में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच गतिरोध देखा गया था.
बता दें कि दलाई लामा करीब एक महीने इस इलाके में पहले ही बीता चुके हैं. इसके अलावा, दलाई लामा कर्नाटक के बायलाकुप्पे की यात्रा करने के लिए तैयार हैं, जो धर्मशाला के बाद दूसरी सबसे बड़ी तिब्बती शरणार्थी बस्ती है. इस यात्रा के दौरान पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के भी शामिल होने की उम्मीद है.